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सोनिया को PM ने दी जन्मदिन की बधाई: जानिए, चुनाव लड़ने पर क्या है उनकी राय

यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी रविवार को अपना 72 वां जन्मदिन मना रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको इस मौके पर बधाई दी है. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'जन्मदिन पर श्रीमती सोनिया गांधी जी को जन्मदिन की बधाई. मैं उनके स्वस्थ और लंबे जीवन की कामना करता हूं.'

भारतीय राजनीति में लंबे समय तक अपना प्रभाव रखने वाली पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अपनी खास पहचान है. उन्होंने 19 साल तक कांग्रेस का नेतृत्व किया. बेशक, उन्होंने कांग्रेस की कमान अपने बेटे राहुल गांधी को सौंप दी है.

अभी पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में वो जनसभा को संबोधित करती नजर आई थीं. कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद मुंबई में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में सोनिया गांधी ने अपने चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा था कि अब ये कांग्रेस पार्टी ही तय करेगी कि वो चुनाव लड़ेंगी या नहीं. इस दौरान सोनिया गांधी ने राजनीति के हर पहलू पर अपनी खुलकर राय रखी थी. जानिए, आखिर भारतीय राजनीति और खुद के बारे में क्या राय रखती हैं सोनिया गांधी.....

पब्लिक स्पीकिंग, बहुत सहज नहीं

यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के लिए पब्लिक स्पीकिंग बहुत सहज नहीं हैं. यह बात उन्होंने मार्च 2018 में मुंबई में आयोजित इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 17वें संस्करण में खुद कहा था. उन्होंने कहा था, 'पब्लिक स्पीकिंग मेरे लिए बहुत सहज नहीं है. लिहाजा मैं पढ़ने में ज्यादा समय देती हूं. अब मैं एक सामान्य कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी में हूं.'

उन्होंने कहा था आज देश में संसदीय नियमों का पालन नहीं हो रहा. संसद में हंगामे के लिए सरकार जिम्मेदार है. सोनिया गांधी ने कहा था कि वो देश से पूछना चाहती हैं कि क्या मई 2014 में पीएम मोदी के सत्ता में आने से पहले देश एक ब्लैकहोल था और सिर्फ इस तारीख के बाद ही देश ने सब कुछ किया.


सत्तारूढ़ सरकार दे रही उन्मादी बयान

सोनिया गांधी ने कहा था, 'सत्तारूढ़ सरकार की तरफ से उन्मादी बयान जानबूझ कर दिए जा रहे हैं और इसके गलत परिणाम हमारे सामने होंगे. वर्तमान समय में खुद के विषय में सोचने पर भी हमला किया जा रहा है. धार्मिक तनाव बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. दलितों और महिलाओं पर सुनियोजित हमले किए जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में उस भारत का क्या हुआ जो हम बनाना चाहते थे? हमें तेज चलने की जरूरत है, लेकिन इतना तेज भी नहीं कि बड़ी जनसंख्या पीछे छूट जाए.'

नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था को पीछे ढकेल दिया

सोनिया गांधी ने कहा कि मैक्सिमम गवर्नमेंट का क्या मतलब है, जब देश में लोगों को नौकरी नहीं दी जा सकती है. नोटबंदी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा था कि इस बात को पूरा देश जानता है कि नोटबंदी ने किस तरह अर्थव्यवस्था को पीछे ढकेल दिया. वहीं किसानों की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. हमें चीजों को उसी तरह देखने की जरूरत है , जैसी वह वास्तविकता में हैं न कि उसे पैकेज करके.

परिवार की जिम्मेदारी पर फोकस कर रहीं सोनिया

सोनिया गांधी का मानना है कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद अब उनके पास अधिक समय है. लिहाजा इस समय में वो राजीव गांधी से जुड़े पुराने दस्तावेजों को पढ़ने और परिवार की जिम्मेदारी निभाने में लगा रही है. जब उनसे पूछा गया था कि क्या पार्टी का पद छोड़ने के साथ उनका राजनीतिक सफर खत्म माना जाए, तो सोनिया ने कहा था कि वो राहुल गांधी के साथ पार्टी के मामलों पर लगातार बातचीत करती रहती हैं. उनकी कोशिश है कि वो देश में एक सेक्युलर फ्रंट को तैयार करने में भूमिका अदा करें, जिससे देश की राजनीति को अच्छी दिशा मिलती रहे.

दूसरों पर अपने विचार नहीं थोपती

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सलाह दिए जाने के मुद्दे पर सोनिया ने कहा था कि वो अपने विचार किसी पर थोपने की कोशिश नहीं करती हैं. लिहाजा यह जरूरी कि उन्हें उनका काम करने की पूरी स्वतंत्रता रहे. उन्होंने कहा था कि पार्टी के सभी नेताओं का काम करने का अपना तरीका है. राहुल गांधी का भी अपना स्टाइल है. उनकी कोशिश रही है कि कांग्रेस में नई जान फूंकने के कदम उठाए जाएं. हालांकि यह कोशिश वरिष्ठ नेताओं को भूलने की नहीं, बल्कि युवाओं को उनके साथ आगे लाने की है.

मोदी की मार्केटिंग के आगे कांग्रेस को खानी पड़ी मात

कांग्रेस की स्थिति पर सोनिया गांधी का कहना था कि कांग्रेस की लगातार 10 साल तक सत्ता रही. लिहाजा 2014 में पार्टी के खिलाफ कुछ एंटी-इनकंबेंसी बनी. पार्टी अपने सभी वादों को पूरा करने में नाकाम रही. इसके साथ ही कांग्रेस को नरेंद्र मोदी के सामने मार्केटिंग में मात खानी पड़ी. सोनिया ने कहा था कि कांग्रेस को आम आदमी से कनेक्ट करने के लिए एक नए स्टाइल की जरूरत है. इसके साथ ही कांग्रेस को अपने प्रोग्राम और पॉसिलीज को नए तरीके से पेश करने की आवश्यकता है.

अटल बिहारी वाजपेयी बेहतर नेता थे

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के मंच से सोनिया ने कहा था, 'हमें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा. संसद में अहम मुद्दों पर चर्चा से मोदी सरकार भागती है. वर्तमान में संसदीय परंपराओं का पालन नहीं हो रहा.' एनडीए शासनकाल के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी के बीच तुलना किए जाने पर सोनिया ने वाजपेयी की तारीफ की थी और कहा था, 'वाजपेयी दूसरों का सम्मान करते थे. वो संसदीय परंपराओं का सम्मान करते थे, लेकिन अब संसदीय नियमों का पालन नहीं हो रहा है.'


साल 2019 के आम चुनाव में जरूर जीतेगी कांग्रेस

वर्तमान मोदी सरकार के अच्छे दिन पर बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा था, 'अच्छे दिन' की स्थिति भी 'शाइनिंग इंडिया' जैसी हो गई है. 2019 में आम चुनाव में 'अच्छे दिन' का हाल भी 'शाइनिंग इंडिया' जैसा होगा. बीजेपी वादे पूरे नहीं कर सकी है और वह लोगों के उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी.' अगले आम चुनाव में यूपीए की जीत पर उन्होंने कहा था कि उन्हें भरोसा है कि यूपीए यह चुनाव जीतने में कामयाब रहेगी.

राजनीति में नहीं आना चाहती थीं सोनिया गांधी

सोनिया गांधी ने अपने राजनीतिक सफर के बारे में बात करते हुए कहा, 'मैं नहीं चाहती थी कि राजीव गांधी राजनीति में आएं, लेकिन उन्हें इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजनीति में आना पड़ा था. इसी तरह मैं खुद भी राजनीति में नहीं आना चाहती थी, लेकिन मुझे भी मजबूरी में यह फैसला लेना पड़ा. जब मैं राजनीति में आई, तब कांग्रेस मुश्किल में थी. अगर मैं राजनीति में नहीं आती, तो लोग मुझे कायर कहते.'

हिंदी बोलने को कहती थीं इंदिरा गांधी

खुद प्रधानमंत्री नहीं बनने पर सोनिया गांधी ने कहा था, 'इस बात का भरोसा था कि मनमोहन सिंह उनसे बेहतर प्रधानमंत्री साबित होंगे. उन्हें अपनी क्षमताओं के बारे में पता है.' हिंदी भाषा सीखने के बारे में उनका कहना था, 'शुरुआत में उन्हें हिंदी में बोलने में दिक्कत होती थी, लेकिन इंदिरा गांधी उनसे हिंदी में ही बात करने को कहती थीं. शुरुआत में हिंदी बोलने में उन्हें खासी दिक्कत आती थी, यहां तक की उनकी अंग्रेजी भी अच्छी नहीं थी. हालांकि अब हिंदी बोल सकती हूं.'

 

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