ðŸ˜à¤˜à¤° में वासà¥à¤¤à¥à¤¦à¥‹à¤· कीशांति के लिठकरें शà¥à¤°à¥€ गणेश की आराधनाðŸ„
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ ने वासà¥à¤¤à¥ पà¥à¤°à¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ पर वासà¥à¤¤à¥à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° के नियमों की रचना की थी। इनकी अनदेखी करने पर उपयोगकरà¥à¤¤à¤¾ की शारीरिक, मानसिक, आरà¥à¤¥à¤¿à¤• हानि होना निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रहता है। वासà¥à¤¤à¥ देवता की संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ गणेशजी की आराधना के बिना अकलà¥à¤ªà¤¨à¥€à¤¯ है।
गणपतिजी का वंदन कर वासà¥à¤¤à¥à¤¦à¥‹à¤·à¥‹à¤‚ को शांत किठजाने में किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का संदेह नहीं है। नियमित गणेशजी की आराधना से वासà¥à¤¤à¥ दोष उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ बहà¥à¤¤ कम होती है।
यदि घर के मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर à¤à¤•à¤¦à¤‚त की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ या चितà¥à¤° लगाया गया हो तो उसके दूसरी तरफ ठीक उसी जगह पर दोनों गणेशजी की पीठमिली रहे, इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से दूसरी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ या चितà¥à¤° लगाने से वासà¥à¤¤à¥ दोषों का शमन होता है।
à¤à¤µà¤¨ के जिस à¤à¤¾à¤— में वासà¥à¤¤à¥ दोष हो उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर घी मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ सिनà¥à¤¦à¥‚र से सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤• दीवार पर बनाने से वासà¥à¤¤à¥ दोष का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ कम होता है।
घर या कारà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¥à¤² के किसी à¤à¥€ à¤à¤¾à¤— में वकà¥à¤°à¤¤à¥à¤£à¥à¤¡ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ अथवा चितà¥à¤° लगाठजा सकते हैं। किनà¥à¤¤à¥ यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ अवशà¥à¤¯ रखना चाहिठकि किसी à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में इनका मà¥à¤‚ह दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिशा या नैऋतà¥à¤¯ कोण में नहीं होना चाहिà¤à¥¤ सà¥à¤–, शांति, समृदà¥à¤§à¤¿ की चाह रखने वालों के लिठसफेद रंग के विनायक की मूरà¥à¤¤à¤¿, चितà¥à¤° लगाना चाहिà¤à¥¤
सरà¥à¤µ मंगल की कामना करने वालों के लिठसिनà¥à¤¦à¥‚री रंग के गणपति की आराधना अनà¥à¤•à¥‚ल रहती है। विघà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥à¤¤à¤¾ की मूरà¥à¤¤à¤¿ अथवा चितà¥à¤° में उनके बाà¤à¤‚ हाथ की और सूंड घà¥à¤®à¥€ हà¥à¤ˆ हो, इस बात का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिà¤à¥¤ दाà¤à¤‚ हाथ की ओर घà¥à¤®à¥€ हà¥à¤ˆ सूंड वाले गणेशजी हठी होते हैं तथा उनकी साधना-आराधना कठिन होती है। वे देर से à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होते हैं।
मंगल मूरà¥à¤¤à¤¿ को मोदक à¤à¤µà¤‚ उनका वाहन मूषक अतिपà¥à¤°à¤¿à¤¯ है। अतः चितà¥à¤° लगाते समय धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखें कि चितà¥à¤° में मोदक या लडà¥à¤¡à¥‚ और चूहा अवशà¥à¤¯ होना चाहिà¤à¥¤
सरà¥à¤µ मंगल की कामना करने वालों के लिठसिनà¥à¤¦à¥‚री रंग के गणपति की आराधना अनà¥à¤•à¥‚ल रहती है। विघà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥à¤¤à¤¾ की मूरà¥à¤¤à¤¿ अथवा चितà¥à¤° में उनके बाà¤à¤‚ हाथ की और सूंड घà¥à¤®à¥€ हà¥à¤ˆ हो, इस बात का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिà¤à¥¤ दाà¤à¤‚ हाथ की ओर घà¥à¤®à¥€ हà¥à¤ˆ सूंड वाले गणेशजी हठी होते हैं तथा उनकी साधना-आराधना कठिन होती है। वे देर से à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होते हैं।
मंगल मूरà¥à¤¤à¤¿ को मोदक à¤à¤µà¤‚ उनका वाहन मूषक अतिपà¥à¤°à¤¿à¤¯ है। अतः चितà¥à¤° लगाते समय धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखें कि चितà¥à¤° में मोदक या लडà¥à¤¡à¥‚ और चूहा अवशà¥à¤¯ होना चाहिà¤à¥¤
घर में बैठे हà¥à¤ गणेशजी तथा कारà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¥à¤² पर खड़े गणपतिजी का चितà¥à¤° लगाना चाहिà¤, किनà¥à¤¤à¥ यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखें कि खड़े गणेशजी के दोनों पैर जमीन का सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ करते हà¥à¤ हों। इससे कारà¥à¤¯ में सà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾ आने की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रहती है।
à¤à¤µà¤¨ के बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ केंदà¥à¤° में, ईशान कोण à¤à¤µà¤‚ पूरà¥à¤µ दिशा में सà¥à¤–करà¥à¤¤à¤¾ की मूरà¥à¤¤à¤¿ अथवा चितà¥à¤° लगाना शà¥à¤ रहता है। किनà¥à¤¤à¥ टॉयलेट अथवा à¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर गणेशजी का चितà¥à¤° नहीं लगाना चाहिà¤à¥¤
जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ डॉ à¤à¤š.सी.जैन राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ गौरव अवारà¥à¤¡ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤°..âœðŸ»