पंडित राम पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बिसà¥à¤®à¤¿à¤² सà¥à¤¥à¤²à¥€ को 10 साल बाद मिली उमà¥à¤°à¤•à¥ˆà¤¦ से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿
अमर शहीद पंडित राम पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बिसà¥à¤®à¤¿à¤² की शहीद सà¥à¤¥à¤²à¥€ को उमà¥à¤° कैद से शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिल गई। शहीद सà¥à¤¥à¤²à¥€ तक के रासà¥à¤¤à¥‡ में चà¥à¤¨à¤µà¤¾à¤ˆ गई दीवार को शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° से जेल पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ ने तोड़वाना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया है। इसी सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ से अब बिना जेल के अंदर गठशहीद सà¥à¤¥à¤²à¥€ पर आम लोग दरà¥à¤¶à¤¨ कर सकेंगे।
काकोरी कांड के इस महानायक को करीब दस माह पहले उमà¥à¤°à¤•à¥ˆà¤¦ दे दी गई थी। जेल के मà¥à¤–à¥à¤¯ गेट से अंदर जाने के बाद आम जन उनका दरà¥à¤¶à¤¨ कर पाते। आप के अखबार हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ ने इसे पà¥à¤°à¤®à¥à¤–ता से उठाया था। जिसके बाद à¤à¤¡à¥€à¤œà¥€ जेल ने गोरखपà¥à¤° जेल का दौरा कर निरीकà¥à¤·à¤£ करने के बाद आमजन के दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥ खोलने का आशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ दिया था। बीते नवमà¥à¤¬à¤° महीने में पà¥à¤°à¤à¤¾à¤°à¥€ डीआईजी जेल ने à¤à¥€ निरीकà¥à¤·à¤£ कर इसका पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ शासन को à¤à¥‡à¤œà¤¾ था। जिसके बाद पं. बिसà¥à¤®à¤¿à¤² को मà¥à¤•à¥à¤¤ करने की योजना पर काम शà¥à¤°à¥‚ हो गया था और इसी कà¥à¤°à¤® में शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° से शहीद सà¥à¤¥à¤²à¥€ पर जाने के लिठदीवार तोड़कर गेट बनवाने का काम जेल पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ ने शà¥à¤°à¥‚ कर दिया है। जेलर पà¥à¤°à¥‡à¤® सागर शà¥à¤•à¥à¤²à¤¾ ने कहा कि शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° से दीवार तोड़ने का काम शà¥à¤°à¥‚ हो गया है। à¤à¤• दो दिन में गेट का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करा लिया जाà¤à¤—ा।
इस तरह से होगा काम
पंडित राम पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बिसà¥à¤®à¤¿à¤² का शहीद सà¥à¤¥à¤², शहीद सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤•, शहीद उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ और बिसà¥à¤®à¤¿à¤² कोठरी को आमजन के लिठखोला जाà¤à¤—ा। इसके लिठजेल की मà¥à¤–à¥à¤¯ दीवार पर à¤à¤• गà¥à¤°à¤¿à¤² गेट और शटर गेट लगवाई जाà¤à¤—ी। à¤à¤‚टà¥à¤°à¥€ के बाद आगे à¤à¤² सेव में बिसà¥à¤®à¤¿à¤² कोठरी तक जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ बनेगा। यह रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ पूरी तरह से कवर होगा। इसके अलावा पंडित बिसà¥à¤®à¤¿à¤² के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ, कृतितà¥à¤µ और गौरवगाथा के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° के लिठदीवारों पर अंकन कराया जाà¤à¤—ा। साथ ही इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‰à¤¨à¤¿à¤• डिसà¥à¤ªà¥à¤²à¥‡ के माधà¥à¤¯à¤® से à¤à¥€ शहीद के बारे में आमजन जानकारी ले सकेंगे। सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के लिठगेट पर ही आमने और सामने कवर के लिठसीसीटीवी कैमरे लगाठजाà¤à¤‚गे। इसका कंटोल रूम वरिषà¥à¤ जेल अधीकà¥à¤·à¤• के चैंमà¥à¤¬à¤° में होगा। इसके अलावा à¤à¥€ सौंदरà¥à¤¯à¥€à¤•à¤°à¤£ के लिठलाइटें और अनà¥à¤¯ चीजें यहां लगाई जाà¤à¤‚गी।
दस माह पूरà¥à¤µ कैद कर दी गयी थी शहीद सà¥à¤¥à¤²à¥€
तकरीबन दस माह पूरà¥à¤µ पंडित राम पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बिसà¥à¤®à¤¿à¤² शहीद सà¥à¤¥à¤²à¥€ पर लगे गेट को बंद कराकर वहां सीमेंटेड दीवार चलवा दी गई थी। समाजसेवी संगठनों और आमजन ने इसे खोलने की जिला पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ से गà¥à¤¹à¤¾à¤° लगवाई। à¤à¤¡à¥€à¤œà¥€ जेल चंदà¥à¤° पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ ने मौके पर जाकर जांच की और अपनी रिपोरà¥à¤Ÿ शासन को à¤à¥‡à¤œ दी। जिसके बाद से इस काम में तेजी आ गई।
यहीं दी गई थी काकोरी कांड के महानायक को फांसी
19 दिसंबर 1927 को काकोरी कांड के महानायक सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® सेनानी पंडित राम पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बिसà¥à¤®à¤¿à¤² को गोरखपà¥à¤° जेल की कोठरी में फांसी के फंदे पर लटकाया गया था। " वो फांसीघर आज à¤à¥€ मौजूद है। लकड़ी का फà¥à¤°à¥‡à¤® और लीवर à¤à¥€ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ है।
काकोरी में लूट लिया था खजाना
शाहजहांपà¥à¤° के रहने वाले मà¥à¤°à¤²à¥€à¤§à¤° दूबे के बेटे पंडित राम पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बिसà¥à¤®à¤¿à¤² 9 अगसà¥à¤¤ 1925 को चंदà¥à¤°à¤¶à¥‡à¤–र आजाद सहित अपने नौ साथियों के साथ 8 डाउन सहारनपà¥à¤°-लखनऊ पैसेंजर पर शाहजहांपà¥à¤° में सवार हà¥à¤à¥¤ काकोरी में चेन पà¥à¤²à¤¿à¤‚ग की और कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारियों ने खजाने को लूट लिया। कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारियों को अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ से लड़ने के लिठहथियारों की जरूरत थी। उनके पास इतना धन नहीं था कि वे हथियार खरीद सकें। इसलिठबà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सरकार की तिजोरी लूट ली। घटनासà¥à¤¥à¤² से मिली à¤à¤• चादर के आधार पर घटना में शामिल कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारियों की शिनाखà¥à¤¤ हो गई।
राजदà¥à¤°à¥‹à¤¹ के आरोप में सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ फांसी
इनमें से चार को बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सरकार के खिलाफ राजदà¥à¤°à¥‹à¤¹ के आरोप में फांसी की सजा सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ गई। पंडित राम पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बिसà¥à¤®à¤¿à¤² को गोरखपà¥à¤° जेल, असफाकउलà¥à¤²à¤¾à¤¹ खान को फैजाबाद, रोशन सिंह को नैनी सेंटà¥à¤°à¤² जेल और राजेंदà¥à¤° नाथ लाहिड़ी को गोंडा जेल में à¤à¤• दिन और à¤à¤• ही समय पर फांसी देने का फैसला किया गया। बाद में इसमें बदलाव किया गया और असफाकउलà¥à¤²à¤¾à¤¹ के साथ ही राजेंदà¥à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ लाहिड़ी को दो दिन पहले 17 दिसंबर को ही फांसी दे दी गई।
कोठरी नंबर सात में रहे थे बिसà¥à¤®à¤¿à¤²
पं. राम पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बिसà¥à¤®à¤¿à¤² को जिला कारागार लखनऊ से 10 अगसà¥à¤¤ 1927 को गोरखपà¥à¤° जेल लाया गया था। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कोठरी संखà¥à¤¯à¤¾ सात में रखा गया था। उस समय इसे 'तनà¥à¤¹à¤¾à¤ˆ बैरक' कहा जाता था। बिसà¥à¤®à¤¿à¤² ने चार महीने 10 दिन तक इस कोठरी को साधना केंदà¥à¤° के रूप में इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया। इस कोठरी को अब बिसà¥à¤®à¤¿à¤² ककà¥à¤· और शहीद पंडित राम पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बिसà¥à¤®à¤¿à¤² बैरक के नाम से संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया गया है।