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सरकारी लेटरहेड से विदा हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय, अब ....

 à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में अब सरकारी लेटरहेड से पंडित दीनदयाल उपाध्याय विदा हो गए। कांग्रेस सरकार आने के बाद पत्राचार में उपयोग में आने वाली स्टेशनरी, विज्ञापन और बैनरों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का लोगो नहीं लगेगा। भाजपा सरकार ने सभी विभागों में इसे अनिवार्य किया था।

अब सरकारी पत्राचार में उपयोग आने वाली सामग्री में सिर्फ शासकीय चिन्ह का ही उपयोग किया जाएगा। तीन मई 2017 को सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों को निर्देश दिए थे कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म शताब्दी वर्ष के लोगो का अनिवार्य रूप से उपयोग किया जाए। इसके बाद से सरकारी बैनर और पत्राचार में स्टेशनरी में लोगो का इस्तेमाल हो रहा था। मुख्यमंत्री, मंत्री से लेकर अफसरों के लेटर हेड में लोगो बीच में और शासकीय चिन्ह बगल में था।

विज्ञापनों से तो लोगो हट गए थे, लेकिन लेटर हेड में यह चले आ रहे थे। जैसे ही कांग्रेस की सरकार आई अफसरों के नजरिए में भी बदलाव आ गया। सूत्रों के मुताबिक गर्वमेंट प्रेस को जो भी लेटर हेड तैयार करने के लिए कहा जा रहा है, उसके प्रारूप से पंडित दीनदयाल उपाध्याय के लोगो हटवा दिए गए हैं।

दो-दो बार दस्तावेज चेक हो रहे हैं, ताकि कोई गड़बड़ी न हो पाए। उधर, सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हमारे निर्देश सिर्फ जन्म शताब्दी वर्ष के लिए थे। यह संभव है कि स्टेशनरी छप चुकी हो, उसमें मोनो लगा हो।केंद्रीय मंत्रियों के अर्द्ध शासकीय पत्रों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के लोगो का उपयोग हो रहा है। मुख्यमंत्री कमलनाथ को हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने पाला के मद्देनजर पत्र लिखा है। इसमें लोगो का उपयोग है।

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