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क्या फेल हो गईं मोदी सरकार की गरीबी हटाओ योजनाएं जो गरीबों के लिए लाना पड़ा आरक्षण: थंबीदुरई

मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया. आरक्षण संशोधन विधेयक पर चर्चा करते हुए AIADMK के सांसद एम. थंबीदुरई ने सवाल उठाया कि सरकार का कहना है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद के लिए ये संशोधन ला रही है. इसका मतलब ये हुआ कि पिछले 4 साल में सरकार ने जो गरीबी उन्मूलन की आधा दर्जन योजनाएं चलाई हैं, वह कारगर साबित नहीं हो पाई हैं जिस वजह से मोदी सरकार को ये आरक्षण देना पड़ रहा है.

थंबीदुरई ने कहा कि आरक्षण सदियों से वंचितों समुदाय के उत्थान के लिए है. अब आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य लोगों को सरकार देने जा रही है. जबकि सरकार गरीबों के लिए पीएम मुद्रा योजना सहित कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. ऐसे में आरक्षण देने की सरकार को क्या जरूरत पड़ गई. आपको यह चुनाव में भले ही फायदा पहुंचा दे लेकिन सुप्रीम कोर्ट में यह रद्द हो जाएगा.

इससे पहले कांग्रेस के सांसद केवी थामस ने कहा कि सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण कहीं जुमला न बन जाए, इसे हड़बड़ी में लाया गया है. हालांकि हम आर्थिक रूप से गरीब सामान्य वर्ग के तहत आने वाली जातियों के आरक्षण दिए जाने का समर्थन करते हैं, लेकिन ये बिल बिना तैयारी और जल्दबाजी में लाया गया है.

 

उन्होंने कहा कि सरकार इस विधेयक के जरिए निजी संस्थानों में भी सामान्य वर्ग को आरक्षण दे रही है, लेकिन दलित और ओबीसी को उन्हीं संस्थाओं में आरक्षण दिया जा रहा है जो सरकारी हैं. उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए. उन्‍होंने इस बिल को जेपीसी में भेजने की मांग की. उन्होंने सवाल किया कि नोटबंदी करते समय भी सरकार ने कहा था कि ये कदम परिवर्तन वाला है. लेकिन उसका नतीजा क्या निकला, न तो नकली करेंसी रुकी न ही कोई परिवर्तन आया. कहा गया था कि जीएसटी का भी फायदा मिलेगा लेकिन उसका भी कोई लाभ नहीं दिखा.

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