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पत्रकार की हत्या के मामले में बाबा दोषी करार

पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में पंचकूला की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा (Dera sacha sauda) प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) को दोषी करार दिया है. राम रहीम के साथ तीन और आरोपी दोषी करार दिए गए हैं. इस मामले में 17 जनवरी को फैसला सुनाया जाएगा.

रोहतक की सुनारिया जेल में बंद डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई. इस फैसले के मद्देनजर डेरा सच्चा सौदा, सुनारिया जेल और विशेष अदालत के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. पंजाब और हरियाणा पुलिस ने अलर्ट जारी किया था.

पहले पुलिस गुरमीत सिंह राम रहीम की कोर्ट में पेशी को लेकर परेशान थी. लेकिन बाद में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही इस मामले में उसे पेश करने का फरमान जारी किया गया.

पुलिस को डर था कि अगर गुरमीत सिंह राम रहीम को पंचकूला की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया तो ऐसे में कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है. डेरा समर्थक बेकाबू हो सकते हैं. इसी के चलते हरियाणा सरकार ने पंचकूला की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में अपील की थी. जिसे कोर्ट ने मान लिया.

जज जगदीप सिंह ही सुनाएंगे फैसला

16 वर्ष पुराने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड मामले की सुनवाई पिछले सप्ताह पूरी हुई. साध्वी दुष्कर्म मामले में गुरमीत सिंह राम रहीम को सजा सुनाने वाले जज जगदीप सिंह ही इस हत्याकांड में फैसला सुनाएंगे.

सुरक्षा के कड़े इंतजाम

बता दें कि पंजाब का मालवा क्षेत्र गुरमीत सिंह राम रहीम के प्रभाव वाला बड़ा इलाका है. इसी के मद्देनजर वहां के 8 जिलों में सुरक्षा बलों की 25 कंपनियां तैनाती की गई हैं.

 

इसके अलावा बठिंडा और मानसा जिले में करीब 15 कंपनियों के 1200 जवान तैनात किए गए हैं. इसी प्रकार से फिरोजपुर, फरीदकोट, मोगा, और फाजिल्का में 10 कंपनियों के 700 जवान तैनात किए गए हैं. सबसे ज्यादा सुरक्षाकर्मी कोटकपूरा, जैतो, बाघा पुराना और मोगा में तैनात किए गए हैं. बरनाला में 150 अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं. जबकि बरनाला के बाजाखाना रोड और धनौला रोड स्थित डेरे से जुड़े नामचर्चा घरों के बाहर 50-50 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं.

क्या है पूरा मामला?

पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड 16 साल पुराना है. दरअसल, 2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वो लगातार अपने समाचार पत्र में डेरे में होने वाले अनर्थ से जुड़ी ख़बरों को छाप रहे थे. पत्रकार के परिवार ने इस संबंध में मामला दर्ज कराया था. उनकी याचिका पर अदालत ने इस हत्याकांड की जांच नवंबर 2003 को सीबीआई के हवाले कर दी थी. 2007 में सीबीआई ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करते हुए डेरा मुखी गुरमीत सिंह राम रहीम को हत्या की साजिश रचने का आरोपी माना था.

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