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मकर संक्रांति के अवसर पर पावन नदियों में लगी 'आस्था की डुबकी

पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है. यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है क्योंकि इसी दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है. मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति की शुरुआत होती है. इसलिए इस पावन पर्व को उत्तरायणी भी कहते हैं. 14 जनवरी को देशभर में मकर संक्रांति, असम में बिहू, तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण, आंध्र प्रदेश में भोगी मनाया जा रहा है.

हिंदू धर्म के इस पावन पर्व पर आज सुबह देश की प्रमुख नदियों में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी के गंगा घाटों पर सुबह हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और आस्था की डुबकी लगाई. à¤µà¤¾à¤°à¤¾à¤£à¤¸à¥€ के घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई दी. सुहह सूर्योदय के पहले ही श्रद्धालु कांपती हुई ठंड में मां गंगा के चरणों में स्नान करते हुए दिखाई दिए.वाराणसी में पिछले एक हफ्ते से शीतलहर चल रही है. लेकिन दशाश्वमेध क्षेत्र सहित गंगा किनारे लगभग सभी प्रमुख घाटों पर कल देर रात तक बाहर से आने वाले स्नानार्थियों की काफी भीड़ लग गई थी. जिला व पुलिस प्रशासन ने भी स्नानार्थियों को असुविधा से बचाने के लिए चाक चौबंद व्यवस्था कर रखी है. स्नान के दौरान घाटों के अलावा गंगा के दूसरी ओर भी श्रद्धालुओं की काफी भीड़ दिखी.

इलाहाबाद के संगम तट पर लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने माघ मेले में स्नान किया. हरिद्वार, गढ़मुक्तेश्वर के ब्रज घाट (हापुड़), इलाहाबाद के संगम तट पर मकर संक्रांति के पावन स्नान के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. 

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के पावन अवसर पर जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है. धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर वापस से प्राप्त होता है.

 

 
 

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