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साल का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को, जानें खास बातें

नए साल की शुरुआत ही खगोलीय घटनाओं से हुई है। सबसे पहले 6 जनवरी को सूर्य ग्रहण हुआ और अब 21 जनवरी को पौष पूर्णिमा को पूर्ण चंद्र ग्रहण पड़ रहा है। हालांकि, सूर्य ग्रहण की तरह ही चंद्र ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा। इसके बावजूद भी इस ग्रहण को लेकर लोगों में काफी रुचि है क्योंकि इसका नाम अद्भुत है।इस बार होने वाले चंद्र ग्रहण को सुपर ब्लड वोल्फ मून कहा जा रहा है। इसे मध्य प्रशांत महासागर, उत्तरी/दक्षिणी अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका में देखा जा सकता है। इसे न्यूयार्क, लॉस एंजिलेस, लंदन, शिकागो, एथेंस, पेरिस, मास्को, ब्रेसेल्स और वाशिंगटन डीसी से देखा जा सकता है। भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण रात 08:07:34 से अगले दिन 13:07:03 बजे तक रहेगा।

नासा के मुताबिक सुपर मून या फुल या न्यू मून पर चंद्रमा अन्य दिनों के मुकाबले धरती के सबसे करीब 3,63,000 किमी दूर होता है। सुपर मून पर चंद्रमा आम दिनों के मुकाबले 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी अधिक चमकदार होता है। इस दौरान चांद का रंग लाल तांबे जैसा नजर आता है, इसलिए इसे ब्लड मून भी कहा जाता है।

ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग इसलिए बदलता है क्योंकि सूरज की रोशनी धरती से होकर चंद्रमा पर पड़ती है। धरती की छाया की वजह से चंद्रमा का रंग ग्रहण के दौरान बदल जाता है।साल का दूसरा चंद्रग्रहण 16 जुलाई 2019 को होगा। ये ग्रहण भारत में भी नजर आएगा, जो रात 1.31 से सुबह 4.29 तक रहेगा। हालांकि, यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा।उज्जैन के ज्योतिषी पंडित मनीष शर्मा ने बताया कि चंद्र ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए घर में श्रीमदभागवत गीता का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं। इसके साथ इस दिन गरीबों को दान देना चाहिए। दान में आटा, चीनी , दाल आदि दे सकते हैं। इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में साढ़ेसाती चल रही है तो उनको शनि मंत्र का जाप करना चाहिए।ज्योतिषों के अनुसार ग्रहण के वक्त गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, रोगी और बच्चों को बाहर नहीं निकलना चाहिए। ग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से करीब 9 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है। ग्रहण से पहले या बाद में ही खाना खाएं। इसके साथ जिस दिन ग्रहण हो उस दिन किसी शुभ काम की शुरुआत न करें।

प्राकृतिक आपदाओं की आशंका

 

जब भी सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण एक ही महीने में होते हैं, तो प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। ग्रहण से भूकंप, चक्रवात, ज्वालामुखी व सुनामी की आशंका के अलावा उपग्रहों और विमानों में खराबी आने की आशंका भी बढ़ जाती है। इससे पहले 26 जुलाई 1953 को सबसे लंबा चंद्र ग्रहण पड़ा था। यह बीसवीं सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण था। इस दौरान ग्रीस में भीषण भूकंप आया था।

 

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