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अगर 2014 जैसे हुए चुनाव तो यूपी से 71 नहीं, सिर्फ 57 सीटें जीतेगी BJP

लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं और उससे पहले उस चुनावी रणक्षेत्र के लिए राजनीतिक दल अपनी-अपनी सेनाओं के विस्तार में लगे हैं. यही वजह है कि नए-नए सियासी गठबंधन आकार ले रहे हैं ताकि लोकसभा चुनाव के मैदान में विरोधियों की फौज को ध्वस्त किया जा सके. राजनीतिक विश्लेषक इन गठबंधनों के वोट बैंक का हिसाब-किताब कर अलग-अलग पार्टियों की चुनावी संभावनाओं का आकलन करने में व्यस्त हैं. सबसे दिलचस्प स्थिति यूपी की है. देश के इस सबसे बड़े सूबे की दो बड़ी पार्टियां सपा और बसपा साथ चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं. आजतक ने कार्वी इनसाइट्स के साथ अपने सर्वे में इस गठबंधन के चुनाव नतीजों पर संभावित असर को लेकर वोटरों की राय जानी.

अगर 2014 जैसा हुआ 2019 में मुकाबला

यूपी में 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने तब आरएलडी के साथ गठबंधन किया था जबकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी अकेले चुनाव मैदान में उतरे थे. अगर इस बार भी ये पार्टियां इसी तरह मैदान में उतरें तो बीजेपी के एक बार फिर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने का अनुमान है. हालांकि उसके वोट शेयर और सीटों में अच्छी खासी कटौती होनी है. 2014 में बीजेपी 42.3 फीसदी वोट लेकर 71 सीटों पर सफल रही थी जबकि 2 सीटों पर उसकी सहयोगी अपना दल को जीत मिली थी.

इस बार भी अगर बीजेपी-अपना दल गठबंधन मैदान में उतरा तो उसका वोट शेयर 35 फीसदी तक घट सकता है जिससे उसकी सीटों की संख्या 71 से घटकर 57 रहने का अनुमान है. कांग्रेस का वोट शेयर हालांकि 7.5 फीसदी से बढ़कर 12 फीसदी होने का अनुमान है जिससे 2014 के दो सीटों के मुकाबले वो इस साल यानी 2019 के चुनाव में 4 सीटों जीत सकती है.

सपा को होगा सबसे ज्यादा फायदा

समाजवादी पार्टी को 2013 में 22.2 फीसदी वोट मिले थे. अगल 2014 की तरह ही चुनाव हुए तो 2019 में पार्टी के मिलने वाले वोट बढ़कर 24 फीसदी हो सकते हैं जबकि उसके द्वारा जीती गई सीटों की संख्या भी 5 के मुकाबले 16 हो जाने की संभावना है.

पिछले चुनाव में बीएसपी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी लेकिन अगर इस बार भी पिछली बार की तरह चुनाव होते हैं तो उसका वोट शेयर 19.6 फीसदी से बढ़कर 21 फीसदी हो सकता है जिससे राज्य में उसका खाता खुल सकता है और उसे एक सीट मिल सकती है. अन्य को पिछली बार 6.4 फीसदी वोट मिले थे लेकिन इस बार उसका वोट शेयर 6 फीसदी रह सकता है. हालांकि इसबार की अन्य किसी पार्टी का खाता यहां नहीं खुलने वाला था.

 

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