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बोर्ड की कॉपियां जांचने में 61 शिक्षक- प्राचार्य 'फेल', 41 हजार का लगा अर्थदंड

जबलपुर। à¤¬à¤šà¥à¤šà¥‹à¤‚ को पढ़ा-लिखा कर परीक्षाओं के लिए तैयार करने वाले सरकारी और निजी स्कूलों के शिक्षक, प्राचार्य भी परीक्षा कॉपियां जांचने में 'फेल' हो गए। न सिर्फ शिक्षक बल्कि प्राचार्यों ने भी एमपी बोर्ड परीक्षा की कॉपियां जांचने में दो-चार नहीं 100 से भी ज्यादा गलतियां कीं। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले अब ऐसे 61 शिक्षक, प्राचार्यों से 50 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक का अर्थदंड वसूला जा रहा है।एमपी बोर्ड से मिले निर्देश पर प्रभारी डीईओ (जिला शिक्षा अधिकारी) डॉ. राममोहन तिवारी ने शिक्षक, प्राचार्यों को नोटिस जारी कर 31 जनवरी तक इसे भरने के निर्देश दिए हैं। साथ ही ऐसी लापरवाही करने वाले शिक्षकों और प्राचार्यों की ड्यूटी इस बार मूल्यांकन कार्य में न लगाए जाने की हिदायत दी है।प्रभारी डीईओ डॉ.राममोहन तिवारी ने आदेश जारी कर कहा कि 31 जनवरी तक समन्वय संस्था अधिकारी एमएलबी स्कूल प्राचार्य के पास अर्थदंड की रकम जमा करें। यदि तय समय-सीमा में राशि जमा नहीं की तो यह राशि संबंधित शिक्षक, प्रचार्यों के वेतन कटौती कर की जाएगी। à¤¬à¤¤à¤¾ दें कि मार्च 2018 में आयोजित 10वीं, 12वीं की परीक्षा कॉपियां जांचने का सिलसिला मार्च अंत से ही शुरू कर दिया गया था। इसके लिए करीब 1200 शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई थी।परीक्षा कॉपियों जांचने में जिले के 61 शिक्षक, प्राचार्यों ने लापरवाही की। नम्बर कम मिलने पर छात्रों ने कोर्ट की शरण ली और एमपी बोर्ड को दोबारा कॉपी चेक करानी पड़ी।जिन शिक्षक, प्राचार्यों से अर्थदंड वसूल किया जा रहा है, उसमें ज्यादातर शिक्षक सरकारी स्कूलों के हैं।एमपी बोर्ड ने परीक्षा कॉपी जांचने पर प्रति गलती पर 20 रुपए का अर्थदंड लगाए जाने का प्रावधान किया था। जबकि 2017 में एक गलती पर 100 रुपए अर्थदंड वसूल किया गया था। मूल्यांकनकर्ता यानी शिक्षकों के विरोध के बाद 2018 में इसे 100 से घटाकर 20 रुपए कर दिया गया था।

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