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आईटीएम यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लाइफ साइंस द्वारा आयोजित की गई एक्सपर्ट टॉक

ग्वालियर । मिरगी आने का केंद्र तो शरीर के दिमाग में होता है लेकिन वहां से एक प्रभावित शरीर के अंग तक आण्विक तंत्र निर्मित होता है। जिसके कारण मिरगी से प्रभावित हमारा दिमाग नहीं बल्कि दूसरा अंग होता है। साथ ही उन्होंने बताया कि जरूरी नहीं कि मिरगी का दौरा जन्मजात ही हो बल्कि ये जीवन में किसी भी सदमे के कारण या किसी भी दवा के प्रभाव के कारण किसी भी अवस्था में शुरू हो सकता है।  
यह जानकारी दे रही थीं दिल्ली विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय भीमराव अम्बेडकर जैव चिकित्सा अनुसंधान केंद्र की वैज्ञानिक डॉ अपर्णा दीक्षित, वे आईटीएम यूनिवर्सिटी में जीवन विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित व्याख्यान को सम्बोधित कर रही थीं। इस विशेषज्ञ व्याख्यान का र्शीर्षक ’शरीर के विभिन्न भागों पर मिरगी के दौरे का आण्विक तंत्र की क्रियाविधी एवं उस पर प्रतिरोधी दवाओं का असर ’ था। इसमें मिरगी के दौरा आने के कारण , उससे प्रभावित शरीर के भाग, संवेदी तंत्र पर असर एवं उसका दवाइयों एवं शल्य चिकित्सा के माध्यम से बचाव एवं रोकथाम के बारे में समझाया। इसके अलावा भारत एवं विश्वस्तर पर इसकी रोकथाम के लिए उपयोग में लाने वाली नई तकनीकी एवं उनकी खोज जैसे बिंदुओं पर अवगत कराया ताकि उनकी रूचि इस तरह की खोजों के लिए बढ़े। 

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