कà¥à¤¯à¤¾ है नà¥à¤¯à¥‚नतम आय का वादा, कितना मà¥à¤®à¤•à¤¿à¤¨ है राहà¥à¤² गांधी के इस वादे पर अमल
कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· राहà¥à¤² गांधी ने दावा किया है कि अगर उनकी पारà¥à¤Ÿà¥€ 2019 लोकसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में जीतकर केनà¥à¤¦à¥à¤° में सरकार बनाती है तो गरीबी रेखा के नीचे सà¤à¥€ को à¤à¤• नà¥à¤¯à¥‚नतम आय देने के लिठयूनीवरà¥à¤¸à¤² बेसिक इनकम (UBI) योजना को लागू किया जाà¤à¤—ा. वहीं केनà¥à¤¦à¥à¤° में मौजूदा मोदी सरकार à¤à¥€ लगà¤à¤— दो साल से देश में गरीबी रेखा के नीचे लोगों को राहत पहà¥à¤‚चाने के लिठयूनीवरà¥à¤¸à¤² बेसिक इनकम योजना पर काम कर रही है. केनà¥à¤¦à¥à¤° सरकार ने आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ 2016-17 में पहली बार यूबीआई का जिकà¥à¤° करते हà¥à¤ कहा कि देश में गरीबी उनà¥à¤®à¥‚लन की दिशा में यूबीआई अहम à¤à¥‚मिका अदा कर सकता है.
जाहिर है कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ और बीजेपी दोनों की कवायद इस योजना के सहारे आगामी चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ में गरीब तबके के वोट के लà¥à¤à¤¾à¤¨à¥‡ की है. लेकिन, कà¥à¤¯à¤¾ है यूनीवरà¥à¤¸à¤² बेसिक इनकम और कà¥à¤¯à¤¾ इसे लागू करने के बाद देश से गरीबी का नामोनिशान मिट जाà¤à¤—ा.
कà¥à¤¯à¤¾ है यूबीआई?
यूबीआई à¤à¤• निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ आय है जो देश के सà¤à¥€ नागरिकों- गरीब-अमीर, नौकरीपेशा, बेरोजगार को सरकार से मिलती है. इस आय के लिठकिसी तरह का काम करने अथवा पातà¥à¤°à¤¤à¤¾ होने की शरà¥à¤¤ नहीं रहती और आदरà¥à¤¶ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है कि समाज के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• सदसà¥à¤¯ को जीवन-यापन के लिठनà¥à¤¯à¥‚नतम आय का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ होना चाहिà¤.
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ यूबीआई?
यूबीआई कोई नई अवधारणा नहीं है बलà¥à¤•à¤¿ बीते कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के दौरान पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में आय के पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¿à¤¤à¤°à¤£ के लिठइसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² से सà¥à¤°à¥à¤–ियों में है. कई देशों में इस योजना पर पायलट पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ चल रहा है, हालांकि बतौर योजना इसे अà¤à¥€ किसी देश में लागू नहीं किया गया है. यूबीआई को लागू करने के पीछे दो अहम दलील है कि वैशà¥à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° पर असमानता में तेजी से इजाफा हो रहा है और तकनीकि के इस यà¥à¤— में ऑटोमेशन के चलते बेरोजगारी में तेज बढ़ोतरी हो रही है. कà¥à¤› जानकारों का मानना है कि मौजूदा वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को यदि सहारा नहीं दिया गया को समानता में तीवà¥à¤° इजाफा और बेरोजगारी के तूफान से सबसे बड़ी वैशà¥à¤µà¤¿à¤• चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ खड़ी हो जाà¤à¤—ी.
कैसे काम करेगा यूबीआई?
आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ 2016-17 के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की यूपीआई योजना के तीन अहम पकà¥à¤· हैं- सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤•, बिना शरà¥à¤¤ और संसà¥à¤¥à¤¾à¤—त. वहीं इसके आंकलन के लिठगरीबी रेखा निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करने के लिठसà¥à¤°à¥‡à¤¶ तेंदà¥à¤²à¤•à¤° फ़ॉरà¥à¤®à¥‚ले से 7,620 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वरà¥à¤· तय किया गया है. इस वारà¥à¤·à¤¿à¤• आमदनी पर आदमी का जीवनयापन संà¤à¤µ है.
वहीं à¤à¤• अनà¥à¤¯ सरà¥à¤µà¥‡ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• इस दर पर यूबीआई को लागू करने पर जीडीपी का 4.9 फीसदी खरà¥à¤š सरकारी खजाने पर पड़ेगा. सà¥à¤•à¥€à¤® के तहत यह सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ डायरेकà¥à¤Ÿ बेनेफिट टà¥à¤°à¤¾à¤‚सफर के जरिठपहà¥à¤‚चाई जाà¤à¤—ी.
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ उठा यूबीआई पर सवाल?
आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ 2016-17 दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिठगठमॉडल के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• देश में गरीबी रेखा का आंकलन उचित ढंग से नहीं किया गया है. जहां तेंदà¥à¤²à¤•à¤° फॉरà¥à¤®à¥‚ले से 22 फीसदी जनसंखà¥à¤¯à¤¾ को गरीब बताया गया वहीं इसके बाद हà¥à¤ सी रंगराजन फॉरà¥à¤®à¥‚ले ने 29.5 फीसदी यानि 36.3 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा के नीचे बताया. वहीं पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ खरà¥à¤š के सà¥à¤¤à¤° को à¤à¥€ 2012 में 27.2 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ से सà¥à¤§à¤¾à¤° कर 2014-15 में 32 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ कर दिया गया. जबकि शहरी इलाकों के लिठइस खरà¥à¤š को 33.3 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ से बढ़ाकर 47 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कर दिया गया.