आचारà¥à¤¯ चाणकà¥à¤¯ के अनमोल विचार ...
1. निरà¥à¤¬à¤² राजा को ततà¥à¤•à¤¾à¤² संधि करनी चाहिà¤à¥¤
2. पडोसी राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से सनà¥à¤§à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ तथा पारसà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° का आदान-पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ और संबंध विचà¥à¤›à¥‡à¤¦ आदि का निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ मंतà¥à¤°à¤¿à¤®à¤‚डल करता है।
3. निकट के राजà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ से शतà¥à¤°à¥ हो जाते है।
#4. किसी विशेष पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ के लिठही शतà¥à¤°à¥ मितà¥à¤° बनता है।
#5. ऋण, शतà¥à¤°à¥ और रोग को समापà¥à¤¤ कर देना चाहिà¤à¥¤
#6. वन की अगà¥à¤¨à¤¿ चनà¥à¤¦à¤¨ की लकड़ी को à¤à¥€ जला देती है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ दà¥à¤·à¥à¤Ÿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ किसी का à¤à¥€ अहित कर सकते है।
#9. यदि माता दà¥à¤·à¥à¤Ÿ है तो उसे à¤à¥€ तà¥à¤¯à¤¾à¤— देना चाहिà¤à¥¤
#10. यदि सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के हाथ में विष फ़ैल रहा है तो उसे काट देना चाहिà¤à¥¤
#11. सांप को दूध पिलाने से विष ही बà¥à¤¤à¤¾ है, न की अमृत।
#12. à¤à¤• बिगडैल गाय सौ कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ à¤à¤• विपरीत सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का परम हितैषी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿, उन सौ से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है जो आपकी चापलूसी करते हैं|
#13. शतà¥à¤°à¥ की दà¥à¤°à¥à¤¬à¤²à¤¤à¤¾ जानने तक उसे अपना मितà¥à¤° बनाठरखें।
14. सिंह à¤à¥‚खा होने पर à¤à¥€ तिनका नहीं खाता।
#15. à¤à¤• ही देश के दो शतà¥à¤°à¥ परसà¥à¤ªà¤° मितà¥à¤° होते है।
#16. आपातकाल में सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ करने वाला वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ही मितà¥à¤° होता है।
#17. मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के संगà¥à¤°à¤¹ से बल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। जो धैरà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ नहीं है, उसका न वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ है न à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¥¤
#18. कल के मोर से आज का कबूतर à¤à¤²à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ संतोष सब से बड़ा धन है।
#19. विदà¥à¤¯à¤¾ ही निरà¥à¤§à¤¨ का धन है। विदà¥à¤¯à¤¾ को चोर à¤à¥€ चà¥à¤°à¤¾ नहीं सकता।
#20. शतà¥à¤°à¥à¤“ं के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करना चाहिà¤à¥¤
#21. अपने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बने रहने से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ पूजा जाता है।
#22. किसी लकà¥à¤·à¥à¤¯ की सिदà¥à¤§à¤¿ में कà¤à¥€ à¤à¥€ किसी à¤à¥€ शतà¥à¤°à¥ का साथ न करें।
#23. आलसी का न वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ है, और न ही à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¥¤
#24. चंचल चित वाले के कारà¥à¤¯ कà¤à¥€ समापà¥à¤¤ नहीं होते। पहले निशà¥à¤šà¤¯ करिà¤, फिर कारà¥à¤¯ आरमà¥à¤ करिà¤à¥¤
#25. à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ के पीछे चलता है। अरà¥à¤¥, धरà¥à¤® और करà¥à¤® का आधार है। शतà¥à¤°à¥ दणà¥à¤¡à¤¨à¥€à¤¤à¤¿ के ही योगà¥à¤¯ है।
#26. आग में घी नहीं डालनी चाहिठअरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ कà¥à¤°à¥‹à¤§à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अधिक कà¥à¤°à¥‹à¤§ नहीं दिलाना चाहिà¤à¥¤
#27. मनà¥à¤·à¥à¤¯ की वाणी ही विष और अमृत की खान है। दà¥à¤·à¥à¤Ÿ की मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ से शतà¥à¤°à¥ की मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ अचà¥à¤›à¥€ होती है।
#28. दूध के लिठहथिनी पालने की जरà¥à¤°à¤¤ नहीं होती अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° साधन जà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‡ चाहिà¤à¥¤
#29. कठिन समय के लिठधन की रकà¥à¤·à¤¾ करनी चाहिà¤à¥¤
#30. सà¥à¤– का आधार धरà¥à¤® है। धरà¥à¤® का आधार अरà¥à¤¥ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ धन है। अरà¥à¤¥ का आधार राजà¥à¤¯ है।
#31. वृदà¥à¤§à¤œà¤¨ की सेवा ही विनय का आधार है। वृदà¥à¤§ सेवा अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सेवा से ही जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है।
#32. जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से राजा अपनी आतà¥à¤®à¤¾ का परिषà¥à¤•à¤¾à¤° करता है, समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ करता है।
#33. विचार अथवा मंतà¥à¤°à¤£à¤¾ को गà¥à¤ªà¥à¤¤ न रखने पर कारà¥à¤¯ नषà¥à¤Ÿ हो जाता है। लापरवाही अथवा आलसà¥à¤¯ से à¤à¥‡à¤¦ खà¥à¤² जाता है।
#34. सà¤à¥€ मारà¥à¤—ों से मंतà¥à¤°à¤£à¤¾ की रकà¥à¤·à¤¾ करनी चाहिà¤à¥¤ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£à¤¾ की समà¥à¤ªà¤¤à¤¿ से ही राजà¥à¤¯ का विकास होता है।
#35. मंतà¥à¤°à¤£à¤¾ की गोपनीयता को सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® माना गया है। à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° में छिपे कारà¥à¤¯ के लिठशà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मंतà¥à¤°à¤£à¤¾ दीपक के समान पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ देने वाली है।
#36. मंतà¥à¤°à¤£à¤¾ के समय करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पालन में कà¤à¥€ ईरà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾ नहीं करनी चाहिà¤à¥¤ मंतà¥à¤°à¤£à¤¾ रूप आà¤à¤–ों से शतà¥à¤°à¥ के छिदà¥à¤°à¥‹à¤‚ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ उसकी कमजोरियों को देखा-परखा जाता है।
#37. आवाप अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ दूसरे राषà¥à¤Ÿà¥à¤° से संबंध नीति का परिपालन मंतà¥à¤°à¤¿à¤®à¤‚डल का कारà¥à¤¯ है।
#38. दà¥à¤°à¥à¤¬à¤² के साथ संधि न करे। ठंडा लोहा लोहे से नहीं जà¥à¥œà¤¤à¤¾à¥¤
#39. संधि करने वालो में तेज़ ही संधि का हित होता है।
#40. शतà¥à¤°à¥ के पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¥‹à¤‚ की समीकà¥à¤·à¤¾ करते रहना चाहिà¤à¥¤
#41. बलवान से यà¥à¤¦à¥à¤§ करना हाथियों से पैदल सेना को लड़ाने के समान है।
#42. कचà¥à¤šà¤¾ पातà¥à¤° कचà¥à¤šà¥‡ पातà¥à¤° से टकराकर टूट जाता है।
#43. आतà¥à¤® रकà¥à¤·à¤¾ से ही सबकी रकà¥à¤·à¤¾ होती है। आतà¥à¤® समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के हनन से विकास का विनाश हो जाता है।
#44. निरà¥à¤¬à¤² राजा की आजà¥à¤žà¤¾ की à¤à¥€ अवहेलना कदापि नहीं करनी चाहिà¤à¥¤ अगà¥à¤¨à¤¿ में दà¥à¤°à¥à¤¬à¤²à¤¤à¤¾ नहीं होती।
#45. दंडनीति से राजा की पà¥à¤°à¤µà¤¤à¤¿ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का पता चलता है। सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का मूल अरà¥à¤¥ लाठहोता है।
#46. अरà¥à¤¥ कारà¥à¤¯ का आधार है। धन होने पर अलà¥à¤ª पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करने से कारà¥à¤¯ पूरà¥à¤£ हो जाते है।
#47. उपाय से सà¤à¥€ कई कारà¥à¤¯ पूरà¥à¤£ हो जाते है। कोई à¤à¥€ कारà¥à¤¯ कठिन नहीं होता।
#48. कारà¥à¤¯ के मधà¥à¤¯ में अति विलमà¥à¤¬ और आलसà¥à¤¯ उचित नहीं है। कारà¥à¤¯-सिदà¥à¤§à¤¿ के लिठहसà¥à¤¤-कौशल का उपयोग करना चाहिà¤à¥¤
#49. à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ के विपरीत होने पर अचà¥à¤›à¤¾ करà¥à¤® à¤à¥€ दà¥à¤–दायी हो जाता है। अशà¥à¤ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को नहीं करना चाहिठअरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ गलत कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को नहीं करना चाहिà¤|
#50. समय को समà¤à¤¨à¥‡ वाला कारà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ करता है।
#51. समय का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ न रखने वाले राजा का करà¥à¤® समय के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही नषà¥à¤Ÿ हो जाता है।
#52. परीकà¥à¤·à¤¾ करने से लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤° रहती है।
#53. नीतिवान पà¥à¤°à¥à¤· कारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ करने से पूरà¥à¤µ ही देश-काल की परीकà¥à¤·à¤¾ कर लेते है।
#54. अपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ लाठआदि राजà¥à¤¯à¤¤à¤‚तà¥à¤° के चार आधार है। आलसी राजा अपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ लाठको पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं करता।
#55. कारà¥à¤¯-अकारà¥à¤¯ के ततà¥à¤µà¤¦à¤°à¥à¤¶à¥€ ही मंतà¥à¤°à¥€ होने चाहिà¤à¥¤ राजा, गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤šà¤° और मंतà¥à¤°à¥€ तीनो का à¤à¤• मत होना किसी à¤à¥€ मंतà¥à¤°à¤£à¤¾ की सफलता है।
#56. योगà¥à¤¯ सहायकों के बिना निरà¥à¤£à¤¯ करना बड़ा कठिन होता है। à¤à¤• अकेला पहिया नहीं चला करता।
#57. इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर विजय का आधार विनरà¥à¤®à¤¤à¤¾ है। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का कोप सà¤à¥€ कोपों से बड़ा होता है।
#58. आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤œà¤¯à¥€ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की संपतà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤•à¤¤à¥à¤° करने में समरà¥à¤¥ होता है।
#59. जहाठलकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ है वहां सà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥€ का (नध), वहां सरलता से सà¥à¤– आ जाता है|
#60. बिना उपाय के किठगठकारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करने पर à¤à¥€ बचाठनहीं जा सकते, नषà¥à¤Ÿ हो जाते है।
#61. कारà¥à¤¯ करने वाले के लिठउपाय सहायक होता है। कारà¥à¤¯ का सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ हो जाने के बाद वह कारà¥à¤¯ लकà¥à¤·à¥à¤¯ बन जाता है।
#62. असà¥à¤¥à¤¿à¤° मन वाले की सोच सà¥à¤¥à¤¿à¤° नहीं रहती। सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की समà¥à¤ªà¤¤à¤¿ का सà¤à¥€ उपायों से संगà¥à¤°à¤¹ करना चाहिà¤à¥¤
#63. बिना विचार किये कारà¥à¤¯ करने वालों को à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤²à¤•à¥à¤·à¥à¤®à¥€ तà¥à¤¯à¤¾à¤— देती है।
#64. देश और फल का विचार करके कारà¥à¤¯ आरमà¥à¤ करें।
#65. जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ अपने अनà¥à¤à¤µ और अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कारà¥à¤¯ की परीकà¥à¤·à¤¾ करें।
#66. उपायों को जानने वाला कठिन कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ सरल बना लेता है।
#67. विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ की रकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤£ से à¤à¥€ अधिक करनी चाहिà¤à¥¤ चà¥à¤—लखोर शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾ के पà¥à¤¤à¥à¤° और पतà¥à¤¨à¥€ उसे तà¥à¤¯à¤¾à¤— देते है।
#68. बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की सारà¥à¤¥à¤• बातें गà¥à¤°à¤¹à¤£ करनी चाहिà¤à¥¤
#69. साधारण दोष देखकर महान गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को तà¥à¤¯à¤¾à¤œà¥à¤¯ नहीं समà¤à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤
#70. जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ दोष सà¥à¤²à¤ है।
#71. मछवारा जल में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करके ही कà¥à¤› पाता है।
#72. राजा अपने बल-विकà¥à¤°à¤® से धनी होता है।
#73. शतà¥à¤°à¥ à¤à¥€ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के वश में हो जाता है।
#74. उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ हीन वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ à¤à¥€ अंधकारमय हो जाता है।
#75. अपनी कमजोरी का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ न करें। à¤à¤• अंग का दोष à¤à¥€ पà¥à¤°à¥à¤· को दà¥à¤–ी करता है।
#76. शतà¥à¤°à¥ हमेशा छिदà¥à¤° (कमजोरी) पर ही पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° करते है। हाथ में आठशतà¥à¤°à¥ पर कà¤à¥€ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ न करें।
#77. सà¥à¤µà¤œà¤¨à¥‹à¤‚ की बà¥à¤°à¥€ आदतों का समाधान करना चाहिà¤à¥¤ सà¥à¤µà¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के अपमान से मनसà¥à¤µà¥€ दà¥à¤ƒà¤–ी होते है।
#78. सदाचार से शतà¥à¤°à¥ पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की जा सकती है। विकृतिपà¥à¤°à¤¿à¤¯ लोग नीचता का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करते है।
#79. नीच वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को उपदेश देना ठीक नहीं। नीच लोगों पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं करना चाहिà¤à¥¤
#80. à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से पूजने पर à¤à¥€ दà¥à¤°à¥à¤œà¤¨ पीड़ा पहà¥à¤‚चाता है।
#81. कà¤à¥€ à¤à¥€ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ का अपमान नहीं करना चाहिà¤à¥¤
#82. कà¥à¤·à¤®à¤¾à¤¶à¥€à¤² पà¥à¤°à¥à¤· को कà¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤–ी न करें। कà¥à¤·à¤®à¤¾ करने योगà¥à¤¯ पà¥à¤°à¥à¤· को दà¥à¤ƒà¤–ी न करें।
#83. सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤•à¤¾à¤‚त में कहे गठगà¥à¤ªà¥à¤¤ रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को मà¥à¤°à¥à¤– वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ कर देते हैं।
#84. अनà¥à¤°à¤¾à¤— अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤® फल अथवा परिणाम से जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है।
#85. जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯ का फल है। मà¥à¤°à¥à¤– वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ दान देने में दà¥à¤ƒà¤– का अनà¥à¤à¤µ करता है।
#86. विवेकहीन वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ महान à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯ पाने के बाद à¤à¥€ नषà¥à¤Ÿ हो जाते है।
#87. धैरà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने धैरà¥à¤¯à¥‡ से रोगों को à¤à¥€ जीत लेता है।
#88. गà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¨ कà¥à¤·à¥à¤¦à¥à¤°à¤¤à¤¾ को तà¥à¤¯à¤¾à¤— देता है।
#89. कमजोर शरीर में बà¥à¤¨à¥‡ वाले रोग की उपेकà¥à¤·à¤¾ न करें।
#90. शराबी के हाथ में थमें दूध को à¤à¥€ शराब ही समà¤à¤¾ जाता है।
#91. मà¥à¤°à¥à¤– का कोई मितà¥à¤° नहीं है। धरà¥à¤® के समान कोई मितà¥à¤° नहीं है। धरà¥à¤® ही लोक को धारण करता है।
#92. पà¥à¤°à¥‡à¤¤ à¤à¥€ धरà¥à¤®-अधरà¥à¤® का पालन करते है। दया धरà¥à¤® की जनà¥à¤®à¤à¥‚मि है।
#93. धरà¥à¤® का आधार ही सतà¥à¤¯ और दान है।
#94. मृतà¥à¤¯à¥ à¤à¥€ धरà¥à¤® पर चलने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की रकà¥à¤·à¤¾ करती है। जहाठपाप होता है, वहां धरà¥à¤® का अपमान होता है।
#95. लोक-वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में कà¥à¤¶à¤² वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ही बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ है।
#96. सजà¥à¤œà¤¨ को बà¥à¤°à¤¾ आचरण नहीं करना चाहिà¤à¥¤
#97. अधरà¥à¤® बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ से आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¨à¤¾à¤¶ की सà¥à¤šà¤¨à¤¾ मिलती है।
#98. विनाश का उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होना सहज पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से ही जाना जा सकता है।
#99. चà¥à¤—लखोर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के समà¥à¤®à¥à¤– कà¤à¥€ गोपनीय रहसà¥à¤¯ न खोलें।
#100. राजा के सेवकों का कठोर होना अधरà¥à¤® माना जाता है
#101. दूसरों की रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ बातों को नहीं सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤
#102. पराया वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ यदि हितैषी हो तो वह à¤à¤¾à¤ˆ है। उदासीन होकर शतà¥à¤°à¥ की उपेकà¥à¤·à¤¾ न करें।
#103. अलà¥à¤ª वà¥à¤¯à¤¸à¤¨ à¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤– देने वाला होता है।
#104. सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को अमर मानकर धन का संगà¥à¤°à¤¹ करें। धनवान वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का सारा संसार समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करता है।
#105. धनविहीन महान राजा का संसार समà¥à¤®à¤¾à¤¨ नहीं करता। दरिदà¥à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जीवन मृतà¥à¤¯à¥ के समान है।
#106. धनवान असà¥à¤‚दर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ सà¥à¤°à¥à¤ªà¤µà¤¾à¤¨ कहलाता है। याचक कंजूस-से- कंजूस धनवान को à¤à¥€ नहीं छोड़ते।
#107. साधू पà¥à¤°à¥à¤· किसी के à¤à¥€ धन को अपना नहीं मानते है। दूसरे के धन अथवा वैà¤à¤µ का लालच नहीं करना चाहिà¤à¥¤
#108. मृत वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का औषधि से कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¥¤ दूसरे के धन का लोठनाश का कारण होता है।
#109. दूसरे का धन तिनकेà¤à¤° à¤à¥€ नहीं चà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤ दूसरों के धन का अपहरण करने से सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अपने ही धन का नाश हो जाता है।
#110. चोर करà¥à¤® से बà¥à¤•à¤° कषà¥à¤Ÿà¤¦à¤¾à¤¯à¤• मृतà¥à¤¯à¥ पाश à¤à¥€ नहीं है।
#111. जीवन के लिठसतà¥à¤¤à¥‚ (जौ का à¤à¥à¤¨à¤¾ हà¥à¤† आटा) à¤à¥€ काफी होता है।
#112. हर पल अपने पà¥à¤°à¤à¥à¤¤à¥à¤µ को बनाठरखना ही करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है।
#113. निकमà¥à¤®à¥‡ और आलसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को à¤à¥‚ख का कषà¥à¤Ÿ à¤à¥‡à¤²à¤¨à¤¾ पड़ता है।
#114. नीच की विधाà¤à¤ पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का ही आयोजन करती है।
#115. à¤à¥‚खा वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अखादà¥à¤¯ को à¤à¥€ खा जाता है।
#116. इंदà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से बà¥à¥à¤¾à¤ªà¤¾ आना शà¥à¤°à¥‚ हो जाता है।
#117. संपनà¥à¤¨ और दयालॠसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ की ही नौकरी करनी चाहिà¤à¥¤
#118. लोà¤à¥€ और कंजूस सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ से कà¥à¤› पाना जà¥à¤—नू से आग पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के समान है।
#119. नीच और उतà¥à¤¤à¤® कà¥à¤² के बीच में विवाह संबंध नहीं होने चाहिà¤à¥¤
#120. उचित समय पर समà¥à¤à¥‹à¤— (sex) सà¥à¤– न मिलने से सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ बूढी हो जाती है।
#121. न जाने योगà¥à¤¯ जगहों पर जाने से आयà¥, यश और पà¥à¤£à¥à¤¯ कà¥à¤·à¥€à¤£ हो जाते है।
#122. अधिक मैथà¥à¤¨ (सेकà¥à¤¸) से पà¥à¤°à¥à¤· बूà¥à¤¾ हो जाता है।
#123. अहंकार से बड़ा मनà¥à¤·à¥à¤¯ का कोई शतà¥à¤°à¥ नहीं।
#124. सà¤à¤¾ के मधà¥à¤¯ शतà¥à¤°à¥ पर कà¥à¤°à¥‹à¤§ न करें।
#125. शतà¥à¤°à¥ की बà¥à¤°à¥€ आदतों को सà¥à¤¨à¤•à¤° कानों को सà¥à¤– मिलता है।
#126. धनहीन की बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ दिखाई नहीं देती।
#127. वà¥à¤¯à¤¸à¤¨à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कà¤à¥€ सफल नहीं हो सकता।
#128. शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ शतà¥à¤°à¥ को कमजोर समà¤à¤•à¤° ही उस पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ करे|
#129. सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का अतिकà¥à¤°à¤®à¤£ अतà¥à¤¯à¤‚त कठिन है।
#130. धूरà¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के लिठदूसरों की सेवा करते हैं।
#131. राजा के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚ल आचरण नहीं करना चाहिà¤à¥¤
#132. वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को उट-पटांग अथवा गवार वेशà¤à¥‚षा धारण नहीं करनी चाहिà¤à¥¤
#133. देवता के चरितà¥à¤° का अनà¥à¤•à¤°à¤£ नहीं करना चाहिà¤à¥¤
#134. जà¥à¤‚ठमें लिपà¥à¤¤ रहने वाले के कारà¥à¤¯ पूरे नहीं होते है।
#135. शिकारपरसà¥à¤¤ राजा धरà¥à¤® और अरà¥à¤¥ दोनों को नषà¥à¤Ÿ कर लेता है।
#136. शराबी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का कोई कारà¥à¤¯ पूरा नहीं होता है। कामी पà¥à¤°à¥à¤· कोई कारà¥à¤¯ नहीं कर सकता।
#137. दंड का à¤à¤¯ न होने से लोग अकारà¥à¤¯ करने लगते है। दणà¥à¤¡à¤¨à¥€à¤¤à¤¿ से आतà¥à¤®à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ की जा सकती है।
#138. à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ का शमन शांति से करना चाहिà¤à¥¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के कारà¥à¤¯ में आई विपतà¥à¤¤à¥€ को कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ से ठीक करना चाहिà¤à¥¤
#139. कारà¥à¤¯ की सिदà¥à¤§à¤¿ के लिठउदारता नहीं बरतनी चाहिà¤à¥¤ दूध पीने के लिठगाय का बछड़ा अपनी माठके थनों पर पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° करता है।
#140. मà¥à¤°à¥à¤– लोगों का कà¥à¤°à¥‹à¤§ उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ का नाश करता है। सचà¥à¤šà¥‡ लोगो के लिठकà¥à¤› à¤à¥€ अपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¯ नहीं।
#141. केवल साहस से कारà¥à¤¯-सिदà¥à¤§à¤¿ संà¤à¤µ नहीं। वà¥à¤¯à¤¸à¤¨à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ लकà¥à¤·à¥à¤¯ तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ से पहले ही रà¥à¤• जाता है।
#142. दूसरे के धन पर à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ रखना सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ है। नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ विपरीत पाया धन, धन नहीं है।
#143. दान ही धरà¥à¤® है। नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ ही धन है। जो धरà¥à¤® और अरà¥à¤¥ की वृदà¥à¤§à¤¿ नहीं करता वह कामी है।
#144. सीधे और सरल वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ दà¥à¤°à¥à¤²à¤à¤¤à¤¾ से मिलते है। बहà¥à¤¤ से गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को à¤à¤• ही दोष गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ कर लेता है।
#145. चरितà¥à¤° का उलà¥à¤²à¤‚घन कदापि नहीं करना चाहिà¤à¥¤ महातà¥à¤®à¤¾ को पराठबल पर साहस नहीं करना चाहिà¤à¥¤
#146. शतà¥à¤°à¥ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया गया सà¥à¤¨à¥‡à¤¹à¤ªà¥‚रà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° à¤à¥€ दोषयà¥à¤•à¥à¤¤ समà¤à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤
#147. सजà¥à¤œà¤¨ की राय का उलà¥à¤²à¤‚घन न करें। गà¥à¤£à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का आशà¥à¤°à¤¯ लेने से निरà¥à¤—à¥à¤£à¥€ à¤à¥€ गà¥à¤£à¥€ हो जाता है।
#148. दूध में मिला जल à¤à¥€ दूध बन जाता है। कारà¥à¤¯ करते समय शतà¥à¤°à¥ का साथ नहीं करना चाहिà¤à¥¤
#149. आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° कम à¤à¥‹à¤œà¤¨ करना ही सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है।
#150. दà¥à¤·à¥à¤Ÿ के साथ नहीं रहना चाहिà¤à¥¤
#151. रोग शतà¥à¤°à¥ से à¤à¥€ बड़ा है।
#152. सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही दान दें।
#153. चालाक और लोà¤à¥€ बेकार में घनिषà¥à¤ ता को बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ है।
#154. लोठबà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ पर छा जाता है, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ को नषà¥à¤Ÿ कर देता है।
#155. मूरà¥à¤–ों से विवाद नहीं करना चाहिà¤à¥¤ मà¥à¤°à¥à¤– से मूरà¥à¤–ों जैसी ही à¤à¤¾à¤·à¤¾ बोलें।
#156. उपारà¥à¤œà¤¿à¤¤ धन का तà¥à¤¯à¤¾à¤— ही उसकी रकà¥à¤·à¤¾ है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ उपारà¥à¤œà¤¿à¤¤ धन को लोक हित के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में खरà¥à¤š करके सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ कर लेना चाहिà¤à¥¤
#157. अकà¥à¤²à¥€à¤¨ धनिक à¤à¥€ कà¥à¤²à¥€à¤¨ से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है। नीच वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अपमान का à¤à¤¯ नहीं होता।
#158. करà¥à¤® करने वाले को मृतà¥à¤¯à¥ का à¤à¤¯ नहीं सताता। विशेषजà¥à¤ž वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ का आशà¥à¤°à¤¯ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करना चाहिà¤à¥¤
#159. निरà¥à¤§à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की पतà¥à¤¨à¥€ à¤à¥€ उसकी बात नहीं मानती।
#160. निरà¥à¤§à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की हितकारी बातों को à¤à¥€ कोई नहीं सà¥à¤¨à¤¤à¤¾à¥¤
#161. पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¹à¥€à¤¨ होने पर सदा साथ रहने वाला à¤à¥Œà¤°à¤¾ वृकà¥à¤· को तà¥à¤¯à¤¾à¤— देता है।
#162. विदà¥à¤¯à¤¾ से विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ की खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ होती है।
#163. यश शरीर को नषà¥à¤Ÿ नहीं करता।
#164. जो दूसरों की à¤à¤²à¤¾à¤ˆ के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है, वही सचà¥à¤šà¤¾ पà¥à¤°à¥à¤· है।
#165. शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को वश में किया जा सकता है।
#166. नीच वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की शिकà¥à¤·à¤¾ की अवहेलना करनी चाहिà¤à¥¤
#167. मलिछ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ नीच की à¤à¤¾à¤·à¤¾ कà¤à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ नहीं देती।
#168. गलत कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में लगने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही रोक पाते है।
#169. मलिछ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ नीच वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की à¤à¥€ यदि कोई अचà¥à¤›à¥€ बात हो तो अपना लेना चाहिà¤à¥¤
#170. गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से ईरà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾ नहीं करनी चाहिà¤à¥¤ विष में यदि अमृत हो तो उसे गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर लेना चाहिà¤à¥¤
#171. विशेष सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में ही पà¥à¤°à¥à¤· समà¥à¤®à¤¾à¤¨ पाता है। सदैव आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ (शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ जन) के समान ही आचरण करना चाहिà¤à¥¤
#172. मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ का कà¤à¥€ उलà¥à¤²à¤‚घन न करें। विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ और पà¥à¤°à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ समाज के रतà¥à¤¨ है।
#173. परिचय हो जाने के बाद दोष नहीं छिपाते। सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अशà¥à¤¦à¥à¤§ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ दूसरे से à¤à¥€ अशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ की शंका करता है।
#174. अपराध के अनà¥à¤°à¥‚प ही दंड दें। कथन के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही उतà¥à¤¤à¤° दें।
#175. वैà¤à¤µ के अनà¥à¤°à¥‚प ही आà¤à¥‚षण और वसà¥à¤¤à¥à¤° धारण करें। अपने कà¥à¤² अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ वंश के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करें। उमà¥à¤° के अनà¥à¤°à¥‚प ही वेश धारण करें।
#176. सेवक को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के अनà¥à¤•à¥‚ल कारà¥à¤¯ करने चाहिà¤à¥¤ पति के वश में रहने वाली पतà¥à¤¨à¥€ ही वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के अनà¥à¤•à¥‚ल होती है।
#177. कारà¥à¤¯ के अनà¥à¤°à¥‚प पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करें। पातà¥à¤° के अनà¥à¤°à¥‚प दान दें।
#178. शिषà¥à¤¯ को गà¥à¤°à¥ के वश में होकर कारà¥à¤¯ करना चाहिà¤à¥¤ पà¥à¤¤à¥à¤° को पिता के अनà¥à¤•à¥‚ल आचरण करना चाहिà¤à¥¤
#179. अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• आदर-सतà¥à¤•à¤¾à¤° से शंका उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाती है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ होने पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के अनà¥à¤°à¥‚प ही काम करें।
#180. माता दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¥œà¤¿à¤¤ बालक माता के पास जाकर ही रोता है। सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ करने वालों का रोष अलà¥à¤ª समय के लिठहोता है।
#181. मà¥à¤°à¥à¤– वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अपने दोष दिखाई नहीं देते, उसे दूसरे के दोष ही दिखाई देते हैं।
#182. सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ पूरà¥à¤¤à¤¿ हेतॠदी जाने वाली à¤à¥‡à¤‚ट ही उनकी सेवा है।
#183. बहà¥à¤¤ दिनों से परिचित वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• सेवा शंका उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करती है।
#184. अति आसकà¥à¤¤à¤¿ दोष उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करती है। शांत वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सबको अपना बना लेता है।
#185. बà¥à¤°à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पर कà¥à¤°à¥‹à¤§ करने से पूरà¥à¤µ अपने आप पर ही कà¥à¤°à¥‹à¤§ करना चाहिà¤à¥¤
#186. बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को मà¥à¤°à¥à¤–, मितà¥à¤°, गà¥à¤°à¥ और अपने पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ से विवाद नहीं करना चाहिà¤à¥¤
#187. à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯ पैशाचिकता से अलग नहीं होता। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ में गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ न होकर चंचलता होती है।
#188. धनिक को शà¥à¤ करà¥à¤® करने में अधिक शà¥à¤°à¤® नहीं करना पड़ता। वाहनों पर यातà¥à¤°à¤¾ करने वाले पैदल चलने का कषà¥à¤Ÿ नहीं करते।
#189. जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जिस कारà¥à¤¯ में कà¥à¤¶à¤² हो, उसे उसी कारà¥à¤¯ में लगाना चाहिà¤à¥¤
#190. सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ का निरिकà¥à¤·à¤£ करने में आलसà¥à¤¯ न करें। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ पर जरा à¤à¥€ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ न करें। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ बिना लोहे की बड़ी है। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ का आà¤à¥‚षण लजà¥à¤œà¤¾ है।
#191. बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ का आà¤à¥‚षण वेद है। सà¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का आà¤à¥‚षण धरà¥à¤® है। विनय से यà¥à¤•à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾ सà¤à¥€ आà¤à¥‚षणों की आà¤à¥‚षण है।
#192. शांतिपूरà¥à¤£ देश में ही रहें। जहां सजà¥à¤œà¤¨ रहते हों, वहीं बसें। राजा की आजà¥à¤žà¤¾ से सदैव डरते रहे।
#193. राजा से बड़ा कोई देवता नहीं। राज अगà¥à¤¨à¤¿ दूर तक जला देती है। राजा के पास खाली हाथ कà¤à¥€ नहीं जाना चाहिà¤à¥¤
#194. गà¥à¤°à¥ और देवता के पास à¤à¥€ खाली नहीं जाना चाहिà¤à¥¤ राजपरिवार से दà¥à¤µà¥‡à¤· अथवा à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ नहीं रखना चाहिà¤à¥¤
#195. राजकà¥à¤² में सदैव आते-जाते रहना चाहिà¤à¥¤ राजपà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ से संबंध बनाठरखें।
#196. राजदासी से कà¤à¥€ शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिà¤à¥¤ राजधन की ओर आà¤à¤– उठाकर à¤à¥€ नहीं देखना चाहिà¤à¥¤
#197. पà¥à¤¤à¥à¤° के गà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¨ होने से परिवार सà¥à¤µà¤°à¥à¤— बन जाता है। पà¥à¤¤à¥à¤° को सà¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं में कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¶à¥€à¤² बनाना चाहिà¤à¥¤
#198. जनपद के लिठगà¥à¤°à¤¾à¤® का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर देना चाहिà¤| गà¥à¤°à¤¾à¤® के लिठकà¥à¤Ÿà¥à¤®à¥à¤¬ (परिवार) को तà¥à¤¯à¤¾à¤— देना चाहिà¤à¥¤
#199. पà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ लाठहै। पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ पà¥à¤¤à¥à¤° पिता का ही अनà¥à¤—मन करता है।
#200. गà¥à¤£à¥€ पà¥à¤¤à¥à¤° माता-पिता की दà¥à¤°à¥à¤—ति नहीं होने देता। पà¥à¤¤à¥à¤° से ही कà¥à¤² को यश मिलता है। जिससे कà¥à¤² का गौरव बढे वही पà¥à¤°à¥à¤· है।शेष अगले दिन पà¥à¥‡à¤‚ .