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जानिए उस आतंकी संगठन के बारे में जिसने ली हमले की जिम्मेदारी

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार एक आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 23 जवान शहीद हो गए जबकि 17 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। यह हमला श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोर के पास गोरीपोरा में हुआ। इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है। आतंकी संगठन ने एक स्थानीय नागरिक आदिल अहमद उर्फ वकास को आत्मघाती हमलावर के रूप में प्रयोग किया आदिल ने कार बम से सीआरपीएफ के एक काफिले में शामिल बस को उड़ा दिया।

घाटी में पिछले कुछ दिनों से सेना का ऑपरेशन ऑलआउट अभियान चल रहा था जिसके चलते आतंकी घटनाएं थम सी गई थी लेकिन इस आत्मघाती हमले ने यह दिखा दिया कि घाटी में अभी भी जिंदा है जैश-ए-मोहम्मद। आइए आपको बताते हैं क्या हैं भारत में कब से सक्रिय है आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और कब इसकी स्थापना हुई।

जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान का एक (जिहादी) आतंकी संगठन है, जिसका प्रमुख उद्देश्य भारत से कश्मीर को अलग करना है। इसके अलावा यह संगठन पश्चिमी देशों में भी आतंक फैलाने का काम करता है। इस संगठन की स्थापना पाकिस्तान के पंजाब के मौलाना मसूद अजहर ने साल 2000 के मार्च महीने में की थी। आपको बता दें कि साल 1999 में कंधार विमान अपहरण में भी इसी संगठन के नेता मौलाना मसूद अज़हर को छुड़ाने के लिए किया गया था। जिसके बाद अजहर ने इस आतंकी संगठन की नींव रखी। इस आतंकी संगठन में हरकत-उल-अंसार और हरकत-उल-मुजाहिदीन के कई आतंकी शामिल हैं। इस संगठन का मुखिया मौलाना मसूद अज़हर खुद भी हरकत-उल-अंसार का महासचिव रह चुका था।

इस संगठन को भारत में हुए कई आतंकी हमलों का जिम्मेदार माना जाता है। साल 2002 जनवरी में पाकिस्तान ने भी इसे आतंकी संगठन बताकर बैन कर दिया था जिसके बाद इस संगठन ने अपना नाम बदलकर 'ख़ुद्दाम उल-इस्लाम' कर लिया था। यह संगठन भारत, अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा जारी आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल है। इस अपहरण कांड में भारत ने अजहर के साथ दो और आतंकी संगठन के मुखिया को छोड़ा था।

दुनिया अभी साल 2001 न्यूयॉर्क और वाशिंगटन के हमलों से अभी उबर भी नहीं पाई थी कि इसी साल 1 अक्टूबर को भारत के जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में विधानसभा आत्मघाती हमला हुआ इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली लेकिन अगले ही दिन वो इससे मुकर गया। इस महीने भारत ने बार-बार अमेरिका से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को आतंक संगठन की सूची में डालने का अनुरोध किया लेकिन अमेरिका ने इन्हें आतंकी संगठन की सूची से बाहर रखा।

आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के लिए आत्मघाती हमले करना सबसे पसंदीदा तरीका है। संगठन के मुखिया मौलाना मसूद अज़हर कट्टरपंथी विचारों वाले संदेश सोशल मीडिया और सीडी, डीवीड के द्वारा कश्मीर की घाटी में भेजकर युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।

जैश-ए-मोहम्मद का मतलब होता है ‘मुहम्मद की सेना’। इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद को धरती पर अल्लाह का आखिरी पैगंबर माना जाता है। लेकिन यह एक आतंकी संगठन है जिसे भारत समेत कुछ पश्चिमी देशों में आतंक फैलाने के लिए किया जा रहा है।

 à¤¯à¤¹ खतरनाक आतंकी संगठन कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए बनाया गया है। घाटी में इस संगठन ने कई बार हमले किए यह संगठन पीओके से ऑपरेट होता है। जैश-ए-मोहम्मद कश्मीर के सबसे खतरनाक आतंकी संगठनों में से है।

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने साल 2002 से इस आतंकी संगठन को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके अलावा इस संगठन को ऑस्ट्रेलिया, यूएई, कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र भी इसे आतंकी संगठन मानते हैं।

 

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मौलाना मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन का तैयार किया आपको बता दें कि अजहर वही आतंकी है जिसे अटल सरकार में कंधार विमान अपहरण के बाद भारत से छुड़ाया गया था।

सूत्रों की मानें तो इस आतंकी संगठन के निर्माण में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI अफगानिस्तान का तालिबान, ओसामा बिन लादेन और पाकिस्तान के कई सुन्नी संगठनों ने मदद की।

 

दिसंबर 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले में भी इसी आतंकी संगठन (जैश-ए-मोहम्मद) का हाथ था। इस मामले में प्रोफेसर अफजल गुरु समेत चार आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। और अफजल को फांसी की सजा दी गई।

इस संगठन (जैश-ए-मोहम्मद) की हाफिज सईद के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से भी अच्छी दोस्ती रही है 2001 में भारतीय संसद हमले को दोनों संगठनों ने मिलकर अंजाम दिया था।

इसी संगठन ने साल 2002 फरवरी में पाकिस्तान की राजधानी कराची में अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल का अपहरण करके हत्या कर दी थी।

साल 2009 में पुलिस ने इस आतंकी संगठन (जैश-ए-मोहम्मद) के 4 आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया था। ये आतंकी न्यूयॉर्क में बम धमाके और अमेरिकी वायुसेना पर हमले की साजिश रच रहे थे।

कश्मीर की घाटी में हिंसा फैलाना मुख्य उद्देश्य

इस आतंकी संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य जम्मू और कश्मीर की घाटी में हिंसा फैलाना है। इस आतंकी संगठन की स्थापना के दो महीने के भीतर श्रीनगर के बदामी बाग स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर आत्मघाती हमला किया और घटना की जिम्मेदारी अपने सिर पर ली।

यह हमला 23 अप्रैल साल 2000 को किया गया जिसमें एक स्थानीय युवा को फिदायीन हमलावर बनाकर विस्फोटक से भरी कार को पुलिस मुख्यालय में हमला करवा दिया गया।

इसी तरह साल 2001 के सितंबर में एक और आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटक से भरी कार लेकर श्रीनगर की विधानसभा भवन में घुसा दी थी। इस घटना में 38 लोग मारे गए थे।इसी तरह इस संगठन ने साल 2000 के जून में कश्मीर सचिवालय में हुए हमले की जिम्मेदारी भी ली।

 

 

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