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अब नागरिक क्रांति का सही समय: वरूण गांधी

ग्वालियर।  ’ सूचनाक्रांति, औद्योगिक क्रांति, तकनीक क्रांति के बाद वर्तमान स्थिति देखते हुए नागरिक क्रांति स्थापित करने का वक्त आ चुका है। जब आप किसी चीज को बदलने की ठान लेंगे और स्वयं जुट जाएंगे तो परिवर्तन भी आएगा और चेतना भी जागेगी। चाहे वो हैदराबाद के 12 वर्षीय रवि तेजा का उदाहरण हो जिसने एक गड्डे के कारण दो लोगों की ऑन द स्पॉट मृत्यु होने से आहत होकर स्वयं अपने साथियों के साथ गड्ढे भरने का काम करते करते एक एप्प तक तैयार करली। जिसमें अगर कोई भी गड्ढे या लीकेज की रिपोर्ट करता है तो वो जल्द से जल्द भरवाया जाता है वरना जिम्मेदार कर्मचारी की तंख्वाह से हर रोज 100 रूप्ए कटकर शिकायत भेजने वाले के अकाउंट में भेजा जाना हो या फिर मुम्बई के बर्सोबा बीच की गंदगी साफ करने की मुहिम लेकर 18 साल के अफरोज और 80 साल के हरवंश दोनों घंटो सफाइ्र में जुटे रहते हों जिन्हें देखकर बाकी लोग भी प्रेरित होकर रोजाना वहां सफाई कार्य में जुटने लगे हों । इन सबकी सोच है कि अगर हम अपने गांव, इलाके या देश को गंदा रखेंगे तो इससे हमारा ही नुकसान है। ये नागरिक क्रांति है, ये क्रांति अमीरो, बड़ो व विकसित वर्गो के लिए नहीं है ये सामान्य नागरिकों से 

कुछ ऐसे ही उदाहरणों के साथ नागरिक कर्तव्यों का व विकसित देश बनाने के लिए मार्गदर्शन देने का प्रयास कर रहे थे लेखक एवं सांसद सदस्य वरूण गांधी। वे आईटीएम यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित 28 वें मीटिंग ऑफ माइंड के अंतर्गत आयोजित लोकार्पण व चर्चा कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे। इस कार्यक्रम में वरूण गांधी की पुस्तक ’ए रूरल मेनीफेस्टो’ का विमोचन किया गया। सर्वप्रथम कार्यक्रम की शुरूआत में यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ केके द्विवेदी ने उनका अभिनंदन किया। इसके बाद आईटीएम यूनिवर्सिटी के फाउंडर चांसलर रमाशंकर सिंह ने परिचयात्मक उद्बोधन दिया। तदोपरांत फाउंडर चांसलर रमाशंकर सिंह, लेखक एवं सांसद वरूण गांधी, प्रो चांसलर रूचि सिंह चौहान, मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ दौलत सिंह चौहान, रजिस्ट्रार ओमवीर सिंह ने ’ए रूरल मेनीफेस्टो’ किताब का विमोचन किया। 
विमोचन के बाद पुस्तके के लेखक व संसद सदस्य वरूण गांधी ने मंच से अपने उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कई लोग किसानों के कर्ज माफी पर भी सवाल उठाते हुए कहते हैं कि किसानों के कर्ज माफी करने से वे आलसी हो जाएंगे जबकि वास्तविकता में देखा जाए तो 1952 से 2017 तक जितने कर्ज किसानों के माफ किए गए उससे औद्याोगिक परिवारों के बैंक लोन माफ करने का प्रतिशत निकाला जाए तो उससे मात्र 18 प्रतिशत किसानों कर्ज माफी संख्या निकली है। औद्योगिक परिवारों के लगभग 11 लाख करोड़ की बैंक लोन माफी हो चुकी है, जो वाकई में आश्चर्यजनक है। सांसदों को चाहिए  à¤¿à¤•à¤µà¥‡ ऐसे मुद्दे उठाएं, डिबेट करें। मैं स्वयं अपनी बतौर सांसद मिलने वाली तंख्वाह को किसी शहीद परिवार या जरूरतमंद को दे देता हूं क्योंकि हममें से आर्थिक रूप् से सम्पन्न लोगों को समाज पर बोझ नहीं बनना चाएिह। 
मेरा मानना है कि बदलाव हम प्रयासों से ला सकते हैं वैसे भी  à¤¦à¥‡à¤¶ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, अमेरिका स्थित नासा में 4200 सदस्यों में से 1700 सदस्य केवल भारत से हैं। सिर्फ दुखद ये है कि हर आदमी मालिकाना हक साबित करने में मानसिक रूप् से सक्षम नहीं है। जिनकी मदद हमें अपने छोटे-छोटे प्रसायों से कर सकते हैं क्योंकि समृद्ध भारत के सपने की इच्छा रखने से नहीं प्रयास करने से वह समृद्ध हो सकेगा। कार्यक्रम के अंत में यूनिवर्सिटी की प्रो चांसलर रूचि सिंह चौहान ने वरूण गांधी को स्मृति चिन्ह प्रदान किया। आभार प्रदर्शन मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ दौलत सिंह चौहान ने किया और कहा कि देश में 7.5 लाख गांव हैं अगर हम इन्हें खत्म कर देंगे या एग्रीकल्चर को नुकसान पहुचाएंगे तो देश भी खत्म हो जाएगा। इस किताब में बेहतरीन समाधान लिखे हैं कोशिश करेंगे कि हम यूनिवर्सिटी में अपने कुछ विभागों की टीम बनाकर ऐसे सॉल्यूशन को समझकर आसपास के गांव में परिवर्तन लाने की पहल कर सकें। आखिर में कार्यक्रम का विधिवत समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया। 
मेरा ट्विटर अकाउंट है वरूणगांधी 80 
आपके अंदर जो भी मुद्दे हैं, जिसकी आग आपकी अंदर जल रही है या जिस समस्या के लिए भी आपको आवाज उठानी है। वो आप मुझे मेरे ट्विटर अकाउंट अकाउंट वरूणगांधी80 पर भेज सकते हैं। मैं संसद में आपके लिए आवाज उठाउंगा और आपके लिए लड़ाई लडूंगा। इससे पहले भी मैं कई मुद्दों पर अकेले लडक़र समाधान निकाल चुका हूं वो चाहे सांसदों या विधायकों की बिना मापदंड तय किए चौगुनी होती तंख्वाह हो मया फिर अपने क्षेत्र सुल्तानपुर में भूखे लोगों तक दो वक्त का खाना पहुंचाने के लिए शुरू किया रोटी बैंक हो। जिसमें शहर के रेस्टोरेंट व आम नागरिकों के एक रोटी के सहयोग के जरिए 70-800 हजार प्रतिदिन रोटी इक_ीर होने पर 10-15 हजार लोगों को रोजाना दो टाइम का भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। मैं अब अन्य दो किताबों अरबन प्लानिंग व देश के जनआंदोलन का इतिहास पर काम कर रहा हूं दो साल में ये किताब भी आपके समक्ष होगी। 

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