सोन चिड़िया फिलà¥à¤® की सीडी कोरà¥à¤Ÿ में पेश की जाà¤- हाईकोरà¥à¤Ÿ
गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤°à¥¤ हाईकोरà¥à¤Ÿ की यà¥à¤—ल पीठने सोन चिड़िया फिलà¥à¤® के डायरेकà¥à¤Ÿà¤°, पà¥à¤°à¥‹à¤¡à¥à¤¯à¥‚सर, अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾, अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€ सहित 15 लोगों को नोटिस जारी कर 5 मारà¥à¤š तक जवाब मांगा है। कोरà¥à¤Ÿ ने फिलà¥à¤® के डायरेकà¥à¤Ÿà¤° व पà¥à¤°à¥‹à¤¡à¥à¤¯à¥‚सर को आदेश दिया है कि फिलà¥à¤® की असली सीडी कोरà¥à¤Ÿ में पेश की जाà¤à¥¤
ताकि याचिकाकरà¥à¤¤à¤¾ की आपतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤·à¥à¤Ÿ करने के लिठजरूरत पड़ने पर उसे देखा जा सके। पूरà¥à¤µ दसà¥à¤¯à¥ मलखान सिंह व मान सिंह के परपोते जंडेल सिंह ने सोन चिड़िया फिलà¥à¤® के खिलाफ याचिका दायर की है।
दोनों का तरà¥à¤• है कि फिलà¥à¤® में उनकी छवि खराब करने की कोशिश की गई और जिस किताब से फिलà¥à¤® की कहानी ली गई है, उसके लेखक से फिलà¥à¤® के डायरेकà¥à¤Ÿà¤° व पà¥à¤°à¥‹à¤¡à¥à¤¯à¥‚सर ने इजाजत नहीं ली है।
मलखान दा सà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥€ ऑफ ठवेनडिट किंग किताब पूरà¥à¤µ दसà¥à¤¯à¥ मलखान सिंह के जीवन पर लिखी गई है। जब मलखान सिंह ने 1982 में मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ अरà¥à¤œà¥à¤¨ सिंह के समकà¥à¤· आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¤°à¥à¤ªà¤£ किया था, उस वकà¥à¤¤ यह किताब मलखान सिंह को à¤à¥‡à¤‚ट की गई थी।
इस किताब में लिखी कहानी के आधार पर सोन चिड़िया फिलà¥à¤® बनाई है। फिलà¥à¤® में दसà¥à¤¯à¥ मानसिंह की गैंग दिखाई गई है, लेकिन फिलà¥à¤® में कहानी मलखान दा सà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥€ ऑफ ठवेनडिट किंग किताब की बताई गई है।इसको लेकर पूरà¥à¤µ दसà¥à¤¯à¥ मलखान सिंह व दसà¥à¤¯à¥ मानसिंह के परपोते जंडेल सिंह ने आपतà¥à¤¤à¤¿ की है और हाईकोरà¥à¤Ÿ में याचिका दायर की है। दोनों की ओर से तरà¥à¤• दिया गया है कि फिलà¥à¤® बनाने से पहले डायरेकà¥à¤Ÿà¤° व पà¥à¤°à¥‹à¤¡à¥à¤¯à¥‚सर ने कोई इजाजत नहीं ली है।
- दसà¥à¤¯à¥ मान सिंहसिंह 1939 में चंबल के बीहड़ों में कूद गठथे और 1955 तक मानसिंह के नाम से चंबल के बीहड़ों में पहचाने जाते थे। 1955 में मान सिंह मारे गà¤à¥¤ इटवा कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में मान सिंह का मंदिर बना हà¥à¤† है।
- मलखान सिंह 1972 में बागी होकर चंबल के बीहड़ों में कूद गठथे और चंबल के बीहड़ उनके नाम से पहचाने जाने लगे, लेकिन 1982 में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आतà¥à¤® समरà¥à¤ªà¤£ कर दिया था। - सोन चिड़िया फिलà¥à¤® में दोनों की कहानी को मिकà¥à¤¸ किया गया है, जिस पर मलखान सिंह व मानसिंह के परिवार ने आपतà¥à¤¤à¤¿ की है।