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PAK में सरकार ने हाफिज सईद के जमात-उद-दावा हेड क्वार्टर पर किया कब्जा, यहीं से देता था फतवे

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने 26/11 के आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के मुख्यालय को अपने कब्जे में ले लिया है. प्रांतीय सरकार ने यह कार्रवाई 4 मार्च को नेशनल एक्शन प्लान पर हुई नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की बैठक में हुए फैसले के बाद की है. इसमें सभी प्रतिबंधित संगठनों की संपत्तियां जब्त करने के आदेश दिए गए थे.

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने गुरुवार को लाहौर स्थित मरकज अल कदसिया मस्जिद और मुरीदके स्थित जमात-उद-दावा के मुख्यालय को अपने कब्जे में ले लिया. बता दें कि लाहौर की मरकज अस कदसिया मस्जिद से ही हाफिज सईद अपने फरमान जारी किया करता था. हाफिज का संगठन जमात-उद-दावा का मुख्यालय लाहौर के नजदीक मुरीदके में है. जबकि हाफिज सईद फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के नाम से चैरिटी का काम करता था. इस संगठन के अंतर्गत कई अस्पताल, मदरसे और एंबुलेंस सेवाएं चलती थीं.

बता दें कि पंजाब की प्रांतीय सरकार ने बुधवार को रावलपिंडी में हाफिज सईद के मदरसे, अस्पताल और डिस्पेंसरी को सील किया था. यह कार्रवाई चकवाल और अटौक जिले में की गई थी. जिसमें चकवाल जिले में मदरसा खालिद बिन वलीद और मदरसा दारुस सलाम को सील करने के साथ ही अटौक जिले में एक मदरसा और मस्जिद मुसाब बिन उमैर को भी सील किया गया.

जबकि इससे पहले मंगलवार को पाकिस्तान के आंतरिक मामले के मंत्रालय के आदेश पर जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर का भाई हमाद अजहर और साला रऊफ असगर समेत विभिन्न प्रतिबंधित संगठनों के 44 लोगों को हिरासत में लिया गया था. इसके साथ ही पाकिस्तान सरकार ने हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन समेत अन्य प्रतिबंधित संगठनों की संपत्तियां जब्त करने का आदेश दिया था.

बुधवार को ही पाकिस्तान के वित्त सचिव आरिफ अहमद खान ने अपने एक बयान में कहा था कि अगर पाकिस्तान प्रतिबंधित संगठनों पर कार्रवाई में तेजी नहीं लाता है तो उसे आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि दुनिया भर में आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाले संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को 10 सुत्रीय ऐक्शन प्लान के तहत कार्रवाई करने के लिए जून 2019 तक का समय दिया है.

जून 2019 में FATF की समीक्षा बैठक में पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग रोकने की दिशा में की गई कार्रवाई के सबूत देने हैं. पाकिस्तान का नाम पहले से ही FATF की निगरानी सूची यानी ग्रे-लिस्ट में शामिल है. अगर पाकिस्तान सरकार जून 2019 की बैठक तक संतोषजनक कार्रवाई नहीं करती है तो सितंबर 2019 में उसे ब्लैक लिस्ट में डाला जा सकता है. जिसके बाद पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लगना तय हो जाएगा.

 

 

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