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कॉलेजों में छात्र अब नहीं कर पाएंगे नारेबाजी, धरना-प्रदर्शन

एमपी के कॉलेजों में अब छात्र नारेबाजी नहीं कर पाएंगे. सूबे के कॉलेजों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज कैम्पस में नारेबाजी पर प्रतिबंध लगाने की पहल की है. इस पहल के मुताबिक कॉलेजों में छात्रों का धरना-प्रदर्शन, नारेबाजी पर बैन होगा. इस आदेश के साथ ही अब इस पर सियासत भी शुरु हो गई है. बीजेपी समर्थित छात्र संगठन एबीवीपी ने इसे छात्रों की आवाज दबाने वाला फैसला बताया है. वहीं कुछ इसका स्वागत भी कर रहे हैं.

राजनीति का अखाड़ा बने कॉलेजों को सुधारने को सरकार अनुशासन के नाम पर नया रूल लेकर आई है. उच्च शिक्षा विभाग के जारी आदेश में शिक्षक और स्टूडेंट्स को अनुशासन का पाठ पढ़ाने और कॉलेज में अनुशासन कायम करने 10 नए नियम लागू किए गए हैं. इसमें अनुशासन के नाम पर कॉलेजों में खड़े हुए छात्र संगठनों के धरने, प्रदर्शन और नारेबाजी पर बैन लगा दिया गया है. सख्त हिदायत दी गई है जो भी कॉलेज और विश्वविद्यालयों में शांति भंग का काम करेगा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी. उच्च शिक्षा विभाग के इस आदेश की बात करें तो इसमें कहा गया है कि

इन नियमों से जहां सरकार कॉलेजों में राजनीतिकरण के दाग को धोने की कोशिश में लगी है वहीं सरकार का यह भी कहना है ये कदम कॉलेज में पढ़ाई को बढ़ावा देगा. वहीं इस आदेश पर अब सियासत गरमा गई है. तमाम छात्र संघ इसके विरोध में उतर आए हैं. स्टूडेंट यूनियनों का कहना है कि कॉलेजों में नारेबाजी छात्रों की परेशानी दूर करने के लिए की जाती है. स्टूडेंट यूनियन सरकार पर आरोप भी लगा रही है कि इस आदेश से सरकार स्टूडेंट्स की आवाज दबाने की कोशिश में लगी है.विद्यार्थी अनिवार्य तौर पर शिक्षकों और कर्मचारियों का सम्मान करें. स्टूडेंट्स किसी भी कर्मचारी या शिक्षक के खिलाफ कोई असहिष्णु टिप्पणी न करें. संस्था की इमारत के फर्नीचर की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्टूडेंट की अब होगी. शिक्षण संस्थानों का राजनीतिकरण नहीं किया जाएगा. अनुशासन में अड़ंगा डालने वाले और शांति भंग करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी.

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