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36 इंच के दूल्हा-दुल्हन ने रचाई शादी, देखने उमड़ पड़ा गांव

कहा जाता है कि जोड़ियां भगवान बनाकर भेजता है. ऐसा ही कुछ हुआ मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के ग्राम पुनासा में. यहां के 36 वर्षीय धनेश राजवैद्य और चेतना ने शादी रचाई. 
पिछले 10 वर्षों से धनेश अपने लिए दुल्हन की तलाश कर रहे थे. पढ़े लिखे होने के साथ-साथ उनके पास अच्छी सरकारी नौकरी भी है और वह सब कुछ जिसकी किसी भी विवाह योग्य कन्या की हसरत होती है. लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा थी तो उनकी ऊंचाई जो थी सिर्फ तीन फिट यानि 36 इंच.जाहिर है अपनी ही ऊंचाई की लड़की ढूंढना उनके लिए बड़ी चुनौती थी. निमाड़ के ही पश्चिमी अंचल में जब उन्हें पता चला कि उन्हीं की तरह 36 इंच की कन्या भी है तो फिर हो गया चट मंगनी और पट ब्याह. अपने पांच भाई बहनो में धनेश उम्र में तो सबसे छोटे थे ही, कद में भी छोटे रह गए. उनकी तीन बड़ी बहनें और एक भाई सामान्य कद काठी के हैं. बचपन से ही अपने छोटे कद के कारण उन्हें भारी मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी, लेकिन खुद को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया. पुनासा में रहकर ही स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने ग्रेजुएशन किया फिर हिन्दी में एमए इसके बाद बी एड और पीजीडीसीए भी किया. à¤‰à¤¨à¤•à¥€ इच्छा शिक्षा विभाग में सेवाएं देने की थी, लेकिन उन्हें पंचायत सचिव के पद पर नौकरी मिल गई. अच्छी शिक्षा ,अच्छी नौकरी के बाद उन्हें अपने ही कद की दुल्हन की तलाश थी. पिछले दस वर्ष से इस तलाश में जब उन्हें योग्य साथी नहीं मिला तो उम्मीदें टूटने लगी. धनेश कहते है कि मुझे लगता था कि शायद उनकी तक़दीर में शादी नहीं लिखी है, उन्हें अपने कद काठी का जीवन साथी नहीं मिल पाएगा. इस बीच कहीं चर्चा चली तो किसी ने उन्हें बताया कि बड़वानी जिले के ग्राम मड़वाणा में उनकी तरह ही एक युवती है जो पढ़ी लिखी भी है और अच्छे परिवार से है. बिना समय गंवाए वे तत्काल मड़वाणा पहुंच गए ,वहां 36 इंच (3 फीट ) की चेतना शर्मा से पहली बार मिले तो लगा जैसे बरसों पुरानी मुराद पूरी हो गई. à¤µà¥‡ कहते है कि जब पहली नज़र में ही चेतना को देखा तो लगा कि अब उनकी तलाश ख़त्म हो गई है फिर भी उन्हें लगता था कि इस असामान्य कद काठी के कारण जीवन में कुछ समस्याएं आ सकती है. इसलिए बैठकर चर्चा करना जरुरी है. उन्होंने आपस में हर विषय पर चर्चा की. गहराई से विचार किया और फिर जीवन भर के लिए साथ रहने का निर्णय किया.चेतना उनसे 8 वर्ष छोटी है लेकिन वह भी इकोनॉमिक्स में एमए है. वैचारिक रूप से बहुत परिपक़्व है. चेतना ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत समूह में प्रशिक्षण देने का कार्य किया. समूह बनाकर सेनेटरी नेपकिन बनाकर उसकी मार्केटिंग भी की. वे खुद कद में छोटी जरूर है लेकिन महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए ही कार्य करना चाहती है.

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