आखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ खास है सिंधिया घराने की गॠगà¥à¤¨à¤¾ सीट
लोकसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ 2019 का बिगà¥à¤² बज चà¥à¤•à¤¾ है. देश की पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• लोकसà¤à¤¾ सीट पर सियासी जमावट शà¥à¤°à¥ हो गई है. हार-जीत के गणित में à¤à¤•-à¤à¤• सीट अहम है. वहीं कà¥à¤› सीटें à¤à¤¸à¥€ à¤à¥€ हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤› खास वजहों से गिना जाता है. इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ सीटों में से à¤à¤• है मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की गà¥à¤¨à¤¾ सीट. किसी ज़माने में सेना का कैंप रहा गà¥à¤¨à¤¾ आज सिंधिया घराने का गढ़ बन चà¥à¤•à¤¾ है. गà¥à¤¨à¤¾ सीट की सेना कैंप से लेकर राजघराने से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤µ तक की कहानी बेहद दिलचसà¥à¤ª है.
दरअसल, आम तौर पर लोग गà¥à¤¨à¤¾ को सिंधिया घराने के जà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤µ के साथ ही जानते हैं लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि आज का गà¥à¤¨à¤¾ à¤à¤• ज़माने में राजघराने से लेकर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ सेना तक का कैंप रहा है. गà¥à¤¨à¤¾ का पूरा नाम ही गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° यूनियन नेशनल आरà¥à¤®à¥€ है. गà¥à¤¨à¤¾ यानि गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° यूनियन नेशनल आरà¥à¤®à¥€.- 19वीं सदी से पहले गà¥à¤¨à¤¾ आज का ईसागढ (अशोकनगर) जिले का à¤à¤• छोटा सा गांव हà¥à¤† करता था.ईसागढ को सिंधिया राजाओं के सेनापति जॉन वेरेसà¥à¤Ÿà¤° फिलोरà¥à¤¸ ने खींचीं राजाओं से जीता था.
- ईसामसीह के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ में इसका नाम तब ईसागढ रखा गया.
- 1844 में गà¥à¤¨à¤¾ में गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° राजघराने की फौज रहा करती थी.- सेना के विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ करने के कारण 1850 में इसे अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ फौज की छावनी में तबà¥à¤¦à¥€à¤² किया गया.
- 1922 में छावनी को गà¥à¤¨à¤¾ से गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° शिफà¥à¤Ÿ कर दिया गया था.
- बाद में 1937 में जिले का नाम ईसागढ की जगह गà¥à¤¨à¤¾ कर दिया गया.
गà¥à¤¨à¤¾ के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के साथ ही सिंधिया घराने का जà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤µ इस संसदीय सीट से रहा है. यही वजह है कि सिंधिया परिवार के सदसà¥à¤¯ फिर à¤à¤²à¥‡ वो बीजेपी में हों या कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ में यहां से जीत दरà¥à¤œ करते आठहैं.
- 1957 में हà¥à¤ लोकसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में इस सीट से राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के टिकट पर जीत दरà¥à¤œ की थी
- 1971 में माधव राव सिंधिया ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनसंघ के टिकट पर चà¥à¤¨à¤¾à¤µ जीता था
- हालांकि 1977 में माधव राव सिंधिया निरà¥à¤¦à¤²à¥€à¤¯ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ लड़े और जीते
- 1980 तक कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ में शामिल हो चà¥à¤•à¥‡ माधव राव सिंधिया फिर चà¥à¤¨à¤¾à¤µ लड़े और जीते
- 1989 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया बीजेपी के टिकट पर फिर चà¥à¤¨à¤¾à¤µ लड़ीं और जीत दरà¥à¤œ की
- इसके बाद राजमाता का चà¥à¤¨à¤¾à¤µ जीतने का ये सिलसिला 1998 तक जारी रहा
- 2002 से इस सीट से कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के टिकट पर जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤à¥à¤¯ सिंधिया लगातार सांसद हैं
वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समीकरण
मौजूदा वकà¥à¤¤ में गà¥à¤¨à¤¾ सीट कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के कबà¥à¤œà¥‡ में है. बीजेपी कोशिश à¤à¤²à¥‡ करे यहां अपना à¤à¤‚डा फहराने की लेकिन दबी जà¥à¤¬à¤¾à¤¨ से ये मानने में उसे à¤à¥€ गà¥à¤°à¥‡à¤œ नहीं कि यहां सिंधिया घराने को शिकसà¥à¤¤ देना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² है. गà¥à¤¨à¤¾ सीट सियासी तौर पर सिंधिया घराने के कबà¥à¤œà¥‡ में रही है.