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युवक में निपाह वायरस की पुष्टि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बुलाई बैठक

नई दिल्ली। à¤•à¥‡à¤°à¤² के एर्नाकुलम के एक निजी अस्पताल में भर्ती 23 साल के युवक में निपाह वायरस की पुष्टि हो गई है। एर्नाकुलम का रहने वाला छात्र इडुक्की में पढ़ता था और दस दिनों से बुखार सहित निपाह वायरस के लक्षणों से पीड़ित था। वह इडुक्की के 22 छात्रों के समूह के साथ त्रिशूर की एक कंपनी में इंटर्नशिप प्रोग्राम के लिए आया था। इंटर्नशिप के बाद, छात्र अपने घर वापस चला गया था। उसका बुखार कम नहीं होने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान जांच के सैंपल एलेप्पी और पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को भेजे गए थे, जहां से आई रिपोर्ट के बाद युवक में निपाह वायरस की पुष्टि हुई है।

निपाह वायरस की पुष्टि होने के बाद दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा अपने आवास पर मीटिंग बुलाई गई। मीटिंग में हेल्थ सेक्रेटरी भी मौजूद थे। बैठक में निपाह वायरस के खतरे से निपटने को लेकर चर्चा की गई। डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि केरल में संदिग्ध मामला सामने आने के बाद सोमवार को ही 6 अधिकारियों की टीम को केरल भेजा गया था।

उन्होंने कहा कि 'मैं केरल के स्वास्थ्य मंत्री को भरोसा दिलाता हूं कि उन्हें केंद्र सरकार की ओर से सभी जरुरी मदद की जाएगी। हम वायरस के टेस्ट के लिए चमगादड़ मुहैया कराने वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट की भी मदद लेंगे। मैं नहीं सोचता हूं कि घबराने की कोई जरुरत है।'

उल्लेखनीय है कि केरल में पहली बार मई 2018 में निपाह वायरस फैला था और इससे 17 लोगों की मौत हो गई थी। इसकी शुरुआत कोझीकोड के पेरम्बरा के एक ही परिवार के 3 लोगों में लक्षण दिखने के साथ हुई थी। 95 फीसदी मृत्यु दर के साथ निपाहा हाल ही में केरल में फैलने वाले सबसे घातक वायरस में से एक है। इसके फैलने के बाद तिरुवनंतपुरम में पहली बार वायरोलॉजी संस्थान खोला गया।

निपाह मेडिकल साइंस के लिए बडी़ चुनौती की तरह सामने आया है। मेडिकल विशेषज्ञों का मानना है कि निपाह वायरस के इंफेक्शन का खतरा इस कदर मंडरा रहा है कि इससे कभी भी महामारी फैलने का डर है। यह मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिए जानलेवा बन सकता है। जानकारी के मुताबिक पहली बार 1998 में मलेशिया के एक प्रांत कंपुंग से इसकी पहचान की गई थी।

 

इस रोग के फैलने का तरीका भी नाटकीय है चमगादड़ जिस पेड़ पर रहते है उसके फलों को संक्रमित करते है जब उस फल को कोई जानवर या मनुषय खा लेता है तो उसको निपा वायरस की इंफेक्शन हो जाती है।.

निपाह रोगियों के लक्षण

 

मनुष्यों में एनआईवी संक्रमण एन्सेफलाइटिस से जुड़ा हुआ है। इसमें मस्तिष्क की सूजन, बुखार, सिरदर्द, उनींदापन, विचलन, मानसिक भ्रम, कोमा जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। इनसे रोगी की मौत भी होने का खतरा बना रहता है। सीडीसी के मुताबिक, निपाह वायरस के रोगी 24-48 घंटों के भीतर कोमा में जा सकता है।

क्या है इलाज

 

निपाह वायरस का अभी तक कोई सटीक उपचार नहीं खोजा गया है। लेकिन इसकी कुछ एलॉपथी दवाईयां है लेकिन वो भी अब तक कारगर सिद्ध नहीं हुई है। ये एक संक्रामक बीमारी है जो एक से दूसरे तक फैलती है। ऐसे में सलाह दी जाती है कि प्रभावित इंसान, जानवर या चमगादड़ के संपर्क में ना आएं। साथ ही गिरे हुए फलों को खाने की भी सलाह नहीं दी जाती है। सावधानी ही बचाव है।

 

 

 

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