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बालाकोट से पहले भी LOC पार करके हुई थी एयर स्ट्राइक

ग्वालियर। करगिल युद्ध में मिली ऐतिहासिक जीत के बीस साल पूरा होने पर भारतीय वायुसेना जश्न मना रही है। ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस पर 'ऑपरेशन विजय' का बड़े ही अनूठे अंदाज में जश्न मनाया गया। करगिल युद्ध के दौरान जिस तरह टाइगर हिल पर भारतीय सेना को जीत मिली थी। उसे याद करने के लिए एयरबेस पर वैसी ही एक डमी चोटी बनाई गई और युद्ध के दौरान इस्तेमाल हुए लड़ाकू विमानों के जरिए एक बार फिर इस दुर्गम चोटी पर भारतीय सैनिकों ने चढ़ाई की और फिर तिरंगा फहराया। इस दौरान एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ भी मौजूद रहे। विजय दिवस के मौके पर मिग, मिराज और सुखोई फायटर जेट्स ने यहां अपना कौशल भी दिखाया।

करगिल युद्ध के बीस साल पूरे होने पर वायुसेना प्रमुख भी ग्वालियर एयरबेस पहुंचे थे। इस मौके पर उन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए कहा कि, "मैं आपको बता दूं कि बालाकोट के बाद पाकिस्तान हमारे एयरस्पेस में नहीं आया था। हमारा उद्देश्य आतंकी कैंपों को निशाना बनाना था और पाकिस्तान की नजर हमारे सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की थी। हमें अपने उद्देश्य में कामयाबी मिली। लेकिन पाकिस्तान एलओसी क्रॉस नहीं कर पाया।"

करगिल विजय दिवस के बीस साल पूरा होने पर एयरफोर्स ने एक और दावा किया कि करगिल युद्ध के बाद 2002 में भी भारतीय वायुसेना ने एलओसी क्रॉस कर आतंक के ठिकानों को निशाना बनाया था। वायुसेना ने ग्वालियर के महाराजपुरा एय़रबेस पर हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि, साल 2002 में की गई इस एयर स्ट्राइक में लेजर गाइडेड बमों का इस्तेमाल किया गया था। यह 2 अगस्त, 2002 को एयर स्ट्राइक की गई थी। संसद पर हमले के बाद साल 2002 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान यह एयर स्ट्राइक की गई थी।

इतना ही नहीं उन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने से जुड़े सवाल पर कहा कि, "27 फरवरी, 2019 को श्रीनगर का एयरस्पेस 2-3 घंटे ही बंद रहा था। पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव को हमने हावी नहीं होने दिया और यात्री विमानों की आवाजाही बदस्तूर जारी रही। जबकि पाकिस्तान का एयरस्पेस काफी वक्त तक बंद रहा।

बता दें कि दुश्मनों पर कहर बरपाने वाले मिराज एयरक्राफ्ट का बेस बना महाराजपुरा कारगिल युद्ध के समय ऑपरेशन 'सफेद सागर" में अपने जौहर दिखा चुका है। जब कारगिल की पहाड़ियों में छिपे दुश्मन ज्यादा हमलावर होने लगे तो उन्हें मारने की जिम्मेदारी ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस पर तैनात मिराज स्क्वॉड्रन को सौंपी गई थी। इसी एयरबेस से ही उड़ान भरकर तीस हजार फीट की उंचाई से दुश्मन पर हमला किया था, जिसमें लेजर गाइडेड बम का इस्तेमाल किया गया था।

देश में अहम है ग्वालियर एयरबेस

ग्वालियर का ये महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन 1942 में बना था और अब तक हुए युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है। 1965,1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में इसी एयरफोर्स स्टेशन से लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी थी। ये स्टेशन देश का इकलौता एयरबेस है, जहां फाइटर प्लेन में हवा में ईंधन भरा जा सकता है, यानी अगर युद्ध के दौरान उड़ान के वक्त किसी फाइटर प्लेन को ईंधन की जरूरत पड़ी तो इस एयरबेस पर तुरंत दूसरा जेट प्लेन हवा में जाकर ही उसे रिफ्यूल कर सकता है।

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