यहां निकली मेंढक की बारात, डीजे की धà¥à¤¨ पर बाराती बनकर नाचे लोग
सिवनी, सड़कों पर खड़े लोग à¤à¥‚मते हà¥à¤ चल रहे थे। उनके आसपास ढोल और डीजे की धà¥à¤µà¤¨à¤¿ सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ दे रही थी। à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था जैसे ये किसी बारत में शामिल हैं लेकिन घोड़ी पर दूलà¥à¤¹à¥‡ को न देख ये लोग आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ में पड़ गà¤à¥¤ दरअसल ये लोग मेंढक व मेंढकी की बारात निकाल रहे थे।
इन लोगों ने बारात निकालने के ही साथ, मेंढक व मेंढकी की शादी à¤à¥€ करवाई। पिछले à¤à¤• पखवाड़े से अचà¥à¤›à¥€ बारिश नहीं होने पर शहर के मठमंदिर से कशà¥à¤¯à¤ª समाज के लोगों ने मेंढक, मेंढकी की ढोल बाजों और डीजे के साथ बारात निकाली। बारात शहर के मà¥à¤–à¥à¤¯ मारà¥à¤—ो से होकर वापस मठमंदिर पंहà¥à¤šà¥€à¥¤ यहां पूजन कर इंदà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ को मनाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया। जिले की छपारा में à¤à¥€ इसी तरह का आयोजन किया गया।इसी तरह छपारा में à¤à¥€ विधि विधान से पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर सà¥à¤°à¥à¤ े हà¥à¤ इंदà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ को मनाने व अचà¥à¤›à¥€ बारिश के लिठछोटे बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को निरà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥à¤° कर à¤à¤• जà¥à¤²à¥‚स निकाला गया। जिसमे सà¤à¥€ लोगों ने पारंपरिक रूप से मेंढक रानी पानी दे धान कोदों पकन दे के नारे लगाà¤à¥¤ इस आयोजन के पीछे मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि मेंढक-मेंढकी की शादी कराने से इंदà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¥ हो जाते हैं जिससे अचà¥à¤›à¥€ बारिश होती है। नगर के गोकलपà¥à¤° वारà¥à¤¡ के लोगों ने दो बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को मूसर पकड़ाया जिसमें दो मेढकों को रसà¥à¤¸à¥€ के सहारे बांधा गया। इसके बाद पूरे वारà¥à¤¡ वासियो ने पहले पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की फिर घर-घर पहà¥à¤‚चकर इन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने अनाज मांगा।