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आइसबर्ग की तरह है अप्रत्यक्ष हिंसा : रमेश शर्मा

ग्वालियर ( विनय शर्मा ) : गुरुवार 18 जुलाई को आईटीएम विश्विद्यालय में व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रख्यात सामाजिक कार्यकरता व एकता परिषद् के मुख्य सदस्यों में से एक रमेश शर्मा ने वंचित भूमिहीन आदिवासियों की स्तिथि , जन आंदोलन , वन व राजश्व कानून तथा वैकल्पिक नीतियों जैसे अहम् मुद्दों पर चर्चा की.
कार्यक्रम की शुरुआत पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष जयंत सिंह तोमर ने मुख्य वक्ता रमेश शर्मा का परिचय देते हुए की। रमेश शर्मा ने अपने उध्बोधन के दौरान कई विषयों पर चर्चा की , उन्होंने विश्वयुद्ध के दौरान होने वाले परिदृश्य को बताया और कहा की इन युद्धों से सिर्फ बारूद बनाने वाली कंपनियों को ही फायदा हुआ है , उन्होंने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में होने वाली हिंसा को आइसबर्ग के मॉडल का उदाहरण देते हुए समझाया की जैसे आइसबर्ग का 90 प्रतिशत भाग पानी में रहता है जो की दिखाई नहीं देता वैसे ही अप्रत्यक्ष हिंसा दिखाई नहीं देती. गाँव , जंगल व आदिवासियों के विषय पर चर्चा करते हुए उन्होंने कई तरह के तथ्य व आंकड़े बताते हुए अपने विचार विमर्श किये. इसके पश्चात विश्विद्यालय के प्रबंध निदेशक दौलत सिंह चौहान ने सेमिनार हॉल में मौजूद विश्विद्यालय के सभी छात्र व शिक्षकों को संबोधित किया. उन्होंने कहा की दुनिया में तीन चीज़े राज कर रहीं है , धर्म राजनीति और बाजार और हम इन तीनो की हांथो की कठपुतलियां है. उन्होंने धर्मगुरु , राजनीती , कॉर्पोरेट जगत , युवाओं व अन्य विषयों पर चर्चा की. अंत में अतिथा द्विवेदी ने सभी को धन्यवाद देकर कार्यक्रम का समापन किया. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता रमेश शर्मा के साथ , विश्विद्यालय के विधि विभाग के डीन मंचासीन रहे ।

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