यहां हर रात गायब हो जाती थी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤§à¥€à¤¶ की मूरà¥à¤¤à¤¿, जानें इस चमतà¥à¤•à¤¾à¤°à¥€ मंदिर की कहानी
रतलाम। वैसे तो देश में à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के कई चमतà¥à¤•à¤¾à¤°à¥€ मंदिर हैं। उनसे जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ किसà¥à¤¸à¥‡ कहानियां किसी को à¤à¥€ हैरान कर देते हैं। लेकिन रतलाम का दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤§à¥€à¤¶ मंदिर à¤à¥€ कà¥à¤› कम नहीं है। इस मंदिर से जà¥à¤¡à¤¼à¥€ कहानी हर किसी को हैरान कर देती है। शहर के बीचों-बीच सà¥à¤¨à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ की गली में मौजूद ये दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤§à¥€à¤¶ मंदिर करीब 300 साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ है। इस मंदिर में जो à¤à¤—वान दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤§à¥€à¤¶ की मूरà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है वो बड़ी चमतà¥à¤•à¤¾à¤°à¥€ मानी जाती है। दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤§à¥€à¤¶ के मà¥à¤–à¥à¤¯ मंदिर की शैली जैसे बने इस मंदिर में साधà¥à¤“ं की जमात से ली गई पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ शहर के पालीवाल मारवाड़ी बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ समाज दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ की गई थी।
à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के बाद से हर रात दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤§à¥€à¤¶ की ये मूरà¥à¤¤à¤¿ मंदिर से गायब हो जाती और अगले दिन उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ साधà¥à¤“ं के पास मिलती, जिनसे लेकर इस मूरà¥à¤¤à¤¿ को मंदिर में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया था। कई सालों तक ये सिलसिला चलता रहा। इसके बाद इस मरà¥à¤¤à¤¿ को अà¤à¤¿à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¤ करवाया गया। तà¤à¥€ से ही à¤à¤—वान दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤§à¥€à¤¶ यहां विराजित हैं और लोग दूर-दूर से इस मंदिर में दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठपहà¥à¤‚चते हैं। खासतौर पर कृषà¥à¤£ जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ पर तो à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का तांता लग जाता है।
मंदिर की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ करने वाले काशीराम की छठी पीà¥à¥€ की कांता (ललà¥à¤²à¥€à¤¬à¤¾à¤ˆ) और इनके दो बेटे योगेश व मà¥à¤•à¥‡à¤¶ पालीवाल का परिवार मंदिर की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ संà¤à¤¾à¤²à¤¤à¤¾ है। पालीवाल परिवार के जिन पांच पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लोगों ने मंदिर को संà¤à¤¾à¤²à¤¾ उनकी तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ à¤à¥€ मंदिर परिसर में लगी हैं। परिवार के सदसà¥à¤¯ ही पूजा-पाठऔर आरती करते हैं।मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤§à¥€à¤¶ मंदिर की शैली के अनà¥à¤°à¥‚प यहां सात गोलाईनà¥à¤®à¤¾ दरवाजे हैं। वहीं à¤à¤—वान की मूरà¥à¤¤à¤¿ काले पतà¥à¤¥à¤° से बनी है। हर रोज à¤à¤—वान दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤§à¥€à¤¶ की मूरà¥à¤¤à¤¿ का आकरà¥à¤·à¤• शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गार किया जाता है। रात में à¤à¤—वान के शयन के लिठगरà¥à¤ गृह में à¤à¤• छोटा पलंग व शयन के वसà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ रखे जाते हैं।