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आज आधी रात भारत चांद पर रखेगा कदम, सांसे रोक देने वाले होंगे वो 15 मिनट

नई दिल्ली। 22 जुलाई को बाहुबली पर सवार होकर चंदा मामा से मिलने के लिए निकले चंद्रयान के मामा के घर पहुंचने का वक्त आ गया है। घड़ी की सुइयां जैसे-जैसे आगे बढ़ रही हैं, सवा अरब भारतीयों की धड़कनें भी तेज होती जा रही हैं। करीब डेढ़ महीने पहले चांद के सफर पर निकले चंद्रयान-2 का लैंडर "विक्रम" इतिहास रचने से कुछ ही घंटे की दूरी पर है।

शुक्रवार-शनिवार की दरम्यानी रात डेढ़ से ढाई बजे के बीच लैंडर चांद पर उतरेगा। भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया की निगाहें इस उपलब्धि का गवाह बनने का इंतजार कर रही हैं। इस उपलब्धि के साथ ही भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने चांद पर अपना यान उतारा है।

उन 15 मिनटों तक थमी रहेंगी सांसे

जैसे ही विक्रम लैंडर के चांद पर उतरने का वक्त आएगा तब से लेकर लैंडिंग तक के 15 मिनट मिशन के सबसे अहम पल होंगे। जिस वक्त इसे चांद पर उतारने की तैयारी होगी उस वक्त इसकी रफ्तार कम की जाएगी ऑर्बिटर से अलग होने के बाद यह 6100 किमी से ज्यादा की स्पीड से घूम रहा है और लैंडिंग के लिए इसकी स्पीड कम करके 525 किमी प्रतिघंटे पर लाई जाएगी। जब विक्रम चांद से चंद किमी दूर होगा इसकी रफ्तार और कम होगी। आखिरकार जह यह चांद की सतह से महज 400 मीटर दूर होगा तब इसे कुछ पलों के लिए बंद किया जाएगा। यहां विक्रम अपने उतरने की जगह तय करेगा। जब यह चांद से महज 10 मीटर की दूरी पर होगा तब 13 सेकंड में यह चांद की सतह को छुएगा और ऐसा करते ही इसके सभी 5 इंजन काम करने लगेंगे। इसके लैंड होने के 15-20 मिनट बाद रोवर प्रज्ञान बाहर आएगा।

उड़न तश्तरियों की तरह उतरेगा

इसरो प्रमुख के सिवन का कहना है कि लैंडर चांद पर कुछ उसी तरह उतरेगा, जैसे साइंस फिक्शन फिल्मों में उड़न तश्तरियों को उतरते हुए दिखाया जाता है।

क्या-क्या होना बाकी?

-छह-सात सितंबर की दरम्यानी रात एक से दो बजे के बीच लैंडर को चांद पर उतारने की प्रक्रिया शुरूकी जाएगी।

-लैंडर पर लगे कैमरे की मदद से उसका कंप्यूटर-सॉफ्टवेयर खुद यह तय करेगा कि ठीक किस जगह पर उतरना है।

-लैंडर के उतरने के चार घंटे बाद रोवर "प्रज्ञान" भी उससे बाहर निकल जाएगा।

हर मन में बस चंद्रयान,वैज्ञानिकों की नींद उड़ी

इसरो के वैज्ञानिकों की आंखों से मानों नींद कहीं गायब हो गई है। कोई कुछ बोल नहीं रहा है, लेकिन हर मन में बस चंद्रयान-2 से जुड़ी बातें ही हैं। अभियान से जुड़े इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हर व्यक्ति के दिमाग में यही है कि चंद्रयान-2 और उसके लैंडर पर क्या चल रहा है। आइए इसकी सफल लैंडिंग की प्रार्थना करते हैं।" वैज्ञानिकों ने 100 फीसदी सफल लैंडिंग का भरोसा भी जताया है।

छात्रों संग लैंडिंग देखेंगे पीएम मोदी

इस ऐतिहासिक उपलब्धि का गवाह बनने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बेंगलुरु में इसरो के मुख्यालय में उपस्थित रहेंगे। इस दौरान देशभर से करीब 60 से 70 छात्र भी उनके साथ इस पल का गवाह बनेंगे। अलग-अलग राज्यों इन छात्रों को प्रतियोगिता के माध्यम से चुना गया है।

22 जुलाई को हुआ था रवाना

22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-2 को रवाना किया गया था। इसका प्रक्षेपण इसरो के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क3 की मदद से हुआ था। फिलहाल लैंडिंग से पहले के सभी अहम पड़ाव पार हो चुके हैं। दो सितंबर को विक्रम अलग दो सितंबर को चंद्रयान के ऑर्बिटर से लैंडर को अलग किया गया था। इसके बाद तीन और चार सितंबर को इसकी कक्षा को कम (डी-ऑर्बिटिंग) करते हुए इसे चांद के नजदीक पहुंचाया गया। अब इस पूरे अभियान का सबसे मुश्किल पल आने वाला है। यह पल इसलिए भी जटिल है, क्योंकि इसरो ने अब तक अंतरिक्ष में सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कराई है।

 

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