Homeवायरल न्यूज़,
नेहरू की धर्मनिरपेक्षता पर विचारधारा - आलेख

देश की राजनीती को धर्मनिरपेक्ष सोच पर चलाने वाले प्रथम सबसे बड़े नेता थे जवाहरलाल नेहरू.
नेहरू तथा अन्य राष्ट्रवादिओं द्वारा स्थापित "स्वतंत्र भारत लीग" में किसी भी सम्प्रदायवादी या सांप्रदायिक संगठन से जुड़े व्यक्ति को सदस्यता प्राप्त करने का निषेद किया गया था. १९१७ की रूसी क्रांति ने नेहरू को गहरे रूप से प्रभावित किया. नेहरू का लक्ष्य भारत के लोगों के लिए राजनितिक स्वतंत्रता के साथ सामाजिक एवं आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करना था. भारत को ऐसी व्यवस्था चाहिए थी जो उसकी प्रकृति और अवस्यक्ताओं के अनुकूल हो. अतः मिश्रित अर्थव्यवस्था के विहार को सबसे श्रेष्ठ समझा गया. सितम्बर १९५० में नासिक में कांग्रेस सम्मलेन हुआ तो नेहरू ने कहा "पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर ज़ुल्म हो रहे हैं तो क्या हम भी यहाँ वही करें ? अगर इसे ही जनतंत्र कहते है तो भाड़ में जाये ऐसा जनतंत्र ".
इस भाषण के बाद नेहरू ने भारत में धर्मनिरपेक्षता का भविस्य तय कर दिया था. २० सितम्बर १९५३ में नेहरू ने देश के सारे राज्यों के मुख्यमंत्रीयों को चिट्ठी लिखी की अगर मुसलमानों की संख्या सरकारी नौकरियों में बड़ाई जाये तो देश का हर नागरिक अपने आप को देश की तरक्की के लिए समर्पित करेगा. नेहरू ने एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के ढांचे का निर्माण किया. उन्होंने धर्मनिरपेक्षता की जड़ों को भारतीय जनता के बीच फैलाया.

- अभिषेक शर्मा

Share This News :