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विजय दशमी पर ये 10 महाउपाय करने से पूरी होगी मन की हर इच्छा

अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजय दशमी के रूप में मनाया जाता है विजय दशमी को बुराई पर अच्छाई की जीत भी माना जाता है. विजय दशमी के दिन रावण के पुतले का दहन इसी बात का प्रतीक है कि नकारात्मक ऊर्जा पर हमेशा सकारात्मक ऊर्जा अर्थात शक्ति की विजय होती है. विजय दशमी को अबूझ मुहूर्त के रूप में भी जाना जाता है इस दिन किसी भी मंत्र जाप या अनुष्ठान का आरंभ यदि किया जाए तो उसमें पूर्ण सफलता मिलती है. विजय दशमी के दिन ही देवी दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस का वध किया था.

1. व्यापार में फंसा हुआ धन-

व्यापार में फंसे हुए धन की प्राप्ति के लिए विजय दशमी के दिन लक्ष्मी नारायण भगवान के मंदिर में नंगे पैर घर से जाएं. 11 लाल गुलाब के फूल और चंदन का इत्र तथा एक कमलगट्टे की माला भगवान लक्ष्मी नारायण को अर्पण करें और अपने व्यापार में फंसे हुए धन की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें.

2. नौकरी में उन्नति-

विजय दशमी के दिन अपनी नौकरी में उन्नति के लिए एक सफेद कच्चे सूत को केसर से रंगे और ओम नमो नारायण मंत्र का 108 बार जाप करके अपने पास रखें.


3. मित्र को उधार दिया धन वापिस कैसे पाएं-

अपने उधार दिए हुए धन की प्राप्ति के लिए विजय दशमी के दिन लक्ष्मी नारायण भगवान को दो कमल के फूल और दो हल्दी की गांठ अर्पण करें.

4. संतान की उन्नति-

विजय दशमी के दिन संतान की उन्नति के लिए 11 हरी दूर्वा की पत्तियां और पांच लाल गुलाब के फूल गं मंत्र का जाप कराकर भगवान गणपति को अर्पण करवाएं.

5. संतान प्राप्ति की बाधा कैसे करें दूर-

विजय दशमी के दिन संतान प्राप्ति की बाधा को खत्म करने के लिए पीले आसन पर बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और बच्चों को पीली मिठाई खिलाएं.

6. संतान की गलत आदतों में कैसे करें सुधार-

विजयादशमी के दिन दोपहर के समय विष्णु स्तोत्र का 3 बार पाठ करें और भगवान विष्णु को केसर का तिलक करें इसी तिलक को प्रसाद के रूप में बच्चों के माथे पर लगाएं.

7. जमीन जायदाद की समस्या-

विजय दशमी के दिन जमीन जायदाद की समस्या को हल करने के लिए मंगल देव के 21 नामों का लाल आसन पर बैठकर दक्षिण दिशा में मुंह करके पाठ करें.

8. अचानक आये संकट नाश के लिए-

विजय दशमी के दिन अचानक आये संकट के नाश के लिए पूर्व दिशा में मुंह करके पीले आसन पर बैठकर श्री रामरक्षा स्तोत्र का 3 बार पाठ करें पाठ करने से पहले तांबे के लोटे में जल भरकर रखें पाठ के बाद यह जल सारे घर में छिड़क दें.

9. नकारात्मक दुष्प्रभाव खत्म करने के लिए-

विजय दशमी के दिन अपने पर या परिवार पर आए नकारात्मक दुष्प्रभाव को खत्म करने के लिए दक्षिण दिशा में मुंह करके हनुमानजी के सामने तिल के तेल का दिया जलाएं और सुंदरकांड का उच्च स्वर में पाठ करें.

10. खोये हुए  सम्मान की प्राप्ति हेतु-

विजय दशमी के दिन सुबह के समय तांबे के लोटे से भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और पूर्व दिशा में मुंह करके आदित्य हृदय स्तोत्र का 3 बार पाठ करें.

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