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महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू, प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद ने दी मंजूरी

महाराष्ट्र में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद से सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच मंगलवार शाम राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले आज दिन में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की रिपोर्ट पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की उद्घोषणा पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

अधिकारियों ने कहा कि राज्य की विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी। उनके अनुसार, राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि चुनाव परिणाम घोषित होने के 15 दिन बाद भी एक स्थायी सरकार संभव नहीं है। राज्यपाल ने कहा कि सरकार गठन के लिए सभी प्रयास किए गए हैं, लेकिन उन्हें स्थायी सरकार बनने की कोई संभावना नहीं दिखती।

अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल ने उल्लेख किया कि उन्हें लगता है कि राज्य का शासन संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है और अब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है तथा वह संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान पर रिपोर्ट भेजने को विवश हैं।

अनुच्छेद 356 को जिसे आमतौर पर राष्ट्रपति शासन के रूप में जाना जाता है और यह 'राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता' से संबंधित है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भी मंगलवार को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की सिफारिश की है। राज्य में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद कोई भी राजनीतिक पार्टी सरकार नहीं बना सकी है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी की थी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश
इससे पहले महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी। राज्य में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद कोई भी दल सरकार नहीं बना पाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुलाई गई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई और प्रदेश में केंद्रीय शासन लगाने का राष्ट्रपति से अनुरोध करने का निर्णय किया गया।

शिवसेना ने सोमवार (11 नवंबर) को दावा किया था कि राकांपा और कांग्रेस ने उसे महाराष्ट्र में भाजपा के बिना सरकार बनाने के लिये सिद्धांत रूप में समर्थन देने का वादा किया है लेकिन राज्यपाल की ओर से तय समय सीमा समाप्त होने से पहले वह समर्थन का पत्र पेश करने में विफल रही। इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मंगलवार (12 नवंबर) को कहा कि कांग्रेस के समर्थन और 'तीनों दलों के विचार-विमर्श के बिना महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन सकती।

महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के पास 56 सीटें हैं जबकि राकांपा और कांग्रेस के पास क्रमश: 54 और 44 सीटें हैं। राज्य में सरकार बनाने को इच्छुक किसी भी दल या गठबंधन को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।

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