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फिर दौड़ेगी जिला सरकार

वर्ष 2004 में मध्य प्रदेश की तत्कालीन उमा भारती सरकार ने जिला सरकार मॉडल को खत्म करने के लिए जिन 36 अधिसूचनाओं को निरस्त किया था, कमलनाथ सरकार उन अधिसूचनाओं को फिर वजूद में लाने जा रही है। प्रदेश के योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी मंत्री तरुण भनोत ने जिला योजना समितियों को सशक्त बनाने के लिए समिति को वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार देने की मंशा से विभागों से अधिकार दिलवाने अधिसूचनाएं जारी कराने का अध्ययन करवाया है।

वहीं, विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मप्र जिला योजना समिति अधिनियम 1995 में संशोधन विधेयक भी प्रस्तुत करने की तैयारी है। इसमें जिला योजना समिति के सदस्यों की संख्या को 20 करना प्रस्तावित है।

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जिला सरकार मॉडल को फिर लागू करने का सैद्धांतिक फैसला कर लिया था। इसके लिए योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग की पहल पर मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती ने सभी विभागों के साथ दो बार बैठक की।

इसमें उन्होंने जिला योजना समितियों को फिर पावरफुल बनाने के निर्देश दिए। इसके मद्देनजर विभाग ने जो निर्देश दिए, उसमें वर्ष 2004 में एक दर्जन से ज्यादा विभागों की जिन 36 अधिसूचनाओं को निरस्त किया गया था, उन्हें फिर से वजूद में लाने की प्रक्रिया करने की बात नहीं थी। इसकी वजह से आज तक किसी विभाग ने इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

विभाग की ओर से जब जिला सरकार के गठन को लेकर कार्रवाईयों की समीक्षा की गई तो यह बात सामने आई कि किसी भी विभाग ने निरस्त अधिसूचनाओं की बहाली के लिए कोई पहल ही नहीं की। इसके बिना समितियों को अधिकार संपन्न् बनाया ही नहीं जा सकता है।मप्र के वित्त, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी मंत्री तरुण भनोत का कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ की मंशा है कि जिलों में होने वाले कामों के लिए लोगों को प्रदेश मुख्यालय तक नहीं आना चाहिए। छोटी-छोटी जरूरतें वहीं पूरी हो जानी चाहिए। इसके लिए जिला योजना समितियों को वैसे ही अधिकार दिए जाएंगे, जो पहले कांग्रेस सरकार में हुआ करते थे। मौजूदा परिस्थितियों के हिसाब से इन्हें और बेहतर बनाया जा रहा है।

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