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सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के नियम पर सुप्रीम कोर्ट ने बरती ढील, आदेश में किया ये सुधार

उच्चतम न्यायालय ने सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाये जाने के बारे में अपने आदेश में आज सुधार करते हुये शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को सिनेमा घरों में राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने से छूट दे दी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव राय की खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्रगान बजाये जाने के दौरान सिनेमाघरों के दरवाजे बंद करने की जरूरत नहीं है।

यही नहीं, पीठ सिनेमा घरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाना अनिवार्य करने संबंधी आदेश वापस लेने की अर्जी पर भी सुनवाई के लिये तैयार हो गई। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि केन्द्र सरकार आज से दस दिन के भीतर दिशानिर्देश जारी करके स्पष्ट करेगी कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को किस तरह राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को राष्ट्रगान के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने संबंधी संकेतों की अभिव्यक्ति करनी चाहिए।

पीठ ने कहा कि चूंकि दिशा-निर्देश जारी होने वाले हैं, इसलिए हम स्पष्ट करते हैं कि यदि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति या कोई दिव्यांग फिल्म देखने सिनेमाघर जाता है तो उसे राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने की जरूरत नहीं है यदि वह ऐसा करने में अक्षम है। परंतु उसे ऐसा सम्मान जरूर दर्शाना चाहिए तो इसके अनुरूप हो। पीठ ने कहा कि एक अन्य पहलू पर भी स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। जब हमने कहा कि दरवाजे बंद किये जायेंगे तो हमारा तात्पर्य यह नहीं था कि दरवाजों में सिटकनी लगा दी जाये जैसा कि दिल्ली नगर निगम बनाम उपहार ट्रैजडी विक्टिम्स एसोसिएशन के मामले में उल्लिखित है, परंतु राष्ट्रगान के दौरान यह सिर्फ लोगों के आने जाने को नियंत्रित करने के लिये है। न्यायालय इस मामले में अब 14 फरवरी, 2017 को आगे विचार करेगा।

न्यायालय ने यह स्पष्टीकरण उस समय दिया जब केरल में अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के आयोजक ने शीर्ष अदालत में अर्जी दायर कर 30 नवंबर के आदेश से छूट का अनुरोध करते हुये कहा कि इससे उसके 1500 विदेशी मेहमानों को असुविधा होगी। शीर्ष अदालत ने श्याम नारायण चोकसे की जनहित याचिका पर ये निर्देश दिये थे।

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