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नोटों के पहाड़ और काले धन पर पीएम की चोट, जानें 12 बड़ी बातें...

1. अब देश जाली नोट को सहन नहीं करेगा, काले धन रखने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. मेरी लड़ाई भारत का भाग्य बदलने की, काले धन को खत्म करने की है.

2. नोटो के अंबार से देश की अर्थव्यवस्था दबने लगी थी. जैसे नोटबंदी के बाद छोटो नोटों की पूछ बढ़ी है, वैसे ही हमने आम लोगों की ताकत भी बढ़ाई है.

3. मेरी लड़ाई आतंकवाद से है. आतंकवाद को जाली नोटों से ताकत मिलती है. जाली नोटों के कारोबारी ज्यादातर हिंदुस्तान से बाहर के हैं, नोटबंदी से उनकी कमर टूटेगी. अब नक्सवाद की कमर भी टूट रही है, नक्सलवादी सरेंडर कर रहे हैं.

4. बेइमानों को न भ्रष्टाचार से परेशानी थी, न काले धन से, इससे दुखी तो देश का ईमानदार नागरिक होता था.

5. 70 साल तक ईमानदारों को लूटा गया, परेशान किया गया. आज मैं ईमानदारों के साथ खड़ा हूं और मुझे खुशी है कि देश की जनता ने इसमें मेरा साथ दिया है. सवा सौ करोड़ देशवासियों को मैं शत-शत नमन करता हूं कि उन्होंने मेरा साथ दिया है.

6. हमारे देश में चार्वाक का दर्शन नहीं चलने वाला, यह देश अपने स्वाथ के लिए नहीं जीता है, अपनी चिंता नहीं करता, भावी पीढ़ियों के बारे में सोचता है.

7. नोटबंदी के बहाने संसद नहीं चलने दिया जा रहा है. राष्ट्रपति भी इस पर पीड़ा व्यक्त कर चुके हैं. सरकार चर्चा करने को तैयार है, प्रधानमंत्री बोलने को तैयार हैं, लेकिन विपक्ष के लोग फिर भी संसद नहीं चलने दे रहे, क्योंकि उनका झूठ पकड़ा जाएगा. सच तो यह है कि कोई भी दल यह मांग नहीं कर रहा कि नोटबंदी को वापस लिया जाए.

8. मुझे लोकसभा में नहीं बोलने दिया जा रहा है, इसलिए जनसभा में बोल रहा हूं. मैं विपक्षी दलों से आग्रह करूंगा कि जैस मतदान के समय लोगों को ईवीएम मशीन से वोटिंग के बारे में जागरूक किया जाता है, वैसे ही उन्हें अब यह बताइए कि डिजिटल बैंकिंग किस तरह से करें.

9. हमने जनता से 50 दिन मांगे थे. यह महज 50 दिन की कठिनाई है, उसके बाद हालात धीरे-धीरे सामान्य होने लगेंगे.

10. अब हेराफेरी करने वाले, बैंक वाले जेल जा रहे हैं, कोई भी बचने वाला नहीं है. जिन्होंने 8 तारीख के बाद कोई नया पाप किया है, उन सबको सजा भुगतनी ही पड़ेगी.

11. ईमानदार व्यक्त‍ि अपने लिए नहीं देश के लिए खड़ा रहता है. आज मोबाइल बैंकिंग का जमाना है, अब एटीएम या बैंक में लाइन लगाने की जरूरत नहीं है. लोग मोबाइल से खरीदारी कर सकते हैं, इसमें चेक जैसा बाउंस होने का भी डर नहीं होता.

12. मीडिया के लोग कतार में खड़े लोगों की तकलीफ दिखाते हैं, लेकिन उन्हें लोगों को यह भी बताना चाहिए कि अब कतार में खड़े होने की जरूरत नहीं है, अब मोबाइल ही उनका बटुआ बन चुका है.

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