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अगस्ता घोटाले में एसपी त्यागी ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को भी लिया लपेटे में, कोर्ट में दिया ये बयान!

अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीदारी में घोटाले के आरोप में गिरफ्तार वायु सेना के पूर्व अध्यक्ष एसपी त्यागी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यालय को लपेटे में ले लिया है। त्यागी ने कहा कि हेलिकॉप्टर खरीद का फैसला उनका अकेले का नहीं था, बल्कि ये एक सामूहिक फैसला था जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय और रक्षा सचिव सहित ऊपर से नीचे तक के लोग शामिल थे। त्यागी की ओर से पटियाला हाउसकी विशेष अदालत में ये दावा किया गया।

कोर्ट में सीबीआई ने कहा कि हेलीकॉप्टर सौदे के ठेके की शर्तों में ऐन मौके पर जानबूझकर अंतिम समय में बदलाव किया गया। इस मामले में गिरप्तार तीनों आरोपियों पूर्व वायु सेना अध्यक्ष एसपी त्यागी, उनके भाई जूली त्यागी और वकील गौतम खेतान को कोर्ट ने चार दिनों तक पूछताछ के लिए रिमांड पर भेज दिया।

सीबीआई ने कोर्ट में कहा

सीबीआई ने कोर्ट से कहा कि सभी आरोपियों की 10 दिन की रिमांड चाहिए। वीवीआईपी के लिए एमआई 8 हेलीकॉप्टर खरीदने थे। 11 पार्टियों में से अगस्ता वेस्टलैंड अंतिम कम्पनी थी। 6 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ने वाले हेलीकॉप्टर चाहिए था। अगस्ता कम्पनी जरूरी मापदंड पूरा नहीं कर पाई थी।  2004 में नई सरकार ने सभी मापदंड के साथ वाले ही हेलीकॉप्टर खरीदने को कहा। इस पर एसपी त्यागी के आने के बाद अगस्ता वेस्टलैंड ने दोबारा बेचने के लिए कोशिश शुरू की। नया प्रस्ताव लाया गया जिसमें हेलीकॉप्टर की न्यूनतम 4500 की ऊंचाई रखी गयी,  जो कि अगस्ता वेस्टलैंड कम्पनी पूरा कर रहा था। डिफेंस सेक्रेटी की मीटिंग के बाद 2 इंजन वाले हेलीकॉप्टर खरीदने का प्रस्ताव किया। एसपी त्यागी ने अपने प्रभाव से तीन इंजन वाले हेलीकॉप्टर की मंजूरी दी जिससे कि अगस्ता वेस्टलैंड कम्पनी को फायदा पहुंचा।

संजीव त्यागी अगस्ता कम्पनी की मुख्य कम्पनी तक पहुंचा और कम्पनी को एसपी त्यागी के बारे में बताया कि वो मेरे रिश्तेदार हैं। एसपी त्यागी ने संजीव त्यागी के कहने पर कंपनी के लोगों से भी मुलाकात की। करोड़ों रुपया एसपी त्यागी और उनके लोगों को दिया गया। वकील गौतम खेतान इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड था। यह बड़ा भ्रष्टाचार का मामला है। एसपी त्यागी ने बड़ी संख्या जमीनें खरीदीं, जिसकी जानकारी इनकम टैक्स को नहीं दी गई। कई और सरकारी अधिकारियों को पकड़ना बाकी है। कई देशों के लिए डील के मामले में एलआर जारी किए गये हैं, जिनका जवाब आना बाकी है। आपराधिक षड्यंत्र की शुरुआत 2003 में हो गई थी, जब एसपी त्यागी के भाई संजीव त्यागी ने कंपनियों से बात शुरू कर दी थी।

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