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कोरोना से विनाश या नए अध्याय की शुरुआत

किसे पता था कि कोरोना नामक महामारी इस दुनियाँ को इतना बर्बाद कर देगी , इस मनाव जीवन को उथल पुथल के रख देगी। इस महामारी की शुरआत चीन के वुहान शहर से शरू हुई जहाँ इसने हज़ारों लोगों को मौत के मुँह में धकेल दिया। इस महामारी ने अपने कदम इस तरह फैलाना शुरू किए की लगभग सभी देशों को अपनी चपेट में ले लिया। हमारा भारत देश भी इस महामारी की चपेट में जल्द ही आ गया। ये वायरस सभी के लिए नया था और इससे संक्रमित होने के बाद कोई इलाज भी नहीं था इसका निष्कर्ष यह निकाला गया कि यदि इस महामारी से बचना है तो इसके संपर्क में आने से ही बचना होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए सभी देशों में लॉकडाउन यानी सभी सामाजिक व अन्य स्थलों को बंद कर दिया जाए इस लॉकडाउन का एक मात्र उद्देश्य यह था कि कही भी भीड़ इक्कठी न हो इसका सम्पूर्ण रूप से पालन हो इसके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 144 भी शासन द्वारा लागू की गई। देश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब भारतीय रेलवे को पूरी तरह बंद कर दिया गया व सभी प्रकार के साधनों के उपयोग पर प्रतिबंद लगा दिया गया।  सभी प्रकार की यात्राएं रद्द कर दी गईं। सभी को सिर्फ एक ही बात हर माध्यम से दोहराई जा रही है की सभी लोग अपने घर मे रहें व सुरक्षित रहें। सरकार द्वारा हर वो कदम उठाया जा रहा है जो जनहित के लिए आवस्यक है। इस लॉकडाउन के चलते मानव जीवन अस्थ-व्यस्थ हो गया है , सभी  लोग अपने घरों में हैं और बाहर जाने में असमर्थ है जिससे कि उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है पर एक बात अत्यंत महत्वपूर्ण है "जान है तो जहाँन है"।
इस महामारी और इस लॉकडाउन के चलते मानव जीवन भले ही प्रभावित हो रहा हो लेकिन इस चीज़ का प्रकृति को ज़रूर लाभ मिला है सभी प्रकार के यातायात बन्द होने से प्रदूषण न के बराबर हो रहा है जिससे हवा पहले से कई ज्यादा स्वच्छ हो गयी है, नदी के पानी मैं भी स्वच्छता देखने को मिल रही है। वाहनों व फैक्टरियों के न चलने से सिस्मिक रेडिएशन भी कम हो रहा है जिससे कई तरह के फायदे प्रकृति को मिल रहे है , ओज़ोन लेयर पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ रहा है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे मानो प्रकृति खुद अपना खोया हुआ संतुलन बना रही है जो कि मानव जीवन द्वारा बिगाड़ा गया था। अब यह देखना होगा कि यह कोरोना महामारी कब जाकर थमेगी और कब लोग चैन की साँस लेंगे , क्या यह इस संसार को अंत की ओर ले जाएगी या यहाँ से एक नया अध्याय प्रारम्भ होगा।

  • विनय शर्मा
  • संपादक (विकासपथ न्यूज़)

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