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राज्यसभा में दिखा खास नजारा, एक बिल के लिए साथ आ गया पूरा सदन!

आज सबको उम्मीद थी कि संसद को दोनों सदनों की शुरुआत भारी हंगामे से होगी। लोकसभा में ऐसा हुआ भी, लेकिन आश्चर्यनजक रूप से राज्यसभा में कुछ ऐसा हुआ जो अचरज पैदा करने वाला था। पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्य यकायक एक सुर और एक मत से बोल रहे थे। राज्यसभा का संचालन कर रहे उपसभापति पी जे कुरियन ने इस रोचक नजारे पर हैरत जताते हुए भारी खुशी जताई।

दरअसल, निशक्त व्यक्ति अधिकार विधेयक 2014 (Right of Persons with Disabilities Bill, 2014 )  आज राज्यसभा में पेश होना था। इसका समय दोपहर दो बजे का था लेकिन विपक्ष की ओर से नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि सारे काम बाद में होंगे पहले हमें यह बिल संसद में पास कर देना चाहिए वो भी बिना बहस के। सरकार की ओर इस पर सहमति जताई गई और कुछ ही मिनटों में साइक्लोन वरदा पर संक्षिप्त चर्चा के बाद इस राज्यसभा में पेश कर दिया गया।

गौर करने वाली वाली बात यह थी कि इसमें कई संशोधन भी थे लेकिन इसके बावजूद इसे लेकर कोई असुविधा नहीं हुई। लेकिन इस प्रक्रिया में 12 बज गए और चेयर की तरफ से प्रश्नकाल के चलते इस बिल पर आगे की कार्यवाही 2 बजे से शुरू करने की बात की गई। सदन की तस्वीर एक बार फिर पुराने दिनों की तरह हो गई। सदन में आ चुके सभापति ने सदन को दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दिया। à¤¦à¥‹à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ सदन शुरू होने पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने संशोधन पेश किए और सर्वसम्मति के साथ इस बिल को पारित कर दिया गया।

इस दौरान इसके कुछ प्रावधानों की भाषा पर सीपीएम के सीताराम येचुरी को ऐतराज था और उन्होंने अपनी बात सदन में रखी भी। इस पर उप सभापति पी जे कूरियन ने दखल देते हुए कहा कि सरकार को इस पर ध्यान देना ही चाहिए। इस पर मंत्री थावरचंद गहलोत ने उन्हें इस पर ध्यान देने का आश्वासन दिया जिसके बाद बिल को पारित कर दिया गया। à¤•à¥‚रियन ने इस पर खुशी जताते हुए कहा कि आज दिन संसद के लिए बेहद खास है। हालांकि बिल पास होते ही किरेन रिजिजू के मुद्दे पर सदन में फिर हंगामा मच गया।

निशक्त व्यक्ति अधिकार विधेयक फरवरी 2014 में पेश हुआ था। फिर इसे स्टैंडिंग कमिटी को भेजा गया। इसमें 82 बदलाव सुझाए गए। इसके पास होने की स्थिति में दिव्यांग की 7 श्रेणियों की जगह 21 श्रेणियों को माना जाएगा। आज इस पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता कर्ण सिंह ने कहा कि ये बिल पास कर हम भारत के करोड़ों लोगों को लाभ पहुंचाएंगे। दिव्यांगों को 4 फीसदी का आरक्षण का पूरी तरह से पालन किया जाए। लोगों को इनके बारे में प्रशिक्षित करने की जरूरत है। वहीं सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि डिसएबल की परिभाषा को और सरल करिए। वो सर्टिफिकेट बनवाने जाते हैं। इसमें उन्हें कम परेशानी हो। उनके आरक्षण का कोटा बढ़ाया जाए।

टीएमसी नेता ने कहा कि हम इस बिल का समर्थन करते हैं। इसमें 7 से बढ़ाकर 21 कैटेगरी की गई, हम इसका स्वागत करते हैं। सीपीआईएम के सी पी नारायणन ने कहा कि हम इस बिल का स्वागत करते हैं। इस बिल की शर्तें अच्छी हैं लेकिन सरकार इसमें कई संशोधन लाई है इससे डिसएबल को कम मौके मिलेंगे। बीजेडी के नरेंद्र कुमार ने कहा कि हम इस बिल का समर्थन करते हैं। बीएसपी नेता सतीश मिश्रा ने कहा कि बीएसपी इस बिल का पूर्ण रूप से समर्थन करती है। इन्हें डिसेबल कहना सही नहीं है। इन्हें डिफरेंटली एबल कहा जाना चाहिए। इनको मिले रिजर्वेशन को सरकार ठीक से लागू करें। लोगों को मजबूर होकर कोर्ट न जाना पड़े। वाईएसआर कांग्रेस के वी रेड्डी ने कहा कि डिसेबल का आरक्षण बढ़ाने की जरूरत है।

सरकार की ओर से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कर्ण सिंह के जवाब में कहा कि अब तीन प्रतिशत आरक्षण था, अब 4 फीसदी करने जा रहे हैं। हमने 2015 में विशेष भर्ती अभियान चालू किया। हमने देशव्यापी परिचय पत्र बनेगा वो सारे देश में चलेगा। उनका लाभ उनको मिलेगा। 2 करोड़ उनसठ लाख इनकी जनसंख्या है। हमने केरल में दिव्यांग विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा हमने की है। नए बिल से सब लाभान्वित होंगे।

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