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इन वजहों से लगातार चौथी बार दुनिया के सबसे ताकतवर शख्स बने व्लादिमीन पुतिन

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार चौथी बार दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों की फोर्ब्स की लिस्ट में टॉप पर रहे हैं. फोर्ब्स ने अपनी इस लिस्ट में 74 लोगों की सालाना रैकिंग जारी की है. लिस्ट तैयार करते समय उस शख्स की व्यक्तिगत पहचान, उसकी दौलत, उस शख्स का उसके देश की जीडीपी या उसकी कंपनी की वैल्यू पर असर और उनकी ताकत के बहुआयामी असर को ध्यान में रखा गया है.

धरती पर करीब 7.4 अरब लोग रहते हैं लेकिन इनमें से मात्र 74 लोग फोर्ब्स की लिस्ट में जगह बनाने में कामयाब रहे हैं. यानी करीब हर 10 करोड़ में से एक व्यक्ति इस सूची में जगह बना पाया है. इस अहम सूची में 64 साल के पुतिन टॉप पर हैं और वह लगातार चौथे साल. आखिर पुतिन की शख्स‍ियत में ऐसा क्या है, जो उन्हें इस मुकाम पर खड़ा कर देता है.

पुतिन दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्कों में से एक रूस के राष्ट्रपति हैं. पुतिन 7 मई 2012 से इस पद पर हैं. इससे पहले वो 1999 से 2000 तक रूस के प्रधानमंत्री रहे. फिर 2000 से 2008 तक राष्ट्रपति रहे. पुतिन फिर से प्रधानमंत्री बने और 2008 से 2012 तक इस पद पर रहे. यानी 17 साल से रूस की सत्ता पर इस शख्स की किसी न किसी रूप में तूती बोल रही है.

रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी में बतौर अफसर 16 साल की सेवा के बाद पुतिन 1991 में लेफ्टिनेंट कर्नल के रैंक पर रिटायर हुए. इसके बाद उन्होंने राजनीति की दुनिया में कदम रखा. 1996 में वो तत्कालीन राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के प्रशासन में जगह बनाने में कामयाब रहे. 31 दिसंबर 1999 को जब येल्तसिन ने इस्तीफा दिया तो पुतिन कार्यकारी राष्ट्रपति बने. अगले साल यानी 2000 में हुए चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिद्वंद्वी को भारी अंतर से हरा दिया और रूस के राष्ट्रपति बने

बतौर राष्ट्रपति पुतिन के पहले कार्यकाल के दौरान रूस की इकोनॉमी में लगातार आठ वर्षों तक उछाल दिखा और जीडीपी में 72 फीसदी का इजाफा हुआ. आज रूस की इकोनॉमी दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. बीते 17 सालों से दुनिया की आबादी के एक बड़े हिस्से पर पुतिन का असर है. पुतिन बेहद सक्रियता से अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हैं. पुतिन की अगुवाई में रूस की ओर से यूक्रेन और सीरिया में की गई कार्रवाई दुनिया का इतिहास बदल रही है.

अपने नेतृत्व के बूते पुतिन ने दुनिया के हर कोने में रूस का लोहा मनवाया है. सीरिया से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव तक, पुतिन जैसा चाहते थे वैसा ही हो रहा है. परंपरागत वैश्विक मानकों के इतर पुतिन की पहुंच हाल के वर्षों में अभूतपूर्व तरीके से बढ़ी है. तमाम बड़ी शक्तियों की विरोध के बावजूद पुतिन ने सीरिया में अपनी सेना का इस्तेमाल किया. इस जंग में लाखों बेगुनाह भी मारे गए लेकिन पुतिन ने अपने सहयोगी बशर-अल-असद की सत्ता बचाए रखी.

पुतिन के नेतृत्व में रूस का एजेंडा साफ है कि वो दुनिया में अब अमेरिकी या ब्रिटिश राजनीतिक व्यवस्था का 'दूसरा संस्करण' नहीं स्थापित होगा. बल्क‍ि ऐसा सिस्टम विकसित होगा जो रूस की अपनी परंपराओं और हालात के करीब हो. इसके अलावा रूस की सरकार जो भी कदम उठाएगी या जो भी नीतियां बनाएगी उसमें रूस की जनता को ध्यान में रखा जाएगा और उसमें किसी बाहरी देश का नाममात्र भी दखल या असर नहीं होगा.

 

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