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ललित मोदी के बाउंसर से BCCI हैरान, विदेश में बैठकर प्लान किया तैयार!

जयपुर। जब से ललित मोदी राजस्थान क्रिकेट संघ यानी आरसीए के अध्यक्ष बने, तभी से बीसीसीआई ने आरसीए की मान्यता रद्द कर रखी है। बीसीसीआई और आरसीए के बीच मैच कानून की पिच पर कोर्ट में चल रहा है और खिलाड़ी तमाशबीन। पर मोदी न बीसीसीआई से डरे, न ही उनका रसूख आरसीए में कम हुआ। इसके उलट मोदी ने अब ऐसा बाउंसर फेंका कि बीसीसीआई से लेकर सरकार भी हैरान परेशान हो गई है।
दरअसल, ललित मोदी ने अपने बेटे रुचिर मोदी को अलवर जिला क्रिकेट संघ का अध्यक्ष बनवा दिया, यानी लोढ़ा कमेटी की सिफारिश पर अगर नवंबर में आरसीए के चुनाव होते हैं तो ललित मोदी चुनाव से बाहर होकर भी गेम में बने रहेंगे। यहां बीसीसीआई की धमकी का भी मोदी पर असर नहीं होगा, क्योंकि मोदी अपने बेटे रुचिर को आरसीए के अध्यक्ष का चुनाव लड़ा सकते हैं। यानी राजस्थान क्रिकेट की चाबी अपने हाथ में रखने का मास्टर प्लान न केवल मोदी ने विदेश में बैठकर तैयार कर लिया, बल्कि अपनी गद्दी बेटे को सौंपकर उसका भविष्य भी क्रिकेट में बनाने का प्लान भी।
मजेदार बात ये कि रुचिर मोदी का न अलवर से और न ही अलवर जिला क्रिकेट संघ से चुनाव से पहले कोई सरोकार था। जुलाई में रुचिर मोदी के नाम पर अलवर में जमीन खरीद कर जिला का निवासी होने की चुनाव लड़ने की शर्त पूरी कर ली गई। 22 अगस्त को एक होटल में रुचिर अध्यक्ष चुन लिए गए। हैरानी की बात ये है कि अलवर जिला क्रिकेट संघ के चुनाव पर 2011 से रोक थी, लेकिन कब रोक के लिए दायर याचिका वापस ली गई और कब चुनाव हो गए, इससे विरोधी खेमा भी बेखबर रहा।
सरकार का दावा है कि चुनाव के बीस दिन तक उसे भी सूचना नहीं मिली थी कि रुचिर अध्यक्ष चुन लिए गए। सरकार रिपोर्ट मांगेगी। अंदरखाने से खबर ये है कि खुद सरकार जानते हुए भी अनजान बनी रही। पर क्रिकेट पिच पर मोदी के इस बाउंसर से सबसे ज्यादा हैरानी बीसीसीआई को हुई, क्योंकि बीसीसीआई कुछ वक्त पहले ही आरसीए को चेतावनी दे चुका है कि जब तक मोदी अध्यक्ष रहेगें, तबतक आरसीए को न तो मैच मिलेंगे न फंड, पर इस धमकी के कुछ ही दिन बाद रुचिर की ताजपोशी से बीसीसीआई मुश्किल में है।
वैसे, अब अगर रुचिर आरसीए अध्यक्ष का चुनाव लड़ते हैं तो बीसीसीआई किस आधार पर रोकेगी? ये बड़ा सवाल है। इससे भी बड़ा सवाल या है कि अगर रुचिर जीत गए तो बीसीसीआई आरसीए पर पाबंदियां किस आधार पर जारी रखेगी? क्योंकि बीसीसीआई के आरोप ललित मोदी पर है न कि रुचिर पर। खुद ललित मोदी ने भी वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री के रूप में पिछले कार्यकाल में 2004 में ठीक ऐसे ही एंट्री ली थी। उन्होंने पहले 2004 में खेल अध्यादेश लाकर राजस्थान में क्रिकेट में रुंगटा राज खत्म किया और फिर दिसंबर 2004 में नागौर में जमीन खरीद कर जिले के निवासी बने और मई 2005 में नागौर जिला क्रिकेट के अध्यक्ष बन गए।
बहरहाल, अब सबकी निगाहें आरसीए के अगले चुनाव पर है। इस चुनाव में अगर ललित मोदी बेटे पर दांव खेलते हैं, तो बीसीसीआई औऱ राजस्थान सरकार क्या कदम उठाएगी, ये देखने वाली बात होगी।

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