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कांग्रेस को लगा करारा झटका,सिंधिया के धुर विरोधी विधायक रामनिवास रावत भी छोड़ेंगे हाथ का साथ

 भोपाल। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस को मध्य प्रदेश में संभलने का मौका ही नहीं मिल रहा है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रदेश में दौरे से ठीक एक दिन पहले पार्टी को फिर करारा झटका लगा है। इंदौर लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के नाम वापस लेने से अब वहां पार्टी चुनाव मैदान से बाहर हो गई है। यह स्थिति प्रदेश में पहली बार बनी है।इसके पहले खजुराहो में आइएनडीआइए में शामिल सहयोगी दल समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी का नामांकन पत्र निरस्त हो गया था। राहुल गांधी भिंड में सभा को संबोधित करने के लिए आ रहे हैं। इसी दिन कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत भी कांग्रेस छोड़ सकते हैं।तीसरे चरण के चुनाव के लिए सोमवार 29 अप्रैल को नाम वापस लेने का अंतिम दिन था। कांग्रेस नेताओं को कतई यह उम्मीद नहीं थी कि उसका कोई प्रत्याशी नाम वापस ले लेगा लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के गृह जिले इंदौर में ऐसी स्थिति बनी।यहां से प्रत्याशी अक्षय कांति बम चुनाव लड़ने से पीछे हट गए। इससे भाजपा को कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठाने का मौका मिल गया। मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव से लेकर अन्य पदाधिकारियों ने पटवारी से त्यागपत्र मांग लिया। दरअसल, अक्षय के नाम पर सहमति बनाने में पटवारी की अहम भूमिका थी।

नामांकन रैली में भी वे वरिष्ठ नेताओं के साथ पहुंचे थे। पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि खजुराहो सीट समझौते के तहत सपा को दी गई थी, इसलिए जो घटना वहां हुई, उससे कांग्रेस का लेना-देना नहीं था पर इंदौर का मामला अलग है। इसे संगठन की कमजोरी के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि प्रदेश कार्यकारिणी भंग हो चुकी है। पटवारी अब तक अपनी टीम नहीं बना पाए हैं और चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं।

वरिष्ठ नेता कमल नाथ छिंदवाड़ा लोकसभा का चुनाव होने के बाद दिल्ली चले गए तो दिग्विजय सिंह और कांतिलाल भूरिया अपने चुनाव में व्यस्त हैं। उधर, राजनीतिक मामलों के जानकार अरुण पटेल का कहना है कि प्रदेश में इसके पहले ऐसा नहीं हुआ, जब कांग्रेस या भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी ने नाम वापस ले लिया हो। इसके पहले भागीरथ प्रसाद का मामला हुआ था लेकिन उन्होंने टिकट घोषित होने के बाद दलबदल किया था। विदिशा संसदीय क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी राजकुमार पटेल का नामांकन पत्र निरस्त हुआ था।

उधर, कांग्रेस के एक और बड़े नेता मंगलवार को भाजपा की सदस्यता ले सकते हैं। मुरैना लोकसभा के अंतर्गत आने वाले विजयपुर विधानसभा से विधायक रामनिवास रावत ने कांग्रेस छोड़ने का मन बना लिया है। छठवीं बार के विधायक रावत को कमल नाथ ने प्रदेश कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की चर्चा थी लेकिन पार्टी ने युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाते हुए उमंग सिंघार को आगे किया।

 

पार्टी में उपेक्षा के चलते कुछ दिनों पहले भी उनके भाजपा में जाने की अटकलें थीं। तब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उन्हें राजगढ़ बुलाकर चर्चा की थी और केंद्रीय संगठन के पदाधिकारियों से भी चर्चा हुई थी। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से रावत की चर्चा हो चुकी है और संभावना जताई जा रही है कि वे मंगलवार को भाजपा की सदस्यता ले सकते हैं।

हालांकि, ऐसा करने पर उन्हें विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देना होगा। इसके पहले छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा से कमलेश शाह ने भाजपा में शामिल होने के साथ ही विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था। यह सीट फिलहाल रिक्त है और चुनाव आयोग अब यहां उपचुनाव कराएगा। यहां बतादें कि रामनिवास रावत केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के धुर विरोधी माने जाते हैं .जिस समय श्री सिंधिया ने कांग्रेस  छोड़ी थी ,तब श्री रावत उनके साथ न जाकर कई गंभीर बातें उनके खिलाफ बोलीं थीं .

 

 

 

 

 
 
 
 

 

 

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