Homeslider news,अपना मध्यप्रदेश,
बोले विजयवर्गीय अब तो बटुआ खोलना पड़ेगा शंकरजी

दिल्ली के फरमान के बाद ज्यादा से ज्यादा मतदान की रणनीति तय करने बैठे इंदौर के भाजपा नेता मूल विषय से ही भटक गए। बात आने वाले दिनों में होने वाले चुनाव खर्च की निकल पड़ी। लब्बोलुआब यह था कि न उम्मीदवार पैसा खर्च कर रहा है और न ही संगठन ने मुट्ठी खोली है। इसी बैठक में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के सवाल से तो सांसद प्रत्याशी शंकर लालवानी निरुत्तर हो गए। विजयवर्गीय ने उनसे हल्के फुल्के अंदाज में कहा, समय कम बचा है अब तो बटुआ खोलना पड़ेगा शंकरजी...आखिर परेशानी क्या है? मंत्री के इस सवाल का लालवानी ने कोई जवाब नहीं दिया। दरअसल, इंदौर में सोमवार को हुई भाजपा नेताओं की बैठक में चुनावी तैयारियों की समीक्षा हुई। बताया गया कि कार्यकर्ता काम करने को तैयार नहीं हैं, ऐसे में मतदान का प्रतिशत कैसे बढ़ेगा। बैठक में चुनाव खर्च के मुद्दे पर सब की बात सुनने के बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी से पूछा, आप क्या कर रहे हो? आखिर परेशानी कहां है? उन्होंने दो-तीन बार लालवानी की ओर इशारा करते हुए कहा कि ऐसे काम नहीं चलेगा। इस सब पर लालवानी निरुत्तर रहे। उनकी चुप्पी ने बैठक में मौजूद दूसरे नेताओं को भी चौंकाया।पार्टी के नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने इतना जरूर कहा कि हम पांच बार बैठ चुके हैं, लेकिन कुछ हो नहीं रहा। पार्टी का केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व चाहता है कि विधायक अपने-अपने क्षेत्र का लोकसभा चुनाव का खर्च खुद उठाएं, लेकिन विधायक इसके लिए सहमत नहीं हैं।

दरअसल, केंद्रीय नेतृत्व ने इंदौर में चुनाव को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता और मतदाताओं को जागरूक करने की दिशा में पार्टी स्तर से कोई विशेष प्रयास नहीं होने पर नाराजगी जताते हुए सबको एक साथ बैठकर रणनीति बनाने के लिए कहा था। इसी के चलते सुमित्रा महाजन कैलाश विजयवर्गीय, कृष्ण मुरारी मोघे, बाबू सिंह रघुवंशी, इंदौर संभाग के प्रभारी राघवेंद्र गौतम, चुनाव प्रभारी रवि रावलिया, जयपाल सिंह चावड़ा तथा महेंद्र हार्डिया को छोड़ बाकी सात विधायक और चुनाव से जुड़े कुछ वरिष्ठ नेताओं को ताबड़तोड़ भाजपा कार्यालय तलब किया गया था।बैठक की शुरुआत में ही बात उठी की माहौल बन नहीं पा रहा है, कार्यकर्ता एक्टिव नहीं हैं। मतदाता पर्ची छप कर आ चुकी है। लेकिन कार्यालय से ले नहीं जा रहे हैं, कार्यालय पर बड़ी संख्या में प्रचार सामग्री उपलब्ध है, इसका भी उपयोग नहीं हो रहा है। लंबी चर्चा के बाद यह बात सामने आएगी आर्थिक संसाधन की मांग पूरी नहीं होने के कारण कार्यकर्ता चुनाव में रुचि नहीं ले रहे हैं।बैठक में मौजूद विधायकों ने कहा कि जिस तरह से विधानसभा चुनाव के समय हमने हाथ खोलकर खर्च किया था, वैसा नहीं तो कम से कम आधा तो खर्च हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि हम तो खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं। क्योंकि विधानसभा चुनाव के समय का कर्ज ही अभी तक नहीं उतार पाए।
जीत तय सी है, इसलिए जेब में हाथ नहीं डाल रहे हैं लालवानी
कांग्रेस के उम्मीदवार के मैदान से बाहर होने के पहले से ही इंदौर के नतीजा को लेकर परिदृश्य स्पष्ट था। उनके नाम वापस लेने के बाद तो बीजेपी उम्मीदवार की बड़ी जीत का आकलन हो रहा है। इसी संभावित जीत के चलते हैं, लालवानी जेब में हाथ नहीं डाल रहे हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने जितना खर्च किया था उसका 25 प्रतिशत भी वे इस चुनाव में करने को तैयार नहीं हैं।


 
 
 
 
 
 
 

Share This News :