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यूपी-पंजाब ही नहीं कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है उत्तराखंड

कांग्रेस पिछले 60 महीने में 20 चुनाव हार चुकी है. पार्टी देश में महज 7% आबादी में सिमट कर रह गई है. हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस कुछ बेहतर नहीं कर पाई. उत्तर प्रदेश में स्थिति बेहतर नहीं है लेकिन सपा के साथ गठबंधन से थोड़ी उम्मीदें हैं. पंजाब में सत्ता विरोधी लहर का फायदा जरूर कांग्रेस को मिल सकता है लेकिन उत्तराखंड में सत्ता बचाए रखना 128 साल पुराने दल के लिए बड़ी चुनौती है.

विवादों में घिरे रहे हरीश रावत
पिछले दो साल के भीतर उत्तराखंड में तीन स्टिंग ऑपरेशन सामने आए. इन सभी स्टिंग ने हरीश रावत की छवि को धक्का पहुंचाया है. एक स्टिंग में तो खुद हरीश रावत विधायकों की खरीद-फरोख्त की बात करते नजर आए थे. हालांकि हरीश रावत ने स्टिंग को राजनीतिक साजिश करार दिया था.

बीजेपी लगातार
लोकसभा चुनावों में बीजेपी की अभूतपूर्व सफलता के बाद महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों और मध्यप्रदेश में हुए उप चुनावों में बीजेपी को जीत इस बात का संकेत है कि देश में अभी मोदी लहर खत्म नहीं हुई है. महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में निश्चित रूप से बीजेपी से अधिक लाभ किसी पार्टी को नहीं हुआ. हरियाणा में जहां बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिला वहीं महाराष्ट्र में भी वह सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई.

कांग्रेस मुक्त भारत है मोदी का सपना
मोदी 2014 के आम चुनावों में ही कह चुके हैं कि वे कांग्रेस मुक्त भारत देखना चाहते हैं. अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी लगातर ऐसी कोशिशें कर भी रही है. हरीश रावत लगातार केन्द्र सरकार और बीजेपी पर उनकी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाते रहे हैं.

सर्वे में पीछे नजर आई कांग्रेस
उत्तराखंड राज्य में चुनाव पूर्व हुए सर्वे में कांग्रेस दूसरे नंबर पर जबकि बीजेपी पहले नंबर पर नजर आई थी. हालांकि कांग्रेस के लिए राहत की खबर यह जरूर थी कि सीएम पद के लिए जनता को खंडूड़ी से ज्यादा हरीश रावत पसंद थे.

यूपी-पंजाब में उम्मीद ज्यादा
कांग्रेस को पंजाब में काफी उम्मीदें हैं. सत्ता विरोधी लहर और सिद्धू का साथ हो सकता है कि कांग्रेस के लिए बेहतर परिणाम देकर जाए. यूपी में भी सपा के साथ गठबंधन के बाद कांग्रेस सम्मानजनक स्थिति में आ सकती है. लेकिन, अब उसे पहाड़ बचाने की लड़ाई लड़नी है.

उत्तराखंड में बीजेपी की मजबूत तैयारी
उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर बीजेपी ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है. उत्तराखंड के 70 में से 64 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया गया है. बची हुई 6 सीटों पर भी नामों की घोषणा जल्द की जाएगी. बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में कांग्रेस छोड़ कमल थामने वाले 11 विधायकों में से 9 विधायकों को टिकट दिया है. खास बात यह रही कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष यशपाल आर्य और उनके बेटे को भी टिकट दिया गया है जबकि वे सोमवार सुबह ही पार्टी में शामिल हुए थे. बीजेपी ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री सतपाल महराज को भी टिकट दिया है जबकि अमृता रावत पर अभी संशय बरकरार है.

बहुगुणा परिवार भी बीजेपी के साथ
कांग्रेस का चेहरा माना जाने वाला बहुगुणा परिवार भी इस बार बीजेपी के साथ है. बहुगुणा परिवार का उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में खासा दखल रहा है. परिवार की ताजा पीढ़ी में पहले पूर्व उत्तराखंड सीएम विजय बहुगुणा ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा तो पीछे-पीछे उनकी बहन और यूपी में कांग्रेस की कद्दावर नेता रीता बहुगुणा जोशी ने भी बीजेपी ज्वाइन कर ली. विजय बहुगुणा के बेटे को बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में जगह भी दी है. आपको बता दें कि विजय बहुगुणा ने मार्च 2016 में उस वक्त पार्टी छोड़ी थी जब राज्य में संवैधानिक संकट के बादल मंडरा रहे थे जबकि रीता ने 20 अक्टूबर को कांग्रेस को झटका दिया था.

 

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