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अत्याचार निवारण प्रकरणों में पुलिस विवेचना में तेजी लाने के निर्देश

 à¤œà¤¿à¤²à¤¾ स्तरीय सतर्कता एवं मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक सम्पन्न 

अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार के प्रकरणों में पुलिस विवेचना की धीमी प्रगति उचित नहीं है। इसमें गति लाए जाने की आवश्यकता है। यह बात कलेक्टर डॉ. संजय गोयल द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण जिला स्तरीय सतर्कता एवं मॉनीटरिंग समिति में कही।

      समिति में विधायक डबरा श्रीमती इमरती देवी, विधायक ग्वालियर ग्रामीण श्री भारत सिंह कुशवाह, एडीएम श्री शिवराज वर्मा सहित अन्य विधायक प्रतिनिधि व समिति के सदस्यगण उपस्थित थे।

      कलेक्टर डॉ. संजय गोयल ने कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1995 के प्रावधानों के द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के व्यक्ति पर अत्याचार की गतिविधियों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया है। इसके लिये आवश्यक है कि ऐसे प्रकरणों में पुलिस व प्रशासन तत्परता से कार्रवाई सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रकरण जिनमें सेशन कोर्ट से निर्णय हो चुका है, उनके विरूद्ध अपील की कार्रवाई भी निर्धारित समय-सीमा में की जाना चाहिए। उन्होंने इस संबंध में शासकीय अधिवक्ता से जानकारी प्राप्त करने के निर्देश सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग को दिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे प्रकरणों में राहत राशि का वितरण भी निर्धारित समय-सीमा में दिया जाना सुनिश्चित किया जाए। इसके वितरण में किसी भी प्रकार की लापरवाही या देरी अक्षम्य होगी।

      सहायक आयुक्त आदिवासी विकास ने बताया कि जिले में 01 जनवरी 2016 से 31 अगस्त 2016 तक अत्याचार के 102 प्रकरणों में 68 लाख 47 हजार की राहत राशि पीड़ित पक्ष को उपलब्ध करा दी गई है। इसके साथ ही राहत योजना के तहत 16 प्रकरणों में 2 लाख 17 हजार रूपए की राशि की स्वीकृति प्रदान की गई है। राज्य सरकार द्वारा अत्याचार निवारण प्रकरणों में पीड़ितों को गवाही और यात्रा भत्ता व मजदूरी क्षतिपूर्ति राशि भी प्रदान की जाती है। ऐसे 14 गवाहों को 4800 रूपए की राशि प्रदान की गई है। जिले के विभिन्न न्यायालयों में 334 प्रकरण विचाराधीन है।

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