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आधुनिक तकनीकी का उपयोग कर शिक्षा को रोजगारमूलक बनाया जा सकता है – प्रो. सोलंकी

हरियाणा के राज्यपाल द्वारा अंतर्राष्ट्रीय तीन दिवसीय सेमीनार का शुभारंभ

हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा है कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये आवश्यक है कि शिक्षा में नवीन तकनीकी का उपयोग कर उसे रोजगारमूलक बनाया जाए। 21वीं शताब्दी टेक्नोलॉजी की शताब्दी है। इस दौर में नवीन तकनीकी का उपयोग कर विकास के शिखर को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने यह बात रविवार को जीवाजी विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं व्यवसाय अध्ययनशाला द्वारा गालव सभागार में आयोजित “व्यवसाय प्रबंधन और सूचना प्रौद्योगिकी में नवीन व उभरते चलन” विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर कही।
कार्यक्रम में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी एसोसिएशन के जर्नल सेकेट्री प्रो. फुरकान कमर, जीवाजी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, विश्वविद्यालय के रेक्टर श्री राव, कुलसचिव श्री आनंद मिश्रा, वाणिज्य व्यवसाय अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष श्री के एस ठाकुर, डीन श्री एस के सिंह सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए प्रतिनिधिगण व विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।
राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि भारत वर्ष पुर्नजागरण की ओर बढ़ रहा है। देश में आजादी के 69 सालों के दौरान अनेक परिवर्तन महसूस किए गए हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य व तकनीकी के विकास के लिये लगातार काम किया जा रहा है, लेकिन आज भी इसको और बेहतर बनाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। शिक्षा के स्तर को सुधारकर उसे रोजगारमूलक बनाने के लिये आजादी के बाद से अनेक कमीशन बनाए गए, लेकिन उनकी सिफारिशों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा सका। आज भी इसमें सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी टेक्नोलॉजी की सदी है। नवीन तकनीकी और विकास के बीच में तालमेल की आवश्यकता है। जब ये दोनों सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं तभी उसके अपेक्षित परिणाम प्राप्त होते हैं।
श्री सोलंकी ने व्यवहारिक और रोजगारमूलक शिक्षा की आवश्यकता बताते हुए कहा कि 21वीं सदी में हमें ऐसी शिक्षा पद्धति विकसित करना चाहिए, जो नवीन तकनीकी को जन्म दे और यह तकनीकी नवीन रोजगार सृजन का माध्यम बनकर विकास का लक्ष्य प्राप्त करने में अहम भूमिका निभा सके। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के सिद्धांत को लागू कर सबसे दूर खड़े व्यक्ति तक शिक्षा का प्रकाश पहुँचाने की आवश्यकता बतलाई।
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा कि ग्लोबलाइजेशन के इस युग में व्यापार राष्ट्र की सीमाओं से बाहर निकल गया है। जिससे व्यापार के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा की चुनौती बढ़ी है। इस चुनौती का सामना नवीन तकनीकी का उपयोग कर किया जा सकता है।
इससे पूर्व प्रो. फुरकान कमर ने कहा कि आज के दौर में व्यापार ज्ञान पर निर्भर है। एक सफल व्यावसायिक गतिविधियों के लिये आवश्यक है कि नियोक्ता को आधुनिक खोजों और तकनीकियों का बेहतर ज्ञान हो और उसे निरंतर अपडेट रहने की आवश्यकता भी है। उन्होंने बताया कि भारत वर्ष में लगभग 800 विश्वविद्यालयों के अंतर्गत आने वाले लगभग 40 हजार कॉलेजों में तीन करोड़ युवा अध्ययनरत हैं। जिसमें आधी संख्या महिलाओं की है। उन्होंने कहा कि इस विशाल मेन पॉवर को आधुनिक तकनीकी से अपडेट कर बेहतर व्यवसाय और औद्योगिक विकास की अवधारणा को साकार किया जा सकता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथिगण द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

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