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श्री राज चड्डा द्वारा लिखित “आदमकद कुकुरमुत्तों” पुस्तक का विमोचन

समाज में दोहरा चरित्र जीने की प्रवृति के कारण ही होता है कुकुरमुत्तों का जन्म  à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² प्रो. सोलंकी

समाज से दौहरा चरित्र जीने की प्रवृति के कारण ही “आदमकद कुकुरमुत्तों” का जन्म होता है। भगवद् गीता के निष्काम कर्म के सिद्धांत को आत्मसात कर इस प्रवृत्ति से छुटकारा पाया जा सकता है। यह बात हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी द्वारा मध्यप्रदेश चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज ग्वालियर के सभागार में राज चड्डा द्वारा लिखी गई पुस्तक “आदमकद कुकुरमुत्तों” के विमोचन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कही।

      कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्वालियर के महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में आईटीएम यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री रमाशंकर सिंह, देश के ख्यातिमान व्यंगकार श्री आलोक पुराणिक व कवि श्री प्रदीप चौबे सहित बड़ी संख्या में साहित्य जगत के लोग सभागार में उपस्थित थे।

      प्रो. सोलंकी ने कहा कि व्यंगकार किसी व्यक्ति पर नहीं बल्कि व्यवस्था पर व्यंग करता है, वह व्यंग के माध्यम से व्यवस्थापकों को इसके सुधार के लिये इशारा करता है। उन्होंने कहा कि भारत एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राष्ट्र है हमारे मनीषियों ने हमें बेहतर राष्ट्र और समाज बनाने के मार्ग बतलाए हैं। हम उन पर चलकर ऐसी व्यवस्था स्थापित कर सकते हैं, जिनके कारण समाज में किसी को व्यंगकार बनकर पथ प्रदर्शन करने की आवश्यकता ही न पड़े। उन्होंने भगवद् गीता में निष्काम कर्म की शिक्षा का उल्लेख करते हुए कहा कि जब हम अपनी इच्छाओं को नियंत्रित कर लेते हैं, तो हमें सुख की अनुभूति होने लगती है। जबकि व्यवहार में हम देखते हैं कि व्यक्ति सुख के लिये अपनी इच्छाओं को बढ़ाता चला जाता है। परिणाम स्वरूप वह दौहरा चरित्र जीने लगता है और इस दौहरे चरित्र के कारण ही राज चड्डा जैसे व्यंगकारों की “आदमकद कुकुरमुत्ते” जैसी कृतियों का जन्म होता है। उन्होंने इस पुस्तक के लेखन के लिये श्री चड्डा को शुभकामनायें भी दी।

      इससे पूर्व श्री आलोक पुराणिक ने कहा कि राज चड्डा द्वारा अपनी कृति में अपने अनुभवों को बहुत सटीक ढंग से रेखांकित किया है, जो पाठक के मन को झकझोर देगा।

      श्री रमाशंकर सिंह ने कहा कि राज चड्डा की इस कृति में उनके जीवन के अनुभव समाहित हैं। उन्होंने समाज और व्यवस्था के हर बिंदु को बहुत गहराई से परिभाषित किया है।

      श्री प्रदीप चौबे ने कहा कि देश में अनादिकाल से व्यंग लिखा जा रहा है। हर युग में समाज और व्यवस्था के दौहरे चरित्र पर व्यंगकारों द्वारा टिप्पणी कर समाज को सुधारने का अवसर प्रदान किया है।

      कार्यक्रम का संचालन डेट लाईन इंडिया के प्रधान संपादक श्री राकेश पाठक ने किया।

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