महिला दिवस: 70 की उमà¥à¤° में 17 वाला जजà¥à¤¬à¤¾ रखती हैं ये मारà¥à¤¶à¤² आरà¥à¤Ÿ गà¥à¤°à¥!
आज महिला दिवस पर हम आपको à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ महिला के बारे में बताà¤à¤‚गे जो महिला शकà¥à¤¤à¤¿ की à¤à¤• सशकà¥à¤¤ उदाहरण हैं. हम बात कर रहे हैं मीनाकà¥à¤·à¥€ अमà¥à¤®à¤¾ की जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उमà¥à¤° का कà¤à¥€ अपने उपर हावी नहीं होने दिया.
आमतौर पर जिस उमà¥à¤° को महिलाà¤à¤‚ अपनी जिंदगी की सांठमानकर हताश होकर बैठजाती हैं, केरल की करीब 70 वरà¥à¤·à¥€à¤¯ दिलेर और जà¥à¤à¤¾à¤°à¥‚ मीनाकà¥à¤·à¥€ अमà¥à¤®à¤¾ आज à¤à¥€ मारà¥à¤¶à¤² आरà¥à¤Ÿ कलारीपयटà¥à¤Ÿ का निरंतर अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ करती हैं और इसमें इतने पारंगत हैं कि अपने से आधी उमà¥à¤° के मारà¥à¤¶à¤² आरà¥à¤Ÿ योदà¥à¤§à¤¾à¤“ं के छकà¥à¤•à¥‡ छà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤¨à¥‡ का दम रखती हैं.
कलारीपयटà¥à¤Ÿ की पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤• होने के नाते मीनाकà¥à¤·à¥€ अमà¥à¤®à¤¾ मीनाकà¥à¤·à¥€ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤•à¤² (गà¥à¤°à¥) के नाम से à¤à¥€ पहचानी जाती हैं.
मीनाकà¥à¤·à¥€ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤•à¤² और उनके खास हà¥à¤¨à¤° को सबसे पहले पहचान उस समय मिली, जब कलारीपयटà¥à¤Ÿ के खेल में अपने से करीब आधी उमà¥à¤° के à¤à¤• पà¥à¤°à¥à¤· के साथ लोहा लेते और उस पर à¤à¤¾à¤°à¥€ पड़ते उनका à¤à¤• वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हà¥à¤† था. उनके इस वीडियो ने कई लोगों को दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर कर दिया और इस वीडियो को ढेरों लाइकà¥à¤¸ और कमेंटà¥à¤¸ मिले थे.
कलारीपयटà¥à¤Ÿ तलवारबाजी और लाठियों से खेला जाने वाला केरल का à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मारà¥à¤¶à¤² आरà¥à¤Ÿ है.
मीनाकà¥à¤·à¥€ अमà¥à¤®à¤¾ कहती हैं कि कलारीपयटà¥à¤Ÿ ने उनकी जिंदगी को हर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ किया है और अब जब वह करीब 75 साल की होने जा रही हैं, इस उमà¥à¤° में à¤à¥€ वह इसका निरंतर अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ करती हैं.
गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤•à¤² मीनाकà¥à¤·à¥€ अमà¥à¤®à¤¾ कहती हैं, 'आज जब लड़कियों के देर रात घर से बाहर निकलने को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ नहीं समà¤à¤¾ जाता और इस पर सौ सवाल खड़े किठजाते हैं, कलारीपयटà¥à¤Ÿ ने उनमें इतना आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ पैदा कर दिया है कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देर रात à¤à¥€ घर से बाहर निकलने में किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की à¤à¤¿à¤à¤• या डर महसूस नहीं होता.'
मीनाकà¥à¤·à¥€ अमà¥à¤®à¤¾ मानती हैं कि आज के दौर में लड़कियों के लिठमारà¥à¤¶à¤² आरà¥à¤Ÿ और à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जरूरी हो गया है. वह कहती हैं, 'मारà¥à¤¶à¤² आरà¥à¤Ÿ से लड़कियों में आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ पैदा होता है. हर सà¥à¤¬à¤¹ इसे अपनी दिनचरà¥à¤¯à¤¾ का हिसà¥à¤¸à¤¾ बनाने से केवल आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ और शारीरिक मजबूती ही नहीं, बलà¥à¤•à¤¿ रोजमरà¥à¤°à¤¾ की मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤²à¥‹à¤‚ से लड़ने के लिठमानसिक बल à¤à¥€ मिलता है.'
गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤•à¤² यानी गà¥à¤°à¥ के नाम से मशहूर मीनाकà¥à¤·à¥€ अमà¥à¤®à¤¾ को इस साल पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित नागरिक पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° पदà¥à¤®à¤¶à¥à¤°à¥€ से à¤à¥€ समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया.
पदà¥à¤®à¤¶à¥à¤°à¥€ जीतने पर कैसा महसूस हो रहा है, इस सवाल पर दिगà¥à¤—ज मारà¥à¤¶à¤² आरà¥à¤Ÿ गà¥à¤°à¥ मीनाकà¥à¤·à¥€ अमà¥à¤®à¤¾ कहती हैं, 'मैं यह नहीं कह सकती कि पदà¥à¤® पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° जीतना मेरा सपना पूरे होने जैसा है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि कà¤à¥€ à¤à¥€ मेरे दिल या दिमाग में à¤à¤¸à¤¾ कोई पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° जीतने का कोई खà¥à¤¯à¤¾à¤² नहीं आया. वह इसका शà¥à¤°à¥‡à¤¯ अपने दिवंगत पति राघवन गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤•à¤² को देती हैं, जो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कलारीपयटà¥à¤Ÿ सिखाने वाले उनके गà¥à¤°à¥ à¤à¥€ थे.'
मीनाकà¥à¤·à¥€ अमà¥à¤®à¤¾ ने à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ कला से अपनी पहचान बनाई है, जो अधिक लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ नहीं है. सात साल की उमà¥à¤° से इस कला का पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ हासिल करने वाली मीनाकà¥à¤·à¥€ अमà¥à¤®à¤¾ बताती हैं कि आमतौर पर लड़कियां किशोरवय उमà¥à¤° में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते ही इस मारà¥à¤¶à¤² आरà¥à¤Ÿ का अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ छोड़ देती हैं, लेकिन अपने पिता की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस विधा का अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ जारी रखा और वह इससे ताउमà¥à¤° जà¥à¤¡à¤¼à¥€ रहना चाहती हैं.
आज उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ 'उनà¥à¤¨à¥€à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤šà¤¾' (उतà¥à¤¤à¤°à¥€ मालाबार के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गाथागीत 'वड़कà¥à¤•à¤¨ पटà¥à¤Ÿà¤•à¤²' में उलà¥à¤²à¤¿à¤–ित पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ पौराणिक योदà¥à¤§à¤¾ और नायिका), 'पदà¥à¤®à¤¶à¥à¤°à¥€ मीनाकà¥à¤·à¥€' और 'गà¥à¤°à¥ˆà¤¨à¥€ विद ठसà¥à¤µà¥‰à¤°à¥à¤¡' जैसे कई नामों से बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ जाता है, लेकिन वह खà¥à¤¦ किस नाम से पहचानी जाना चाहती हैं, इस सवाल पर वह कहती हैं, 'मेरा वजूद आज à¤à¥€ वही है और मà¥à¤à¥‡ आज à¤à¥€ खà¥à¤¦ को मीनाकà¥à¤·à¥€ अमà¥à¤®à¤¾ या अमà¥à¤®à¤¾ मां कहलाना ही जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पसंद है.'
आज जब किसी à¤à¥€ कला को सिखाने के लिठमोटी फीस वसूलना आम हो गया है, कलारी संगम में कलारीपयटà¥à¤Ÿ सिखाने के लिठकोई फीस नहीं ली जाती और छातà¥à¤° गà¥à¤°à¥à¤¦à¤•à¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ के रूप में अपनी कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ और इचà¥à¤›à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° कà¥à¤› à¤à¥€ दे सकते हैं. मीनाकà¥à¤·à¥€ अमà¥à¤®à¤¾ बताती हैं कि 1949 में शरू हà¥à¤ˆ यह परंपरा आज à¤à¥€ जारी है.
कलारीपयटà¥à¤Ÿ ताइची और कà¥à¤‚गफू जैसे अनà¥à¤¯ मारà¥à¤¶à¤² आरà¥à¤Ÿà¥à¤¸ से कैसे अलग हैं, इस बारे में मीनाकà¥à¤·à¥€ अमà¥à¤®à¤¾ कहती हैं, 'à¤à¤• किंवदंती के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कà¥à¤‚गफू और अनà¥à¤¯ मारà¥à¤¶à¤² आरà¥à¤Ÿà¥à¤¸ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ कलारीपयटà¥à¤Ÿ से हà¥à¤ˆ है. यह à¤à¤²à¥‡ ही मातà¥à¤° à¤à¤• किंवदंती हो, लेकिन मेरी नजर में यह विधा केवल वार करने की ही कला नहीं है, बलà¥à¤•à¤¿ इसमें आप लड़ने के साथ ही खà¥à¤¦ को बचाने और इसमें चोटिल होने पर अपना इलाज करना à¤à¥€ सीखते हैं.'
वह कहती हैं, 'कलारीपयटà¥à¤Ÿ की à¤à¤• शिषà¥à¤¯à¤¾ और फिर à¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤• की à¤à¥‚मिका से लेकर इस मारà¥à¤¶à¤² आरà¥à¤Ÿ विधा के लिठपदà¥à¤®à¤¶à¥à¤°à¥€ हासिल करने तक की उनकी यह यातà¥à¤°à¤¾ आसान नहीं रही, लेकिन परिवार के साथ और मेरे छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ ने मेरी इस यातà¥à¤°à¤¾ को यादगार बना दिया है.'
इस कला के लिठपहचान मिलने और पदà¥à¤®à¤¶à¥à¤°à¥€ के रूप में समà¥à¤®à¤¾à¤¨ मिलने पर मीनाकà¥à¤·à¥€ अमà¥à¤®à¤¾ कहती हैं, 'मैं खà¥à¤¦ को धनà¥à¤¯ समà¤à¤¤à¥€ हूं और यह पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° हर लड़की और हर महिला को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करती हूं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह बताने के लिठकि वे जिंदगी में जो चाहे हासिल कर सकती हैं. साथ ही मैं इसे सà¤à¥€ कलारीपयटà¥à¤Ÿ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤•à¤²à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करना चाहती हूं, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बिना रà¥à¤•à¥‡ और बिना थके मारà¥à¤¶à¤² आरà¥à¤Ÿ की इस विधा को जीवित रखा है.