इस नवरातà¥à¤° घोड़े पर सवार होकर आà¤à¤‚गी मां शेरावाली
देवी à¤à¤—वती ने शारदीय नवरातà¥à¤° को अपनी वारà¥à¤·à¤¿à¤• महापूजा कहा है। वारà¥à¤·à¤¿à¤• दà¥à¤°à¥à¤—ा पूजा को बंगाली समाज विशेष रूप से मनाता है। कà¥à¤¯à¤¾ आप जानते हैं कि हर शारदीय नवरातà¥à¤° में देवी किसी न किसी सवारी पर आती हैं। जिस दिन से नवरातà¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ होते हैं, उसी से तय होती है माता की सवारी।
यूं हम सब लोग उनको शेरोवाली कहते हैं और शेर पर सवारी उनको पà¥à¤°à¤¿à¤¯ है। लेकिन अपनी महापूजा पर देवी à¤à¤—वती संकेतों में बहà¥à¤¤ कà¥à¤› कहने आती हैं। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ संकेतों में à¤à¤• संकेत है..उनकी सवारी। शारदीय नवरातà¥à¤° आते ही, वह अपना वाहन बदल लेती हैं, और पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¥€ वाहन बदलकर करती हैं।
इस बार शारदीय नवरातà¥à¤° में देवी à¤à¤—वती अशà¥à¤µ पर सवार होकर आà¤à¤‚गी और चरणायà¥à¤§ पर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ करेंगी। वाहन का à¤à¥€ अपना अलग गणित है। ठीक वैसे ही जैसे नवसंवतà¥à¤¸à¤° का राजा और मंतà¥à¤°à¥€ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ होता है। आइये, आपको बताते हैं कि देवी à¤à¤—वती का वाहन कब और कौन सा होता है..
नवरातà¥à¤° के दिन से तय होता है मां का वाहन
1. यदि शारदीय नवरातà¥à¤° रविवार या सोमवार से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ होते हैं तो देवी हाथी पर सवार होकर आती हैं।
2. यदि शनिवार और मंगलवार को नवरातà¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ होते हैं तो माता रानी का आगमन अशà¥à¤µ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ घोड़े पर होता है।
3. बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤° या शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को यदि नवरातà¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ होते हैं तो देवी मां डोले या पालकी पर सवार होकर आती हैं।
4. बà¥à¤§à¤µà¤¾à¤° को यदि नवरातà¥à¤°à¥‹à¤‚ का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ होता है तो शेरो वाली मां शेर छोड़कर नाव पर सवार होकर आती हैं।
इस बार अशà¥à¤µ की सवारी
चूंकि इस बार शारदीय नवरातà¥à¤° का पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ शनिवार से हो रहा है, इसलिठदेवी à¤à¤—वती अशà¥à¤µ पर सवार होकर आ रही हैं।
सवारी और संकेत
हाथी यानी अचà¥à¤›à¥€ वरà¥à¤·à¤¾
- à¤à¤—वती यदि हाथी पर आती हैं तो अचà¥à¤›à¥€ वरà¥à¤·à¤¾ का संकेत है। चारों दिशाओं में सà¥à¤–-शांति है। धन-धानà¥à¤¯ और समृदà¥à¤§à¤¿ है। हाथी दिशाओं का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है।
घोड़े की सवारी यानी शकà¥à¤¤à¤¿ और यà¥à¤¦à¥à¤§
- अशà¥à¤µ पर यदि माती रानी आती हैं तो राजनीतिक उठापटक होती है और राजाओं में यà¥à¤¦à¥à¤§ होता है। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° घोड़ा न थकता है और न बैठता है, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° शासक और पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤• को देवी का यह योग बैठने नहीं देता। लेकिन शकà¥à¤¤à¤¿ का संचार हर दिशा में होता है। इस बार यही योग है।
नाव यानी हर काम सिदà¥à¤§
- देवी मां यदि नाव पर आती हैं तो सरà¥à¤µà¤•à¤¾à¤°à¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¿ का योग बनता है।
पालकी यानी खरà¥à¤š जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾
- पालकी या डोले पर सवार होकर मां आती हैं तो लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ असà¥à¤¥à¤¿à¤° होती है। आय से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ वà¥à¤¯à¤¯ होता है। पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• आपदा का योग बनता है।