खामोश से कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में आजकल होती है खास दो ही बातों की चरà¥à¤šà¤¾!
सतà¥à¤¤à¤¾ के वक़à¥à¤¤ गà¥à¤²à¥›à¤¾à¤° रहने वाले 24,अकबर रोड कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में आजकल दोपहर के सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¥‡ के बीच दो चीजों पर खास चरà¥à¤šà¤¾ होती है. सोनिया और राहà¥à¤² अरसे से आठनहीं हैं. महासचिवों के नाम पर à¤à¤• वकà¥à¤¤ में à¤à¤• या दो से ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ महासचिवों का à¤à¤• साथ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में होना बमà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² ही नज़र आता है. सचिवों के दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ कम ही होते हैं. आजकल अमूमन मीडिया विà¤à¤¾à¤— ही सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ दिखता है, जिसके बिना शायद पारà¥à¤Ÿà¥€ बिलà¥à¤•à¥à¤² ही ठंडी दिखाई पड़े.
राहà¥à¤² नेताओं से कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में शायद मिलना पसंद नहीं करते हैं. वो कम संखà¥à¤¯à¤¾ होने पर अपने 12 तà¥à¥šà¤²à¥˜ रोड वाले बंगले पर ही बंद कमरे में मिलते हैं और अगर नेताओं की संखà¥à¤¯à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हो तो पारà¥à¤Ÿà¥€ के वॉर रूम यानी 15, गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रकाबगंज में मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ कर लेते हैं. अब à¤à¤²à¤¾ यूपी चà¥à¤¨à¤¾à¤µ की à¤à¤¾à¤°à¥€ हार के बाद जब सोनिया-राहà¥à¤² कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ नहीं आà¤, तो à¤à¤²à¤¾ कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की खामोशी का अंदाज़ा लगाना ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² नहीं है.
दरअसल, चà¥à¤¨à¤¾à¤µ दर चà¥à¤¨à¤¾à¤µ हार, राहà¥à¤² से नाराजगी जताकर छोड़ कर जाते नेताओं के बीच पारà¥à¤Ÿà¥€ संगठन में फेरबदल और राहà¥à¤² की ताजपोशी के सवालों ने कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ नेताओं को à¤à¥€ परेशान कर दिया है. नेता सोच रहे हैं कि, आखिर राहà¥à¤² की नई टीम कब बनेगी, बनेगी तो उसमें उनकी जगह होगी या नहीं, और तब कà¥à¤¯à¤¾ पारà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¤• बार फिर उà¤à¤°à¥‡à¤—ी. इसी उधेड़बà¥à¤¨ में संगठन में नेता बस बने हà¥à¤ हैं, जो काम दिया गया है और जो जरूरी है, वहीं कर रहे हैं. लेकिन अपने मन से कोई नई शà¥à¤°à¥‚आत नहीं करता दिखता, कोई ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ तेज़ चलना नहीं चाहता है. आखिर पारà¥à¤Ÿà¥€ की हालत खराब है, ऊपर से à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में होने वाले बदलाव ने नेताओं को बेचैन कर रखा है.
à¤à¤¸à¥‡ हालात में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ दफà¥à¤¤à¤° में काम करने वाला सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« ही है जो रोज मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ आता है. लेकिन आपसी चरà¥à¤šà¤¾ दो बातों की ही होती है. आपस में à¤à¥€ वहीं चरà¥à¤šà¤¾ करते हैं और अगर कोई जानकारी लेने आठपतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से मà¥à¤–ातिब हà¥à¤ तो à¤à¥€ वो दो बातें तो कर ही लेते हैं.
आपको बता दें, वो दो बातें कौन सी हैं, पहली- पारà¥à¤Ÿà¥€ में कà¥à¤› होगा, तो कब होगा, और दूसरी- अब कौन छोड़कर जा रहा है, कहीं हमारे वाले तो नहीं. आखिर हो à¤à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना, à¤à¤¸à¤¾ लगता है जिस जगह चà¥à¤¨à¤¾à¤µ आता है वहां पारà¥à¤Ÿà¥€ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ लड़ लेती है. लेकिन लांग टरà¥à¤® पà¥à¤²à¤¾à¤¨ अब तक नज़र नहीं आता, संगठन ठंडा पड़ा है. कà¥à¤¯à¤¾ होगा, कब होगा ,किसी को कोई अंदाजा नहीं. ऊपर से बार-बार चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ हार.
कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में लोगों का हाल ठीक वैसा ही है जैसे à¤à¤• कहावत है कि, खाली बैठा बनिया कà¥à¤¯à¤¾ करे , बस बांट(वजन तौलने वाला) इधर से उधर करे !