पं. दीनदयाल उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ का दरà¥à¤¶à¤¨ मानव-कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ का दरà¥à¤¶à¤¨
गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° में पं. दीनदयाल उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के सà¥à¤®à¤°à¤£ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ चौहान
मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पं. दीनदयाल उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ का दरà¥à¤¶à¤¨ मानव- कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ का दरà¥à¤¶à¤¨ है। उनका यह दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के साथ विशà¥à¤µ-शांति का मारà¥à¤— à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¶à¤¸à¥à¤¤ करता है। शà¥à¤°à¥€ चौहान आज गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° में रामनारायण धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में पं. दीनदयाल उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ सà¥à¤®à¤°à¤£ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ सामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ à¤à¤µà¤‚ अधिकारिता मंतà¥à¤°à¥€
शà¥à¤°à¥€ थावरचंद गेहलोत, पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के जनसंपरà¥à¤• मंतà¥à¤°à¥€ डॉ. नरोतà¥à¤¤à¤® मिशà¥à¤°à¤¾, नगरीय विकास à¤à¤µà¤‚ आवास मंतà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ माया सिंह à¤à¤µà¤‚ सामानà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ राजà¥à¤¯ मंतà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ लाल सिंह आरà¥à¤¯ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे।
मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ चौहान ने कहा कि रामनारायण धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ वही जगह है, जहाठपणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¤œà¥€ ने à¤à¤•à¤¾à¤¤à¥à¤® मानववाद का दरà¥à¤¶à¤¨ पहली बार दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सामने पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ किया। मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ ने कहा कि यह धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ ही नहीं, बलà¥à¤•à¤¿ à¤à¤• तीरà¥à¤¥ है, जहाठहम सब जनता की सेवा की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि यहाठआकर मैं अपने आपको गौरवानà¥à¤µà¤¿à¤¤ महसूस करता हूà¤à¥¤
मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ ने à¤à¤•à¤¾à¤¤à¥à¤® मानववाद दरà¥à¤¶à¤¨ के जरिये देश-दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को à¤à¤• नई राजनैतिक और सामाजिक विचारधारा दी। शà¥à¤°à¥€ चौहान ने कहा कि पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¤œà¥€ का दरà¥à¤¶à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को केवल शरीर नहीं मानता, बलà¥à¤•à¤¿ बà¥à¤¦à¥à¤§ और आतà¥à¤®à¤¾ मानकर सबके कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ पर विचार करता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि इस दरà¥à¤¶à¤¨ पर चलकर ही हम देश की पà¥à¤°à¤—ति और विकास के पथ पर आगे बॠसकते हैं।
केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ पंचायत à¤à¤µà¤‚ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ विकास मंतà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ नरेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह तोमर ने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि हम पं. दीनदयाल उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤œà¥€ के मारà¥à¤— पर चलकर समाज के अंतिम पंकà¥à¤¤à¤¿ के अंतिम वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के लिये समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ होकर काम करें।