यहां रोज आते हैं शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿, तो वहां अमर आलà¥à¤¹à¤¾ करते हैं पूजा
छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ढ़ के राजिम में à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ मंदिर है जहां हर रोज सà¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤¤ में à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ आते हैं। हैरान कर देने वाली बात यह है कि शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ के आने के साकà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ यहां मौजूद रहते हैं। राजिम के जिस मंदिर में शà¥à¤°à¥€ हरि आते हैं, उस मंदिर का नाम राजीवलोचन मंदिर है।
यह मंदिर महानदी, पैरी नदी तथा सोंढà¥à¤° नदी का संगम के नजदीक है। छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ढ़ में यह नदियां तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤£à¥€ कहलाती हैं। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के तट पर मौजूद है राजीव लोचन मंदिर। सदियों से चली आ रही मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मंदिर में रातà¥à¤°à¤¿ के समय à¤à¤—वान के लिठछोटे-छोटे गदà¥à¤¦à¥‡, चादर आदि से बिसà¥à¤¤à¤° लगाया जाता है!
उनके पास à¤à¤• कटोरी में तेल à¤à¥€ रखा जाता है। इसके बाद पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ मंदिर के पट बंद कर देते हैं! आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤œà¤¨à¤• रूप से जब अगले दिन मंदिर के पट खोले जाते है तब कटोरी में रखा तेल नहीं मिलता है। रहती हैं तो सिरà¥à¤« बिसà¥à¤¤à¤° पर सलवटें!
बिसà¥à¤¤à¤° पर मिली सलवटों को देख आसà¥à¤¥à¤¾ का वो सà¥à¤µà¤°à¥‚प दिखाई देता है जिस पर पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ करना ईशà¥à¤µà¤° के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ देने के समान है। हू-ब-हू à¤à¤¸à¤¾ ही घटनाकà¥à¤°à¤® मैहर में à¤à¥€ देखा जा सकता है। मैहर मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के सतना जिले का à¤à¤• छोटा सा शहर है। जहां पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ मां शारदा का मंदिर है।
यहां जब पट बंद करते हैं तो कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं ऱखा जाता और सà¥à¤¬à¤¹ होते ही यहां मां शारदा की पूजा हो चà¥à¤•à¥€ होती है। कहते हैं सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® यह पूजा मां के अमर à¤à¤•à¥à¤¤ आलà¥à¤¹à¤¾ करते हैं।
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