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भारतीय चित्रकला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले सचिदा नागदेव का निधन

भोपाल.समकालीन भारतीय चित्रकला की अंतरराष्ट्रीय पहचान स्थापित करने वाले भोपाल के वरिष्ठ चित्रकार सचिदा नागदेव का सोमवार को भोपाल में हार्टअटैक से निधन हो गया । वे 77 वर्ष के थे |
-उनके परिवार में पत्नी ,दो बेटे व एक बेटी है |
-सरल- सहज व्यक्तित्व के धनी व मृदुभाषी सचिदा ने अपनी कलात्मक सक्रियता लगातारबनाए रखते हुए उन्होंने कई चित्रकारों से नियमित संवाद-संपर्क बनाए रखा और मार्गदर्शन दिया |
-उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को दोपहर 3 बजे सुभाष नगर विश्राम घाट में संपन्न होगा |
भारत के सबसे महंगे आर्टिस्ट सैयद हैदर रजा के शिष्य थे नागदेव
-सैयद हैदर रजा के निधन पर सचिदा नागदेव ने उनके साथ बिताए पलों को याद किया था।
-उन्होंने बताया था कि बात 1975 की है। मेरी और मेरे चित्रकार दोस्त सुरेश चौधरी की आर्ट एग्जीबिशन जहांगीर आर्ट गैलरी में चल रही थी। अचानक गेट से रजा साहब और उनकी पत्नी आते दिखे।
-वे मेरे गुरु और भीमबैठका की खोज करने वाले विष्णु श्रीधर वाकणकर के घनिष्ठ मित्र भी थे। उन्होंने एग्जीबिशन देखी। फिर हमसे बात की।
-हमने कहा रजा सर आप मुंबई आते हो वापस चले जाते हो, भोपाल में कला को लेकर काफी गतिविधियां चल रही हैं। आप आएंगे तो नए कलाकारों को मार्गदर्शन मिलेगा।
-उन्होंने तपाक से कहा कि आप बुलाओगे तो हम आ जाएंगे भाई। तभी हमने कहा हम आपको अभी आमंत्रित करते हैं।
-यह जानकारी भोपाल कला परिषद में अशोक वाजपेयी को दी, जो उस वक्त कला परिषद के सचिव थे। एक महीने बाद ही रजा साहब भोपाल आए।
-कला परिषद में उनका लेक्चर हुआ और कविता पाठ भी। यह उनकी भोपाल में पहली यात्रा थी और मध्यप्रदेश से दोबारा जुड़ने की।
-फिर उनका अक्सर भोपाल आना जाना लगा रहा। उनकी एग्जीबिशन जब कला परिषद में होनी थी, तब हम रात को उनकी पेंटिंग के फ्रेम तैयार करने में जुटे थे। एग्जीबिशन के बाद वे मेरे घर गए। हमारा भीमबैठका जाने का प्लानहुआ। हमने उनसे कहा कि क्या खाएंगे, उन्होंने कहा कि पेरिस में पूड़ी सब्जी बहुत मिस करता हूं। उनके लिए पूड़ी भाजी बनाकर हम भीमबैठका पहुंचे।
-वहां उन्होंने कविताएं सुनाईं और मैंने गाना। उन्होंने कहा मैं इस मिट्टी से दूर हूं, लेकिन उसकी खुशबू से नहीं।

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