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दिया बेटे को जन्म, अस्पताल ने सौंपी बेटी

राजधानी दिल्ली के एक अस्पताल की लापरवाही सामने आई है. यहां बेटे को जन्म देने वाली मां को अस्पताल ने बेटी सौंप दी है. 25 साल की सोनिया प्रजापति का कहना है कि उसने 2 जून को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में बेटे को जन्म दिया. लेकिन केंद्र सरकार द्वारा संचालित अस्पताल ने उसे बच्ची सौंपी है. सोनिया ने बेटे को जन्म दिया या बच्ची को इस पर से पर्दा हटाने के लिए वो और उनके पति डीएनए टेस्ट का इंतजार कर रहे हैं.

हालांकि अस्पताल का कहना है कि बच्चा बदलने की कोई संभावना ही नहीं है और डीएनए की रिपोर्ट भी उनके ही पक्ष में आएगी. वहीं सोनिया और उनके पति भूपेंद्र व्याकुल हैं. वह अभी भी स्त्री रोग संबंधी वार्ड में भर्ती हैं और उनकी आंखें पास में पड़े खाली पालने को देखती रहती है. अन्य माताओं को अपने बच्चों के साथ खेलता देख उन्हें थोड़ा बेहतर लगता है.

ये दंपति दक्षिण दिल्ली के खानपुर में रहती है और उन्होंने सफदरजंग पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है. सोनिया एक एनजीओ से जुड़ी हुई हैं. 'मेल टुडे' से उन्होंने कहा कि मेरी सामान्य डिलीवरी हुई थी. मुझे यकीन है कि मैंने एक लड़के को जन्म दिया और यहां तक कि डॉक्टरों ने मुझे दिखाया भी. अगर यह लड़की थी और मैं गलत थी, तो डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को मुझे सही करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. यह साबित करता है कि मैंने बेटे को जन्म दिया है.

 

सोनिया ने कहा कि इसके अलावा, मेरी अनुमति के बिना, डॉक्टरों ने मेरे शरीर में कॉपर-टी (गर्भावस्था को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण) डाला. यह अवैध है. अगर हमारा डीएनए बच्ची के साथ मेल खाता है, तो मैं उसे स्वीकार करूंगी.

हालांकि, सफदरजंग अस्पताल के निदेशक डॉ. एके राय ने बताया कि दंपति का आरोप गलत है. राय ने कहा कि हम सभी डीएनए रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहे हैं और मुझे यकीन है कि वे हमारे पक्ष में आएगी. बच्चों का कोई आदान-प्रदान नहीं किया गया. डीएनए रिपोर्ट आने में 20 दिन का समय लगता है और तब तक बेबी गर्ल को हमारी नर्सरी में रखा गया है.

डॉ राय ने कहा कि 2 जून को, अस्पताल में सिर्फ दो लड़के पैदा हुए थे और बाकी लड़कियां थीं. सुबह 11 बजे, एक मरीज ने एक बच्चे को जन्म दिया, जो समयपूर्व था और उसे नर्सरी के पास भेजा गया था और दूसरा लड़का सोनिया के आरोपों के बाद लगभग 4 बजे पैदा हुआ. अदला-बदली कैसे संभव हो सकती है? दंपति को चार साल से बच्चे का इंतजार था और वो गलत बच्चे को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं. इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी लिखा गया है.

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